टीम एबीएन, रांची। गुरुवार को श्री सर्वेश्वरी समूह - शाखा रांची (औघड़ भगवान राम आश्रम, अघोर पथ, रांची) में परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम महाविभूति कलश एवं चरणपादुका स्थापना दिवस सह आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय जयंती के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में नारायणपुर, छत्तीसगढ़ से आये पूज्य उत्साही राम जी के द्वारा परमपूज्य अघोरेश्वर स्मृति स्थल पर आरती-पूजन कर अघोरान्ना परो मंत्र: नास्ति तत्त्वं गुरौ परम का अष्टयाम संकीर्तन का शुभारंभ किया गया। ज्ञात हो कि संकीर्तन 24 घंटे तक अखंड चलेगा और कल प्रात: 9 बजे समापन होगा।
इसके उपरांत एक दिवसीय नि:शुल्क चिकित्सा एवं दवा वितरण शिविर भी आयोजित किया गया जो की प्रात: 10 बजे से संध्या 4 बजे तक चला। चिकित्सा शिविर में कुल 206 रोगियों को नि:शुल्क चिकित्सीय परामर्श एवं दवा वितरण किया गया।
चिकित्सा शिविर में डॉ. एस. एन. सिन्हा, डॉ. रंजन नारायण, डॉ. शंकर रंजन, डॉ. रोहित सिंह, डॉ. उत्पल कुमार, डॉ. सौरभ सिंह एवं डॉ. स्मृति कुमारी ने चिकित्सीय सेवा प्रदान किया।
चिकित्सा शिविर में रक्त जांच की भी सुविधा दी गयी जिसमे ब्लड शुगर, हेमोग्लोबिन, लिपिड प्रोफाइल, यूरिक एसिड इत्यादि का लाभ लोगों ने उठाया। रक्त जांच की सुविधा एल्केम लैबोरेट्रीज के द्वारा की गयी थी।
शुक्रवार को प्रात: 9 बजे अष्टयाम संकीर्तन के समापन के बाद लघु गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। साथ ही रात्रि 10 बजे नगर में घूमकर जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण कर दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन किया जायेगा। कार्यक्रम में जमशेदपुर, गुमला, घाघरा, धनबाद इत्यादि शाखाओं से भी श्रद्धालु सदस्यगण सम्मलित हुए।
टीम एबीएन, रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के झारखंड प्रांतीय प्रचारक गोपाल शर्मा तथा समाजसेवी एवं व्यवसायी पंकज पोद्दार ने श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा संचालित पुंदाग, रांची स्थित झारखंड के सबसे विशाल श्री राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर एवं सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम का भ्रमण किया। उनके आगमन पर मंदिर परिसर में हार्दिक स्वागत किया गया।
मंदिर के पुजारी पंडित अरविंद पांडे ने दोनों अतिथियों को अंगवस्त्र ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने मंदिर परिसर की भव्यता आध्यात्मिक शांति और सुव्यवस्थित व्यवस्था की सराहना की। अतिथियों ने गर्भगृह में दर्शन कर पूजा-अर्चना की तथा ट्रस्ट द्वारा संचालित विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
भ्रमण के क्रम में गोपाल शर्मा एवं पंकज पोद्दार सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने आश्रम में रह रहे दिव्यांग एवं निराश्रित जनों से मिलकर उनका हालचाल जाना। अतिथियों ने आश्रम से दी जा रही सुविधाओं-नि:शुल्क भोजन, आवास, उपचार, देखभाल एवं पुनर्वास प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यहां सेवा की जो भावना दिखाई देती है, वह समाज के लिए प्रेरणादायी है।
