एबीएन नॉलेज डेस्क। शरीर की शक्तिशाली प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करना आवश्यक है अन्यथा यह हमारे अपने अंगों पर ही हमला कर सकती है। मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को इस संबंध में उनकी अभूतपूर्व खोजों के लिए 2025 का फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला।
यह पुरस्कार शरीर की रक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को बेहतर समझने की खोज- पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस के लिए मिला है। इन खोजों ने अनुसंधान की नई राह खोल दी है। इससे कैंसर तथा आटोइम्यून रोगों के उपचारों को और प्रभावी बनाने में मदद मिल सकती है।
पिछले साल का पुरस्कार अमेरिकी नागरिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को सूक्ष्म आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया था। यह सम्मान 1901 से 2024 के बीच 115 बार 229 नोबेल पुरस्कार विजेताओं को प्रदान किया जा चुका है।
पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस एक ऐसा तरीका है जिससे शरीर अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को अनियंत्रित होने और शरीर के ही ऊतकों पर हमला करने से रोकता है। जिस खोज के लिए वैज्ञानिकों ने इस साल का नोबेल दिया गया है उसमें ये पता लगाया गया है कि नियामक टी कोशिकाओं के रूप में जानी जाने वाली विशेष प्रतिरक्षा कोशिकाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे संतुलित रखती हैं?
टी सेल्स, श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार हैं जो संक्रमणों से शरीर की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये बोन मैरो में उत्पन्न होती हैं और थाइमस ग्रंथि में परिपक्व होती हैं इसीलिए इनका यह नाम पड़ा है। प्रतिरक्षा प्रणाली कई प्रकार की टी कोशिकाएं बनाती है, जिनमें से प्रत्येक की विशिष्ट भूमिकाएं होती हैं।
जहां अधिकांश टी कोशिकाएं बैक्टीरिया, वायरस और कैंसर कोशिकाओं जैसे हानिकारक आक्रमणकारियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने वाले तंत्र की तरह काम करती हैं। वहीं नियामक टी कोशिकाएं शांतिदूतों की तरह काम करती हैं। नियामक-टी कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर के अपने ऊतकों पर गलती से हमला करने से रोकती हैं, जिसे आॅटो इम्यून कहते हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत सरकार की एजेंसी CERT-In ने गूगल क्रोम और मोजिला फायरफॉक्स ब्राउजर यूजर्स के लिए हाई-सीवियरिटी सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया है। एजेंसी ने बताया कि इन ब्राउजर्स के पुराने वर्जन में कई खतरनाक कमजोरियां पायी गयी हैं, जिनका फायदा उठाकर हैकर्स संवेदनशील डेटा चोरी कर सकते हैं या डिवाइस पर मालवेयर चला सकते हैं। सरकार ने यूजर्स को तुरंत अपने ब्राउजर अपडेट करने की सलाह दी है।
CERT-In ने चेतावनी दी है कि क्रोम के उन वर्जन्स में खतरनाक बग मौजूद हैं जो लायनेस पर 141.0.7390.54 और विंडोज macOS पर 141.0.7390.54/55 से पुराने हैं। इनमें WebGPU और वीडियो में हिप बफर ओवरफ्लो स्टोरेज और टैब में डेटा लीक, मीडिया व ड्रमबॉक्स में गलत इंप्लीमेंटेशन जैसी खामियां मिली हैं। इन कमजोरियों का फायदा उठाकर कोई भी रिमोट अटैकर यूजर को मालिशियस वेबसाइट पर भेजकर सिस्टम में कोड चला सकता है और प्राइवेट डेटा तक पहुंच सकता है।
मोजिला फायरफॉक्स के वर्जन 143.0.3 से पुराने और iOS के लिए 143.1 से नीचे वाले वर्जन में भी गंभीर सुरक्षा खामियां मिली हैं। इसमें कुकी स्टोरेज का सही आइसोलेशन न होना, ग्राफिक्स कैनवास 2D में इंटेजर ओवरफ्लो और जावास्क्रिप्ट इंजन में JIT मिस कंप्लीशन जैसी समस्याएं सामने आयी हैं। अगर यूजर किसी मालिशियस वेब रिक्वेस्ट पर क्लिक कर देता है तो हैकर्स सिस्टम पर कंट्रोल पा सकते हैं और ब्राउजर में सेव संवेदनशील डेटा चुरा सकते हैं।
