जमशेदपुर। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन, रांची में जनजातीय समुदाय के महान व्यक्तित्वों पर लिखित पुस्तक ‘शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग 2’ का विमोचन किया। जमशेदपुर के लेखक संदीप मुरारका द्वारा लिखित इस पुस्तक में वैसे 19 आदिवासी व्यक्तित्वों की संक्षिप्त जीवनियाँ हैं, जिनको पद्म पुरस्कार प्राप्त हुए एवं कुछ स्वतंत्रता सेनानी जो देश के इतिहास में भूला से दिए गए। देश भर की अनकही गाथाओं के इस संकलन में पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार पद्म विभूषण तीजन बाई, छत्तीसगढ़, अंतरराष्टÑीय महिला मुक्केबाज एवं राज्यसभा सांसद पद्म विभूषण एम सी मैरी कम, मणिपुर, नागालैंड की लक्ष्मीबाई पद्म भूषण रानी गाईदिन्ल्यू , जैविक खेती की प्रसारक पद्मश्री ‘सीड मदर’ राहिबाई सोमा पोपरे, महाराष्टÑ, डायरो गायक पद्मश्री भीखुदान गोविंद भाई गढ़वी, गुजरात, पार्श्वगायिका पद्मश्री दिवालीबेन पुंजभाई भील, गुजरात, अप्रितम गीतकार ‘भगत बापू’ पद्मश्री कवि दुला भाया काग, गुजरात, लोक साहित्यकार पद्मश्री बेनीचंद्र जमाटिया, त्रिपुरा, कन्नड़ भाषा के विख्यात फिल्मी गीतकार पद्मश्री डा डोड्डारंगे गौड़ा, कर्नाटक, लोक गायिका पद्मश्री सुकरी बोंमागौड़ा, कर्नाटक, युवा एथलीट खिलाड़ी पद्मश्री विकास शिवे गौड़ा, कर्नाटक, अंतरराष्टÑीय धनुर्धर पद्मश्री लिम्बाराम अहरी, राजस्थान, अंग्रेजी भाषा की एथनोग्राफर पद्मश्री प्रो तेमसुला आओ, असम, विख्यात पत्रकार पद्मश्री ड ममंग दई, अरुणाचल प्रदेश, लोक गीतकार पद्मश्री रेन सोनम शेरिंग लेपचा, सिक्किम, विख्यात भारतीय फुटबलर पद्मश्री बाइचुंग भूटिया, सिक्किम, सिक्किम की मदर टेरेसा पद्मश्री किपू शेरिंग लेपचा, सिक्किम की भाषाओं के उत्थान हेतू प्रयत्नशील पद्मश्री नोर्देन शेरिंग भूटिया, लोक गायिका पद्मश्री हिलदामित लेपचा की प्रेरक कथाएं शामिल है। साथ ही भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी बाबा तिलका मांझी, गुमनाम शहीद तेलंगा खड़िया, टंट्या भील एवं कोमराम भीम की गाथा भी शामिल है। इनमें पद्म भूषण रानी गाईदिन्ल्यू का अध्याय जमशेदपुर के वरिष्ठ पत्रकार विरेन्द्र कुमार ओझा ने लिखा है़ पुस्तक की प्रस्तावना डा रामदयाल मुण्डा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान राँची के निदेशक आईएएस रणेन्द्र कुमार ने लिखी है। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी का मानना है कि हमारे देश का इतिहास राजा महाराजाओं एवं शासकों के इर्दगिर्द घूमता रहा है किन्तु इस देश के निर्माण व विकास में जननायकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण रही है7 इतिहास की पूँजी को संजोए रखना और उसमें गाथाओं को जोड़ते रहना बेहद जरूरी है। भारत की अखंडता व एकता को बरकरार रखते हुए विकास की ऊंचाइयों को छूने के लिए जनसामान्य के पराक्रम व पुरुषार्थ की गाथाएं प्रेरणा प्रदान करती हैं। आज आवश्यकता है कि ऐसे महान व्यक्तित्वों पर यूनिवर्सिटियों में शोध हो। संदीप मुरारका द्वारा रचित पुस्तक ‘शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग 2’ ऐसे ही जनजातीय नायकों को समर्पित है। संदीप मुरारका की पूर्व में दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है - शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग 1 एवं बिखरे सिक्के। राजभवन में आयोजित विमोचन समारोह में माननीय राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल के प्रधान सचिव शैलेश कुमार, कैट के राष्टÑीय सचिव सुरेश सोन्थालिया, फेडरेशन झारखंड चैम्बर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा, झारखण्ड प्रान्तीय मारवाड़ी युवा मंच के पूर्व प्रमंडलीय उपाध्यक्ष मंटू अग्रवाल, चाईबासा के दिव्यांश गोयल एवं पुस्तक के लेखक संदीप मुरारका उपस्थित थे।
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