उन्होंने ट्रस्ट सदस्यों एवं सेवकों के समर्पण को विशेष रूप से प्रशंसनीय बताया। ट्रस्ट के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल तथा प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने अतिथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने बताया कि सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम आर्थिक रूप से कमजोर, असहाय एवं परित्यक्त लोगों के जीवन में नई उम्मीद जगाने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने समाज के सक्षम लोगों से सहयोग और सहभागिता की अपील करते हुए कहा कि जनसहयोग बढ़ने से आश्रम की सेवाओं को और विस्तार दिया जा सकेगा।भ्रमण के उपरांत गोपाल शर्मा ने कहा कि ऐसे सेवा कार्य ही समाज को मजबूत बनाते हैं। उन्होंने ट्रस्ट को भविष्य में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया और अधिक से अधिक लोगों को इस सेवा से जुड़ने की प्रेरणा दी। उक्त जानकारी श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने दी।
टीम एबीएन, रांची। सर्राफ भवन, काली मंदिर रोड डोरंडा रांची स्थित मनोज सर्राफ के आवास पर श्री धोली सती दादी जी का महोत्सव अत्यंत शानदार और श्रद्धा-भाव से संपन्न हुआ। पूरा परिसर दादी जी के जयकारों, भजनों और दिव्य आस्था से सराबोर रहा। भक्तों की बड़ी उपस्थिति के बीच महोत्सव भक्ति तथा संस्कृति की अनूठी छटां प्रस्तुत करता रहा।
कार्यक्रम की शुभारंभ मनोज सर्राफ ने अपनी धर्मपत्नी उर्मिला सर्राफ के साथ विधिवत पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चार, अखंड ज्योत प्रज्वलन एवं भोग अर्पण कर की। दंपति ने दादी जी से परिवार, समाज तथा राष्ट्र की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। महोत्सव के मुख्य आकर्षणों में दादी जी का भव्य, नयनाभिराम एवं अलौकिक श्रृंगार विशेष रहा।
लाल-पीले आभूषणों, चमचमाते परिधानों, पुष्पमालाओं और रजत कलशों से सजी दादी जी की प्रतिमा दर्शनीय थी। भक्तों ने दर्शन कर आत्मिक शांति का अनुभव किया। श्रृंगार के उपरांत प्रसाद महाभोग का आयोजन किया गया, जिसमें छप्पन भोग, फल, मेवे, मिठाइयां एवं पारंपरिक व्यंजन अर्पित किए गए। अखंड ज्योत पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रज्ज्वलित रही, जिसे शुभता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा मंगल पाठ व भजन-कीर्तन, जिसमें श्री धोली सती दादी महिला समिति की सदस्यों शशि सर्राफ, शारदा पोद्दार एवं सविता सर्राफ ने अपनी मधुर वाणी से आध्यात्मिक वातावरण को और अधिक भव्य बना दिया। उनके द्वारा प्रस्तुत भजनों- रंग बरसे दादी के दरबार में..., मेरा हर दुख हर लेती मेरी धोली सती दादी, जय-जय धोली सती सती, मैया कर दो कृपा... जैसे सुमधुर गीतों ने उपस्थित भक्तों को श्रद्धा और भक्ति रस में डूबो दिया।
भक्तों ने तालियों और गूंजते जयकारों के साथ भजनों का आनंद लिया। कई भक्त भक्ति में झूमते, नृत्य करते और दादी जी के चरणों में नतमस्तक होते दिखाई दिये। समिति की महिलाओं ने दादी जी की महिमा और उनके चमत्कारों से जुड़े प्रेरक प्रसंग भी सुनाये, जिन्हें सुनकर भक्तों में आस्था और मजबूत हुई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा और वरिष्ठजन शामिल हुए।
सभी ने दादी जी से प्रार्थना की कि वह परिवारों में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीष बनाये रखें। महोत्सव के अंत में भक्तों के बीच महाप्रसाद वितरित किया गया। मनोज सर्राफ परिवार ने आगंतुकों का आभार जताते हुए कहा कि दादी जी की कृपा से आगे भी भक्ति, एकता और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता रहेगा।
