एबीएन डेस्क। अंग्रेजी का शब्द टैलीविजन ग्रीक शब्द टैली और लैटिन शब्द ‘विजन’ से मिलकर बना है। टैली का अर्थ है दूरी पर (फार ऑफ) तथा विजन का अर्थ है देखना अर्थात जो दूर की चीजों का दर्शन कराए, वह टैलीविजन। आज दूर घटित घटनाओं को घर बैठे देख पाना टैलीविजन का ही कमाल है। इससे हम घर में बैठ कर दुनिया के किसी भी कोने में घटी घटना के प्रत्यक्षदर्शी बन जाते हैं।
यह संचार का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है जिसका आविष्कार जॉन लोगी बेयर्ड ने 1925 में लंदन में किया था। जॉन बचपन के दिनों में बीमार रहा करते थे, इसलिए स्कूल नहीं जा पाते थे। 13 अगस्त, 1888 को स्कॉटलैंड में पैदा हुए जॉन को टैलीफोन का इतना क्रेज था कि 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने खुद ही अपना टैलीफोन बना लिया।
वह सोचा करते थे कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब लोग हवा के माध्यम से तस्वीरें भेज सकेंगे। उन्होंने वर्ष 1924 में बक्से, बिस्कुट के टिन, सिलाई की सूई, कार्ड और पंखे की मोटर का इस्तेमाल कर पहला टैलीविजन बनाया था।
इसके बाद दुनिया के पहले कामकाजी टैलीविजन का निर्माण 1927 में फिलो फान्र्सवर्थ ने किया, जिसे 1 सितम्बर, 1928 को जनता के सामने पेश किया गया। जॉन लोगी बेयर्ड ने कलर टैलीविजन का आविष्कार 1928 में किया। पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग 1940 में हुई और लोगों ने 1960 के दशक में उसे अपनाना शुरू कर दिया था। टैलीविजन शब्द का सर्वप्रथम उपयोग रूसी साइंटिस्ट कांस्टेंटिन परस्कायल ने किया। टैलीविजन से विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव और उसके बढ़ते योगदान से होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखकर 17 दिसम्बर, 1996 को सयुक्त राष्ट्र सभा ने 21 नवम्बर को वर्ल्ड टैलीविजन डे के रूप मनाने की घोषणा की।
एबीएन नॉलेज डेस्क। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आगामी अंतरिक्ष मिशनों की तारीखों का खुलासा किया है। एस सोमनाथ के अनुसार, इसरो साल 2026 में गगनयान मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। वहीं चंद्रयान मिशन साल 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ शनिवार को आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) के सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम में शामिल हुए। एस सोमनाथ ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2026 में लॉन्च होने की संभावना है।
साथ ही चांद से सैंपल लेकर आने वाले मिशन चंद्रयान-4 को साल 2028 में लॉन्च किया जायेगा। वहीं भारत और अमेरिका के संयुक्त अभियान NISAR को साल 2025 में लॉन्च करने की योजना है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क (गुरुग्राम)। देश की सबसे अग्रणी शिक्षण संस्थाओं में शुमार एसजीटी यूनिवर्सिटी के वार्षिक उत्सव सिनर्जी 2024 में इनोवेशन, विजन, विज्ञान, एनर्जी व कला-संस्कृति का धमाल शुरू हो गया है। भव्य तैयारियों के साथ सजे मंच पर युवा प्रतिभाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल का ऐसा प्रदर्शन किया कि विभिन्न स्टालों पर आने वाले विजिटर्स हत्प्रभ रह गए। विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, एआई, मानव संसाधन, कला, वाणिज्य, मास कम्युनिकेशन व अन्य विभागों के स्टालों पर भारी भीड़ उमड़ी। तीन खंडों में फैले विशाल कैंपस में ऐसा आयोजन शुरू हुआ जिसे बरसों तक भुलाना मुमकिन नहीं।
उत्सव के दौरान बाइक सवारों के लिए सर्वे शील्ड हेलमेट का ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया गया, जिसमें हादसा होते ही हेलमेट में लगा एयर बैग खुल जायेगा और पीड़ित के घर इमरजेंसी कॉल भी चली जायेगी। सिनर्जी उत्सव में प्रस्तुत सर्वे शील्ड हेलमेट लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा। छात्र पुष्य कुमार, मिताली और रोहित धारीवाल ने बताया कि अक्सर बाइक सवार हादसे का शिकार होते हैं।