CERT-In ने दोनों अलर्ट को हाई-रिस्क कैटेगरी में रखा है और यूजर्स को तुरंत क्रोम और फायरफॉक्स के लेटेस्ट वर्जन इंस्टॉल करने की सलाह दी है। गूगल और मोजिला दोनों ने ही इन खामियों को दूर करने के लिए सिक्योरिटी पैच जारी कर दिये हैं। यूजर्स CERT-In की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर डिटेल्ड वल्नरेबिलिटी नोट्स और पैच लिंक भी देख सकते हैं।
एबीएन नॉलेज डेस्क। दुनिया की प्रमुख टेक कंपनियों में से एक Microsoft ने इजरायल के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है। कंपनी ने इजरायल को दी जा रही क्लाउड, AI और तकनीकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर दी हैं। Microsoft के प्रेसिडेंट और वाइस चेयरमैन ब्रैड स्मिथ ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह निर्णय जासूसी के गंभीर आरोपों और जांच रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है, जिनमें Microsoft की सेवाओं के दुरुपयोग की बात सामने आई है।
ब्रिटिश अखबार The Guardian और इजरायली पब्लिकेशन +972 Magazine द्वारा अगस्त 2025 में की गई एक संयुक्त जांच में खुलासा हुआ था कि इजरायली सुरक्षा एजेंसियां गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों की व्यापक निगरानी कर रही हैं, और इसके लिए वे Microsoft की Azure Cloud Services का उपयोग कर रही थीं।
Microsoft ने शुरुआती तौर पर इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन बाद में आंतरिक जांच में कुछ तथ्यों की पुष्टि होने पर यह बड़ा कदम उठाया गया। कंपनी ने साफ किया कि वह किसी भी देश को अपनी सेवाओं का उपयोग निगरानी या जासूसी के लिए नहीं करने देती, और अगर ऐसा होता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है।
Microsoft ने इजरायली मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस (IMOD) को भेजे नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि उनके साथ की गई सभी तकनीकी साझेदारियां अब समाप्त की जा रही हैं। इसमें शामिल हैं:
संयुक्त रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि इजरायली सेना और खुफिया एजेंसियां Microsoft की क्लाउड टेक्नोलॉजी का प्रयोग फिलिस्तीनी नागरिकों की जासूसी, पहचान और मूवमेंट ट्रैकिंग के लिए कर रही हैं। रिपोर्ट में इस बात के प्रमाण भी दिए गए कि Azure प्लेटफॉर्म पर डेटा एनालिटिक्स और AI आधारित टूल्स के जरिए फिलिस्तीनियों की निजी जानकारी इकट्ठा की जा रही थी। Microsoft ने अपनी ओर से इन आरोपों की स्वतंत्र जांच करवाई, और जब कुछ तथ्यों की पुष्टि हुई, तो कंपनी ने यह निर्णय लिया।
ब्रैड स्मिथ ने अपने ब्लॉगपोस्ट में लिखा: Microsoft किसी भी हालत में अपनी टेक्नोलॉजी का उपयोग निगरानी या मानवाधिकार हनन जैसे उद्देश्यों के लिए नहीं होने देगा। हमने इजरायली रक्षा मंत्रालय को सूचित कर दिया है कि हमारी सेवाएं, जिनमें AI और क्लाउड स्टोरेज शामिल हैं, तत्काल प्रभाव से बंद की जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम कंपनी की नीति के अनुसार लिया गया है, ताकि विश्व स्तर पर उसकी नैतिक और पारदर्शी छवि बनी रहे।
इस प्रकरण ने वैश्विक स्तर पर AI और क्लाउड टेक्नोलॉजी के उपयोग को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या बड़ी टेक कंपनियों को इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि उनकी सेवाओं का प्रयोग कैसे और कहां किया जा रहा है? Microsoft ने इस घटना को एक उदाहरण बनाते हुए यह साफ कर दिया है कि यदि कोई सरकार या संस्था उनके प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग करती है, तो कंपनी चुप नहीं बैठेगी।