मौके पर राम नारायण सर्राफ, गीता देवी सर्राफ, उर्मिला सर्राफ, शशि सर्राफ, मंजू सर्राफ, मधु सर्राफ, कान्ता सर्राफ, अनुराधा सर्राफ, करुणा बागला, संचिता सर्राफ, सुनीता सर्राफ, सविता सर्राफ, मनीषा सर्राफ, शारदा पोद्दार सहित बड़ी संख्या में दादी भक्त उपस्थित थे। उक्त जानकारी श्री धोली सती दादी प्रचार समिति के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने दी।
एबीएन सोशल डेस्क। झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता एवं श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि अगहन माह में अन्नपूर्णा माता की पूजा का विशेष महत्व है, हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को मां अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर दिन गुरुवार को मनायी जायेगी।
अन्न और समृद्धि की देवी मां अन्नपूर्णा का यह पर्व भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। अन्नपूर्णा का अर्थ है-अन्न से पूर्ण कराने वाली देवी, यानी वह शक्ति जो संसार को जीवनदायी भोजन प्रदान करती है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा,अन्नदान और भंडारे का आयोजन किया जाता है।यह पर्व मानव जीवन में अन्न के महत्व को स्मरण कराता है।
हिंदू दर्शन में अन्न को ब्रह्म कहा गया है क्योंकि भोजन ही शरीर, मन और जीवन का आधार है। मां अन्नपूर्णा को अन्न, धान्य, पोषण, वैभव और दया की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। जयंती के दिन उपवास व पूजन कर लोग जीवन में अन्न की निरंतर प्राप्ति और समृद्धि की कामना करते हैं। साथ ही, अन्नदान को सर्वोच्च दान माना गया है, इसलिए भक्त इस दिन गरीब व जरूरतमंदों को भोजन वितरित करते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय ऐसा हुआ जब भगवान शिव ने माता पार्वती के सामने कहा कि संसार का सब कुछ मिथ्या है, यहां तक कि भोजन भी। शिव की यह बात पार्वती को अच्छी नहीं लगी। माता ने यह समझाने के लिए कि अन्न का जीवन में कितना महत्व है, पूरे संसार से अन्न को अदृश्य कर दिया। देखते ही देखते सृष्टि में अकाल पड़ गया, जीव-जंतु, मनुष्य सभी संकट में पड़ गये। कहीं भी अन्न का एक दाना तक उपलब्ध न रहा।
जब भगवान शिव ने संसार में व्याप्त संकट को देखा, तब उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ और वे माता पार्वती से क्षमा मांगने पहुंचे। उस समय माता पार्वती ने अन्नपूर्णा स्वरूप धारण कर लिया था। उन्होंने काशी (वाराणसी) में सोने के कलश से भगवान शिव को स्वयं अपने हाथों से अन्न परोसा। तभी से देवी अन्नपूर्णा को भोजन की अधिपति शक्ति माना गया और यह विश्वास स्थापित हुआ कि संसार में अन्न की धारा माता अन्नपूर्णा की कृपा से ही चलती है।
इस दिन अन्नपूर्णा मंदिरों में विशेष आरती होती है। घरों में चावल, गेहूं आदि प्रमुख अन्नों का पूजन किया जाता है। लोग संकल्प लेते हैं कि वे भोजन का सम्मान करेंगे और किसी भी रूप में अन्न का अपमान या अपव्यय नहीं करेंगे। जनमानस में यह भी विश्वास है कि इस दिन अन्नदान करने से घर में कभी अभाव नहीं होता।
मां अन्नपूर्णा जयंती केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि समाज को खाद्य सुरक्षा, अन्न का संरक्षण और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से प्रेरित करने वाला अवसर है। इस दिन का सार यही है कि भोजन ईश्वर का वरदान है-इसे सम्मान दें, बांटें और जरूरतमंदों तक पहुंचायें।