हादसे में हेलमेट की वजह से सिर तो बच जाता है कि लेकिन गर्दन की हड्डी ज्यादा प्रभावित होती है। इसे देखते हुए हेलमेल में सुरक्षा को देखते हुए बैग लगाया गया है। इसके अलावा इसमें एक डिवाइस लगायी गयी है, जो हादसे के बाद इमरजेंसी कॉल संबंधित व्यक्ति के घर तक पहुंचायेगी। हादसे के दौरान झटका लगते ही गर्दन को सपोर्ट देने के लिए बंग खुल जाता है। उनका कहना है कि इसमें कैमरे समेत अन्य फीचर भी जोड़े जा सकते हैं। छात्रों ने बताया कि इन सभी उपकरणों के लगाने से हेलमेट की कीमत में कोई ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी।
सिनर्जी कार्यक्रम में 300 से अधिक शैक्षिक संस्थानों छात्र-छात्राएं हिस्सा ले रही है। सिनर्जी 2024 के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल आॅफ इंडिया के महानिदेशक (डीजी) के राजा भानु रहे जबकि, विशिष्ठ अतिथि आई इन्फ्यूजन एंड आॅटोमेशन कैंडल के ग्लोबल निदेशक प्रांशुमन राय और टाटा वन एमजी के सीईओ प्रशांत टंडन उपस्थित रहे। इस मौके पर वीसी डॉ मदन मोहन चतुवेर्दी समेत अनेक गण्यमान्य लोग मौजूद रहे।
आज दुनिया भारत को नवाचार के केंद्र के रूप में देखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन में हमारे युवाओं की प्रतिभा और आत्मविश्वास की झलक मिलती है। पीएम के विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की भावना के साथ सिनर्जी2024 का आयोजन किया गया। पिछले साल, सिनर्जी में 300 से अधिक स्कूलों के 25,000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया था, और इस साल के आयोजन में इनकी संख्या कहीं ज्यादा दिखाई दी।
सिनर्जी 24 में छात्राओं ने ब्रेस्ट फीडिंग मॉडल भी प्रस्तुत किया। दीक्षा, मानसी और सजना ने बताया कि नवजात को देखभाल करने में महिलाओं को काफी परेशानी होती है। कई बार उन्हें पीठ दर्ज की समस्या हो जाती है। दूसरा बच्चे को लेकर काम करने में परेशानी होती है। महिलाओं की इस समस्या को देखते हुए ब्रेस्ट फीडिंग मॉडल बनाया गया है।
उनका कहना है कि इस मॉडल का पेटेंट कराने की योजना है। वहीं रितिका प्रशंसा और सोम्या ने ब्रोनोजालो डीकोडिंग नाम से एक मॉडल बनाया है। उनका कहना है कि मस्तिष्क की बीमारी में एमआरआई या सीटी स्कैन को डॉक्टर के अलावा मवेज या उसके परिजन समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में इस मॉडल के जरिए मरीज और उसके परिजनों को आसानी से बताया जा सकता है कि मस्तिष्क में क्या बीमारी और इसका प्रभाव क्या पड़ रहा है।
छात्रों ने एक स्मार्ट आक्सीजन टैंक का भी माडल प्रदर्शित किया है। विद्यार्थी अंजलि, चेतना और कुल रंजन ने बताया कि अक्सर आॅक्सीजन सिलेंडर प्रयोग करने के दौरान आॅक्सीजन गैस खराब होती है। उनका कहना है कि ऐसे में एक कैपेका स्मार्ट आक्सीजन टैंक बनाने का विचार आया। छात्रों ने बताया कि इसमें सिलेंडर और प्रयोग करने के दौरान किसी प्रकार से गैस रिसाव को रोकने में मदद मिलती है।
बिरयानी, नॉनवेज पसंद करने वाले भी शौक से खायेंगे। छात्रा लक्ष्मी, रितिका सूर्य और तरुण ने बताया कि कई बार लोग नॉनवेज को छोड़ना चाहते हैं। ऐसे में वेज कटहल बिरयानी बेहतर खाना है। उनका कहना है कि कटहल बिरयानी का स्वाद नॉनवेज पसंद करने वालों को भी खूब भाता है। कटहल स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिकता से भी भरपूर होती है। कटहल से बनने वाली फूड डिशेस में से एक है कटहल बिरयानी, जिसका स्वाद सभी को भाता है। बिरयानी एक ऐसी फूड डिश है जो वेज और नॉनवेज दोनों तरह से बनाई जा सकती है। बैंक फूड बर्गर जैसे कई आइटम छात्राओं ने बताकर लोगों को बताया।
एबीएन नॉलेज डेस्क। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थिक क्षेत्र में योगदान के लिए 2024 के नोबेल पुरस्कार का एलान कर दिया है। आर्थिक विज्ञान के क्षेत्र में अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिया जाने वाला स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार डारोन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिन्सन को दिया गया है। विजेताओं को यह सम्मान संस्थाएं कैसे बनती हैं और समृद्धि को कैसे प्रभावित करती हैं, पर अध्ययन के लिए दिया गया है।
कामेर डारोन ऐसमोग्लू अर्मेनियाई मूल के एक तुर्की-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं। वे 1993 से मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ा रहे हैं। वहां वे वर्तमान में अर्थशास्त्र के एलिजाबेथ और जेम्स किलियन प्रोफेसर हैं। उन्होंने 2005 में जॉन बेट्स क्लार्क पदक प्राप्त किया, और 2019 में उन्हें एमआईटी ने प्रोफेसर के रूप में नामित किया।