फिलहाल इजरायल की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि Microsoft के इस निर्णय से इजरायली रक्षा और साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर असर पड़ सकता है।
एबीएन नॉलेज डेस्क। चंद्रमा, जो हमेशा से शांत और निर्जीव ग्रह के रूप में जाना जाता रहा है, वहां जंग लगने की घटना ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। चांद पर हवा का अभाव होने के बावजूद हेमेटाइट नामक लौह-समृद्ध खनिज की मौजूदगी ने इस रहस्य को और बढ़ा दिया है। हेमेटाइट आमतौर पर आॅक्सीजन और पानी के संपर्क में आने से बनता है, लेकिन चंद्रमा पर दोनों तत्व सीमित मात्रा में हैं।
भारत के चंद्रयान-1 मिशन की रिसर्च ने भी इसी दिशा में संकेत दिये थे, जिससे अब इस खोज को और पुष्टिप्राप्ति मिली है। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, जंग तब बनती है जब लोहा आक्सीजन और पानी के संपर्क में आता है। हाल ही में हुए अध्ययनों में चंद्रमा की सतह, विशेषकर ध्रुवीय क्षेत्रों में, हेमेटाइट पाए गए हैं।
यह खोज चंद्रमा पर जंग लगने की प्रक्रिया को समझने में नए आयाम खोलती है।साल 2020 में भारतीय चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में हेमेटाइट की उपस्थिति की पुष्टि की थी। इस मिशन ने चंद्रमा की सतह से डेटा इकट्ठा किया, जिसमें पानी के अणुओं के प्रमाण भी शामिल हैं। नासा और हवाई इंस्टीट्यूट आफ जियोफिजिक्स एंड प्लैनेटोलॉजी के शोधकर्ताओं ने इस डेटा का विश्लेषण किया और हेमेटाइट के संकेत पाये।
वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर जंग लगने में पृथ्वी का योगदान हो सकता है। चंद्रमा पृथ्वी की चुंबकीय पूंछ के संपर्क में आता है, जो आॅक्सीजन अणुओं को चंद्रमा तक ले जाने में मदद करती है। चंद्रमा के 28 दिन के चक्र में लगभग छह दिनों तक पूर्णिमा के समय यह प्रक्रिया सबसे प्रभावी होती है। यह आक्सीजन के स्रोत को समझाने में मदद करती है, हालांकि पानी की भूमिका अभी भी रहस्यमय बनी हुई है।
जिलियांग और उनकी टीम ने प्रयोगशाला में पृथ्वी की हवा की नकल कर यह देखा कि कैसे हाइड्रोजन और आक्सीजन आयनों से चंद्रमा के लौह-समृद्ध खनिज क्रिस्टल हेमेटाइट में बदल सकते हैं। कुछ क्रिस्टलों में यह प्रक्रिया उलटकर भी होती है, जिससे लोहे में परिवर्तन होता है। यह प्रयोग चंद्रमा पर जंग लगने की संभावित प्रक्रियाओं को समझने में मददगार साबित हुआ है।
एबीएन नॉलेज डेस्क। अमेरिका मे जब एक कैदी को फॉंसी की सजा सुनाई गई तो वहॉं के कुछ बैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इस कैदी पर कुछ प्रयोग किया जाय। तब कैदी को बताया गया कि हम तुम्हें फॉंसी देकर नहीं परन्तु जहरीला कोबरा सांप डसाकर मारेंगे।
और उसके सामने बड़ा सा जहरीला सांप ले आने के बाद कैदी की ऑंखे बंद करके कुर्सी से बॉंधा गया और उसको सॉंप नहीं बल्कि दो सेफ्टी पिन्स चुभायी गयी और क्या हुआ कैदी की कुछ सेकेन्ड मे ही मौत हो गई, पोस्टमार्टम के बाद पाया गया कि कैदी के शरीर मे सांप के जहर के समान ही जहर है।
अब ये जहर कहॉं से आया जिसने उस कैदी की जान ले ली। वो जहर उसके खुद शरीर ने ही सदमे मे उत्पन्न किया था । हमारे हर संकल्प से पाजिटीव एवं निगेटीव एनर्जी उत्पन्न होती है और वो हमारे शरीर मे उस अनुसार होर्मोंन्स उत्पन्न करती है।
75% बीमारियों का मूल कारण नकारात्मक सोंच से उत्पन्न ऊर्जा ही है। आज इंसान ही अपनी गलत सोंच से भस्मासुर बन खुद का विनाश कर रहा है। अपनी सोंच सदैव सकारात्मक रखें और खुश रहें।
एबीएन नॉलेज डेस्क। खगोलीय घटनाओं को वैज्ञानिक नजरिए से देखने-समझने का अभ्यास करने वाले लोगों के लिए चंद्र ग्रहण धर्म से इतर भी गूढ़ अर्थ रखता है।
आज साल 2025 के अंतिम चंद्र ग्रहण के दौरान देशभर में ब्लड मून देखा गया। लगभग तीन साढ़े घंटे से अधिक समय तक चांद पर धरती की छाया पड़ती रही। चंद्रग्रहण की पूरी अवधि में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच रही और चांद पर सूर्य का प्रकाश सीधे नहीं पड़ा।
देशभर से इस खगोलीय घटना की तस्वीरें सामने आई हैं। दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई जैसे शहरों से चांद और ब्लड मून की अलग-अलग छवियां सामने आईं। देखिए ब्लड मून यानी रक्त जैसी लालिमा लिए चंद्रमा की चुनिंदा तस्वीरें।
एबीएन नॉलेज डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के बीच चंद्रयान-5 मिशन के लिए हुए समझौते का स्वागत किया।
यह मिशन लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (एलयूपीईएक्स) परियोजना के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव और वहां छिपे संसाधनों, खासकर पानी की बर्फ (लूनर वॉटर) की खोज करेगा। यह भारत का पांचवां चंद्रयान मिशन होगा।
इससे पहले 2023 में भारत ने चंद्रयान-3 के जरिये इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की थी, जिसकी दुनियाभर में सराहना हुई। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने कहा, हम इसरो और जाक्सा के बीच चंद्रयान-5 मिशन के लिए सहयोग का स्वागत करते हैं।
हमारी सक्रिय भागीदारी अब पृथ्वी की सीमाओं से आगे बढ़ चुकी है और यह मानवता की प्रगति का प्रतीक बनेगी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की वैज्ञानिक यात्रा दृढ़ निश्चय, मेहनत और नवाचार का परिणाम है। उन्होंने बताया कि जापानी तकनीक और भारतीय नवाचार मिलकर नई ऊंचाइयों को छुएंगे।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सेमी क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन और विद्युत प्रणोदन प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश अपने वैज्ञानिकों के प्रयास से जल्द ही गगनयान की उड़ान भरेगा।
श्री मोदी ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर देश के वैज्ञानिकों और तकनीक सेवाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में निरंतर नए आयाम तय कर रहा है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रशासन और जन सुविधा के क्षेत्र में इस्तेमाल हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत सेमी क्रायोजेनिक इंजन और इलेक्ट्रिक प्रपल्सन जैसी नयी उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जल्द ही, आप सब वैज्ञानिकों की मेहनत से, भारत गगनयान की उड़ान भी भरेगा... और आने वाले समय में, भारत अपना स्पेस स्टेशन भी बनायेगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत के युवाओं में उत्साह और आकर्षण का अवसर बन गया हैजो देश के लिए गर्व की बात है। श्री मोदी ने कहा कि मैं स्पेस सेक्टर से जुड़े सभी लोगों को, वैज्ञानिकों को, सभी युवाओं को नेशनल स्पेस डे की बधाई देता हूं। आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भारत में राजकाज का भी हिस्सा बन रही है।
उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना में उपग्रह आधारित आकलन हो रहा है। मछुआरों को उपग्रह से मिल रही जानकारी और सुरक्षा प्रदान की जा रही ह। आपदा प्रबंधन का कार्य हो या प्रधानमंत्री गज शक्ति कार्यक्रम में भू स्थानक सूचना का अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो, आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की प्रगति सामान्य नागरिकों का जीवन आसान बना रही है।
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