एबीएन सोशल डेस्क। श्री श्याम मंडल, रांची ने अग्रसेन पथ स्थित श्री श्याम मंदिर में आज दिनांक 2 दिसंबर 2025 को खाटू नरेश श्याम बाबा को चांदन द्वादशी के पावन अवसर पर संध्या 6:30 से 9 बजे तक श्री श्याम प्रभु को खीर चूरमा का भोग अर्पित किया गया। आज के भोग के मुख्य यजमान गोविंद अग्रवाल एवं सुमन ने अपने परिवार के साथ श्री श्याम बाबा को भोग अर्पित किया।
सर्वप्रथम मंडल अध्यक्ष चंद्र प्रकाश बागला, मंत्री धीरज बंका और अग्रवाल परिवार ने गणेश पूजन कर मंदिर में विराजे वीर बजरंगबली एवं शिव परिवार का भी पूजन कर विभिन्न प्रकार के फल एवं मिष्ठान अर्पित कर श्री श्याम प्रभु को खीर चूरमे का भोग अर्पित किया। मौके पर पूरा मंदिर परिसर हारे के सहारे की जय-लखदातार की जय जयकारों के गूंज उठा।
द्वादशी के दिन श्री श्याम प्रभु का प्रिय भोग खीर चूरमा लेने भक्तगण कतारबद्ध होकर प्राप्त कर रहे थे। साथ ही श्री श्याम मंडल के कार्यकर्ता आये हुए भक्तजनों को शुद्ध पेयजल का वितरण कर रहे थे तथा उनकी चरण पादुका रखने की उत्तम व्यवस्था बनी हुई थी। आज के खीर चूरमा का भोग श्री श्याम मंदिर में ही निर्मित किया गया तथा 500 से ज्यादा भक्तजनों प्रसाद प्राप्त किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विकाश पाड़िया, प्रदीप अग्रवाल, प्रियांश पोद्दार, संजय सारस्वत, अजय साबू, प्रमोद बगड़िया, महेश सारस्वत, अमित जलान का सहयोग रहा। उक्त जानकारी श्री श्याम मंडल श्री श्याम मंदिर, अग्रसेन मार्ग रांची के मीडिया प्रभारी सुमित पोद्दार (9835331112) ने दी।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता एवं श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि अगहन माह में अन्नपूर्णा माता की पूजा का विशेष महत्व है, हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को मां अन्नपूर्णा जयंती मनायी जाती है। इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर दिन गुरुवार को मनायी जायेगी। अन्न और समृद्धि की देवी मां अन्नपूर्णा का यह पर्व भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
अन्नपूर्णा का अर्थ है- अन्न से पूर्ण कराने वाली देवी, यानी वह शक्ति जो संसार को जीवनदायी भोजन प्रदान करती है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा, अन्नदान और भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह पर्व मानव जीवन में अन्न के महत्व को स्मरण कराता है। हिंदू दर्शन में अन्न को ब्रह्म कहा गया है क्योंकि भोजन ही शरीर, मन और जीवन का आधार है। मां अन्नपूर्णा को अन्न, धान्य, पोषण, वैभव और दया की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। जयंती के दिन उपवास व पूजन कर लोग जीवन में अन्न की निरंतर प्राप्ति और समृद्धि की कामना करते हैं।
साथ ही, अन्नदान को सर्वोच्च दान माना गया है, इसलिए भक्त इस दिन गरीब व जरूरतमंदों को भोजन वितरित करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय ऐसा हुआ जब भगवान शिव ने माता पार्वती के सामने कहा कि संसार का सब कुछ मिथ्या है, यहां तक कि भोजन भी। शिव की यह बात पार्वती को अच्छी नहीं लगी। माता ने यह समझाने के लिए कि अन्न का जीवन में कितना महत्व है, पूरे संसार से अन्न को अदृश्य कर दिया।
देखते ही देखते सृष्टि में अकाल पड़ गया, जीव-जंतु, मनुष्य सभी संकट में पड़ गये। कहीं भी अन्न का एक दाना तक उपलब्ध न रहा। जब भगवान शिव ने संसार में व्याप्त संकट को देखा, तब उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ और वे माता पार्वती से क्षमा मांगने पहुंचे। उस समय माता पार्वती ने अन्नपूर्णा स्वरूप धारण कर लिया था। उन्होंने काशी (वाराणसी) में सोने के कलश से भगवान शिव को स्वयं अपने हाथों से अन्न परोसा।
तभी से देवी अन्नपूर्णा को भोजन की अधिपति शक्ति माना गया और यह विश्वास स्थापित हुआ कि संसार में अन्न की धारा माता अन्नपूर्णा की कृपा से ही चलती है। इस दिन अन्नपूर्णा मंदिरों में विशेष आरती होती है। घरों में चावल, गेहूं आदि प्रमुख अन्नों का पूजन किया जाता है। लोग संकल्प लेते हैं कि वे भोजन का सम्मान करेंगे और किसी भी रूप में अन्न का अपमान या अपव्यय नहीं करेंगे।
जनमानस में यह भी विश्वास है कि इस दिन अन्नदान करने से घर में कभी अभाव नहीं होता। मां अन्नपूर्णा जयंती केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि समाज को खाद्य सुरक्षा, अन्न का संरक्षण और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से प्रेरित करने वाला अवसर है। इस दिन का सार यही है कि भोजन ईश्वर का वरदान है- इसे सम्मान दें, बांटें और जरूरतमंदों तक पहुंचायें।
टीम एबीएन, रांची। अग्रसेन पथ स्थित श्री श्याम मन्दिर में दिनांक 01 दिसंबर 2025 को मोक्षदा एकादशी महापर्व अत्यन्त श्रद्धा व भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। प्रातः काल से श्याम प्रभु के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रातः आरती के पश्चात श्री श्याम प्रभु को नवीन वस्त्र (बागा) पहनाकर कर स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत कर विभिन्न प्रकार के फूलों से श्याम प्रभु का मनभावन श्रृंगार किया गया।
साथ ही मन्दिर में विराजमान बजरंगबली एवम शिव परिवार का भी इस अवसर पर विषेश श्रृंगार किया गया। रात्रि 9 बजे पावन ज्योत प्रज्वलित कर श्री श्याम मण्डल के सदस्यों द्वारा गणेश वन्दना के साथ संगीतमय संकीर्तन का शुभारम्भ किया।
मौके पर हारा हूँ बाबा बस तुझपे भरोसा है, जीतूंगा एक दिन, मेरा दिल ये कहता है, पलकों का घर तैयार साँवरे मेरी अखियाँ करें इन्तज़ार साँवरे, महलों जैसे ठाठ नहीं, धर देखने तो आओ रहना ना चाहो कम से कम, आज़माने आओ, शाम सवेरे देखु तुझको कितना सुंदर रूप है, तेरा साथ ठंडी छाया बाकी दुनिया धूप है, मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है... इत्यादि भजनों की लय पर भक्तगण श्री श्याम प्रभु की धुन में खोए हुए थे साथ ही भक्तगण पावन ज्योत में आहुति प्रदान कर मनवांछित फल की कामना कर रहे थे।
इस अवसर पर श्री श्याम प्रभु को विभिन्न प्रकार के फल - मिठाई - मेवा मगही पान व केसरिया दूध का भोग लगाया गया । रात्रि 12 बजे महाआरती व प्रशाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। आज के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में गोपी किशन ढांढनीयां, चन्द्र प्रकाश बागला, धीरज बंका, नितेश केजरीवाल, प्रदीप अग्रवाल, अमित जलान, प्रियांश पोद्दार, ज्ञान प्रकाश बागला, अजय साबू , लल्लू सारस्वत का सहयोग रहा। उक्त जानकारी श्री श्याम मण्डल श्री श्याम मन्दिर, अग्रसेन पथ रांची के मीडिया प्रभारी सुमित पोद्दार (9835331112) ने दी।