साइमन एच. जॉनसन एक ब्रिटिश अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं। उनका जन्म 16 जनवरी, 1963 को हुआ। वे एमआईटी स्लोअन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट में उद्यमिता के रोनाल्ड ए. कर्ट्ज प्रोफेसर हैं। इसके साथ ही जॉनसन पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में सीनियर फेलो हैं।
1960 में पैदा हुए जेम्स एलन रॉबिन्सन एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री और राजनीतिक वैज्ञानिक हैं। वह वर्तमान में ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज के रेवरेंड डॉ रिचर्ड एल पियर्सन प्रोफेसर और शिकागो विश्वविद्यालय के हैरिस स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में यूनिवर्सिटी प्रोफेसर हैं।
एबीएन नॉलेज डेस्क। साल 2024 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण जल्द ही आने वाला है। सूर्य ग्रहण का न केवल वैज्ञानिक बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व होता है। इस समय कई कार्यों को करने की मनाही होती है। आइये पंडित संतोष पाण्डेय से जानते हैं कि कब लगेगा यह सूर्य ग्रहण और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
श्री पाण्डेय के अनुसार इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को लगेगा, जो सर्व पितृ अमावस्या के दिन पड़ रहा है। इससे पहले 15 दिन पहले चंद्र ग्रहण हुआ था। पितृ अमावस्या के दिन पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण खास धार्मिक महत्व रखता है।
सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को रात 9:13 बजे से शुरू होगा और भारतीय समय के अनुसार अगले दिन सुबह 3:17 बजे समाप्त होगा। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि यह रात के समय होगा. फिर भी धार्मिक नियमों के अनुसार कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
साथ ही बता दें कि इस प्रकार सूर्य ग्रहण के दौरान इन सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे आप और आपका परिवार सुरक्षित और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहे।
नोट : यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है। इसलिए इससे संबंधित कोई सूतक या ग्रहण का कोई भी नियम भारतवर्ष में मान्य नहीं होगा।
एबीएन नॉलेज डेस्क। अंतरिक्ष की दुनिया में एक अद्भुत घटना होने जा रही है। कल 29 सितंबर की रात को, लोग आकाश में दो चांद देख पाएंगे, जो एक बेहद दुर्लभ खगोलीय घटना है। यह दूसरा चांद दरअसल एक विशालकाय एस्ट्रॉयड है।
जिसे 2024 पीटी5 कहा जाता है। यह एस्ट्रॉयड धरती की परिक्रमा कर रहा है और 25 नवंबर तक यह नजदीक रहेगा। इसके बाद यह सूर्य की कक्षा में चला जायेगा। दूसरे चांद को मिनी मून कहा जा रहा है। आइये इस एस्ट्रॉयड और इसके विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
यह खगोलीय घटना खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए एक चमत्कार के समान है। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिक इस पर निगरानी रखे हुए हैं। हालांकि, मिनी मून को नंगी आंखों से देख पाना संभव नहीं होगा। इसे देखने के लिए विशेष टेलीस्कोप की आवश्यकता होगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मिनी मून का महाभारत से एक खास कनेक्शन है। स्पेन के यूनिवर्सिडैड कॉम्प्लूटेंस डी मैड्रिड के शोधकतार्ओं ने बताया है कि इस मिनी मून की विशेषताएँ अर्जुन एस्ट्रॉयड बेल्ट से मिलती हैं, जिसे महाभारत के प्रमुख किरदार अर्जुन के नाम पर रखा गया है। यह नाम अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा मान्यता प्राप्त है।
एबीएन नॉलेज डेस्क। मोदी सरकार अंतरिक्ष में कुछ बड़ा तैयारी है। मोदी सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को हरी झंडी दे दी है। इसके लिए पूरा रोडमैप जारी किया गया है। यह पूरा मिशन हैरान कर देने वाला है। यह एक बड़ा ही अहम लूनर एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट है, जिसका मकसद चंद्रयान-4 को चंद्रमा पर जाने और फिर वहां से मिट्टी और चट्टानों के साथ वापस धरती पर आना है।