एबीएन सोशल डेस्क। श्री कृष्ण प्रणामी सेवा-धाम ट्रस्ट व विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी दिन कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस दिव्य घटना की स्मृति में हर वर्ष गीता जयंती मनाई जाती है।
इस वर्ष गीता जयंती का पर्व 1 दिसंबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा। और संयोग से उसी दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा।गीता केवल एक धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर पक्ष पर प्रकाश डालने वाली ऐसी शिक्षाएं हैं जो पांच हजार वर्ष पहले जितनी प्रासंगिक थीं, आज भी उतनी ही प्रभावशाली हैं। इसलिए इसकी जयंती मनाने का उद्देश्य केवल पूजा करना नहीं, बल्कि गीता के संदेशों को जीवन में उतारना है।
गीता जयंती का मूल उद्देश्य उस दिव्य उपदेश उपदेश-दिवस का स्मरण करना है, जिसने मानवजाति को धर्म, कर्तव्य, कर्मयोग और भक्ति की सर्वांगपूर्ण दिशा प्रदान की। महाभारत के भयंकर युद्ध से पूर्व अर्जुन मोह और संशय में डूब गए थे। तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें जो उपदेश दिया, वही आगे चलकर 700 श्लोकों के पवित्र ग्रंथ- श्रीमद्भगवद्गीता-के रूप में संकलित हुआ।
गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं,बल्कि जीवन- व्यवहार का शाश्वत मार्गदर्शन है। इसी कारण इस दिन को मनाकर समाज में ज्ञान, आत्मानुशासन, सत्य और कर्म के महत्व को पुनः प्रतिष्ठित किया जाता है।गीता जयंती का संदेश समय, समाज और परिस्थितियों से परे है। गीता बताती है कि मनुष्य को फल की चिंता किये बिना कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए- कर्मण्ये वाधिकारस्ते।
यह उपदेश व्यक्ति को निराशा से निकालकर आत्मबल, धैर्य और सकारात्मकता का संचार करता है। आज के तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धात्मक युग में गीता के सिद्धांत न केवल नैतिक मूल्यों को मजबूत करते हैं, बल्कि जीवन-प्रबंधन एवं मानसिक संतुलन के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं।साथ ही, गीता जयंती भारतीय संस्कृति की उस दिव्य धरोहर का उत्सव है जिसने विश्वभर में आध्यात्मिकता और दर्शन के क्षेत्र में भारत को विशिष्ट स्थान प्रदान किया।
विदेशों तक में यह दिन बड़े सम्मान और श्रद्धा से मनाया जाता है, जिससे यह सिद्ध होता है कि गीता का संदेश संपूर्ण मानवजाति के लिए है। गीता जयंती के अवसर पर मंदिरों, आध्यात्मिक संस्थानों और गुरुकुलों में गीता पारायण, यज्ञ, धर्म-सभाएँ, व्यास-पीठ से प्रवचन, तथा कुरुक्षेत्र में विशाल गीता महोत्सव का आयोजन होता है।
कई विद्यालय और महाविद्यालय इस दिन गीता- वाचन, निबंध प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर युवा पीढ़ी में नैतिक शिक्षाओं का प्रसार करते हैं। आध्यात्मिक उत्सवों के साथ-साथ यह दिन आत्ममंथन, सदाचार और सेवा–भाव को अपनाने का अवसर भी प्रदान करता है।गीता जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि चेतना को जागृत करने वाला आध्यात्मिक उत्सव है।
यह हमें जीवन के संघर्षों में संतुलन बनाए रखने, कर्तव्य को सर्वोपरि रखने और सत्य-अहिंसा-धर्म जैसे सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है। गीता का संदेश जितना प्राचीन है, उतना ही आज के युग में प्रासंगिक और इसी सार्वभौमिकता के कारण गीता जयंती हर वर्ष नवचेतना का पर्व बनकर आती है।
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