इस मिशन को मोदी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। मोदी सरकार और भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के इस प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी उम्मीद हैं। मोदी सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए 2,104.06 करोड़ रुपये (लगभग 253 मिलियन डॉलर) बजट का ऐलान किया है।
यह एक महत्वाकांक्षी मिशन होगा, जो देश के अतंरिक्ष में अन्वेषण लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए जरूरी तकनीकों के विकास को इस मिशन के तहत ध्यान में रखा जायेगा। बता दें कि भारत ने चंद्रयान 3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा दिया था। इस सफलता से पूरी दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का काबिलियत का डंका बजा था।
चंद्रयान-4 मिशन का फोकस चंद्र कक्षा (Lunar Orbit) में डॉकिंग और अनडॉकिंग, धरती पर वापसी और चंद्रमा की सतह से इकट्ठा किये गये नमूनों का विश्लेषण करना शामिल है। भारत 2035 तक अंतरिक्ष में इंडियन स्पेस स्टेशन की स्थापना करेगा. इसके बाद भारत उन देशों के कतार में जाकर खड़ा हो जायेगा, जिनके पास अपना खुद का स्पेस स्टेशन है।
ऐसा होते ही भारतीय अतंरक्षि यात्री कई दिन तक स्पेस में रह जाएंगे और शोध कर पाएंगे। वहीं 2040 तक भारत का चालक दल के साथ चंद्रमा पर उतरने का बड़ा लक्ष्य है। ऐसे में भारत का चंद्रयान-4 मिशन आगामी लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक अहम कदम होगा। कैबिनेट से तो चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी मिल गयी है, लेकिन अभी इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 36 महीनों का समय लग सकता है।
भारतीय स्पेस एजेंसी इंडियन स्पेस रिपर्ट ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) चंद्रयान-4 अतंरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण का नेतृत्व करेगा। अगर सब कुछ ठीक रहा और अगर चंद्रयान-4 मिशन सफल रहता तो अतंरिक्ष में भारत की एक बड़ी छलांग होगी। साथ ही चंद्रयान की मिट्टी और चट्टानों का रिसर्च कर भारतीय वैज्ञानिक पता लगा पाएंगे कि उसमें क्या-क्या अवयव हैं और वो कितने काम के हो सकते हैं।
एबीएन नॉलेज डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) का अंतिम रॉकेट लॉन्च किया। यह रॉकेट सुबह 9:19 बजे प्रक्षिप्त किया गया। SSLV की यह तीसरी और आखिरी डेवलपमेंटल फ्लाइट है, जिसके सफलतापूर्वक लॉन्च होने के बाद यह रॉकेट पूरी तरह से तैयार माना जाएगा।
इसके माध्यम से ISRO छोटे सैटेलाइट्स को कम लागत में अंतरिक्ष में भेज सकेगा। इस बार SSLV अपने साथ EOS-08 सैटेलाइट को लेकर गया है। EOS-08 सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य धरती की तस्वीरें लेना और मौसम की जानकारी प्रदान करना है। यह सैटेलाइट 24 घंटे धरती की तस्वीरें खींचेगा, जो आपदा प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी और सुरक्षा में सहायक होगी।
इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड: यह दिन और रात दोनों समय धरती की तस्वीरें लेगा, जिससे आपदा प्रबंधन और पर्यावरण निगरानी में मदद मिलेगी। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड: यह समुद्र की सतह, मिट्टी की नमी और हिमालय के ग्लेशियरों की जानकारी देगा और बाढ़ की चेतावनी में भी सहायता करेगा।
सिलिकॉन कार्बाइड अल्ट्रावॉयलेट डोसीमीटर: यह गगनयान मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों की UV रेडिएशन से सुरक्षा की निगरानी करेगा और गामा रेडिएशन का पता लगाएगा। इस मिशन के सफल होने पर ISRO का वाणिज्यिक विभाग, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड, निजी कंपनियों के लिए भी सैटेलाइट लॉन्च कर सकेगा, जिससे अंतरिक्ष में भारत की पकड़ और मजबूत होगी। EOS-08 मिशन का मुख्य उद्देश्य माइक्रोसैटेलाइट्स का विकास, नए उपकरण बनाना और भविष्य के उपग्रहों के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करना है।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse