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Published / 2024-12-19 20:43:17
नितिन गडकरी का दावा : 2030 तक 20 लाख करोड़ का होगा भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार

एबीएन सेंट्रल डेस्क। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार का आकार 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है और इससे समूचे ईवी परिवेश में करीब पांच करोड़ नौकरियों का सृजन होगा। गडकरी ने ई-वाहन उद्योग की स्थिरता पर 8वें कैटलिस्ट कॉन्फ्रेंस- ईवी एक्सपो-2024 को संबोधित करते हुए कहा कि अनुमान है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन के वित्तपोषण यानी फाइनेंस के बाजार का आकार करीब चार लाख करोड़ रुपये होगा।  

उन्होंने कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की क्षमता 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपए होगी जिससे संपूर्ण ईवी परिवेश में पांच करोड़ नौकरियों का सृजन होगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि भारत में 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार है। गडकरी ने कहा- हम 22 लाख करोड़ रुपए मूल्य के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं, जो एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। 

जीवाश्म ईंधन का यह आयात हमारे देश में कई समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। मंत्री ने कहा कि सरकार हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि भारत की 44 प्रतिशत बिजली की खपत सौर ऊर्जा पर आधारित है। उन्होंने कहा, हम जल विद्युत उसके बाद सौर ऊर्जा, हरित ऊर्जा खासकर बायोमास के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। 

अब सौर ऊर्जा हम सभी के लिए महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है। गडकरी ने देश में इलेक्ट्रिक बसों की समस्या पर भी प्रकाश डाला। मंत्री ने कहा, हमारे देश को एक लाख इलेक्ट्रिक बसों की जरूरत है लेकिन अभी हमारे पास केवल 50 हजार बस हैं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि यही आपके लिए अपने कारखाने का विस्तार करने का सही समय है। 

गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिमार्ताओं से गुणवत्ता के साथ समझौता न करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि 2014 में जब उन्होंने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था तब मोटर वाहन उद्योग का आकार सात लाख करोड़ रुपए था। मंत्री ने कहा, आज यह (मोटर वाहन उद्योग का आकार) 22 लाख करोड़ रुपये है। 

हम दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं। हमने हाल ही में जापान को पीछे छोड़ा है। इस सूची में 78 लाख करोड़ रुपये के मोटर वाहन उद्योग के साथ अमेरिका पहले स्थान पर और चीन 47 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है।

Published / 2024-12-17 21:16:30
पीएम किसान सम्मान निधि की राशि 6000 से 12000 करने की तैयारी

  • किसानों के खाते में 12,000 रुपये ट्रांसफर करने की तैयारी! संसदीय समिति ने की ये बड़ी सिफारिश 
  • इसके अलावा, संसद की कृषि संबंधी स्थायी समिति ने छोटे किसानों के लिए अनिवार्य फसल बीमा की सिफारिश की है 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। संसद की एक समिति ने कृषि मंत्रालय का नाम बदलने और पीएम किसान निधि योजना की वार्षिक राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये करने की सिफारिश की है। लोकसभा में कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और फूड प्रोसेसिंग संबंधी स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में 2024-25 के अनुदान मांगों पर अपनी रिपोर्ट पेश की। 

समिति ने कहा कि फार्म लेबरर्स (कृषि मजदूरों) की भूमिका को भी पहचानते हुए कृषि और किसान कल्याण विभाग का नाम बदलकर कृषि, किसान और कृषि मजदूर कल्याण विभाग किया जाना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि किसानों को दिये जाने वाले मौसमी प्रोत्साहन (सीजनल इंसेंटिव) का लाभ बटाईदार किसानों और कृषि मजदूरों को भी मिलना चाहिए। 

एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की जरूरत 

रिपोर्ट में कहा गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का सही तरीके से लागू होना कृषि सुधार और किसानों के कल्याण के लिए बेहद जरूरी है। समिति ने सुझाव दिया कि कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी लागू किया जाना चाहिए ताकि किसानों को आर्थिक स्थिरता मिले, बाजार में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिले और कर्ज के बोझ से राहत मिले। समिति ने कहा कि ऐसा करने से किसानों की आत्महत्या की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। 

छोटे किसानों के लिए अनिवार्य फसल बीमा और कृषि मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन आयोग की सिफारिश 

संसद की कृषि संबंधी स्थायी समिति ने छोटे किसानों के लिए अनिवार्य फसल बीमा की सिफारिश की है। समिति ने कहा कि दो हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को केंद्र की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) की तर्ज पर फसल बीमा का लाभ मिलना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कृषि मजदूरों के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम जीवनयापन वेतन आयोग जल्द से जल्द स्थापित किया जाये।

ताकि उन्हें उनके लंबे समय से पेंडिंग अधिकार मिल सकें। समिति ने किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों और कृषि संकट के लिए बढ़ते कर्ज को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र से किसानों और कृषि मजदूरों के कर्ज माफी की योजना शुरू करने की मांग की है। 

कृषि विभाग के बजट आवंटन पर चिंता 

समिति ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण विभाग को 2021-22 से 2024-25 के बीच भले ही कुल राशि में अधिक बजट मिला हो, लेकिन केंद्र की कुल योजना खर्च में इसका हिस्सा 3.53 प्रतिशत (2020-21) से घटकर 2.54 प्रतिशत (2024-25) हो गया है। समिति ने कृषि क्षेत्र में बजट बढ़ाने की सिफारिश की, ताकि उत्पादकता में सुधार हो सके। 

समिति ने कहा कि 2023-24 में पूंजीगत कार्यों के लिए 10.41 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था जिसे संशोधित बजट (फए) में घटाकर 9.96 करोड़ रुपये कर दिया गया। हालांकि, इसमें से केवल 3.389 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए। समिति ने 60 प्रतिशत से अधिक राशि के खर्च न होने पर चिंता जताई और कहा कि पूंजीगत कार्यों के लिए सही योजना बनाकर बजट का उचित इस्तेमाल किया जाए।

Published / 2024-12-17 21:02:01
झारखंड का बकाया नहीं देगा केंद्र!

केंद्र ने झारखंड को 1.36 लाख करोड़ देने से किया इनकार, सीएम हेमंत ने की थी कोयला रॉयल्टी के बकाये की मांग 

टीम एबीएन, रांची। झारखंड सरकार केंद्र से 1.36 लाख करोड़ रुपये से बकाये की लंबे समय से मांग रही है। वहीं अब वित्त मंत्रालय ने झारखंड सरकार की इस मांग को ठुकराते हुए साफ तौर पर कह दिया है कि केंद्र का कोई भी बकाया झारखंड की तरफ नहीं है। 

दरअसल, सोमवार को बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में सवाल पूछा कि कोयले से राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार की हिस्सेदारी 1.40 लाख करोड़ केंद्र सरकार के पास लंबित है, उसे ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है। 

पप्पू यादव के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा कि केंद्र का कोई भी बकाया झारखंड की तरफ नहीं है। कोयले से प्राप्त 1.40 लाख करोड़ रुपये के राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है। केंद्र की ओर से राज्यों को धन आवंटन में कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

सीएम हेमंत सोरेन ने दी प्रतिक्रिया 

केंद्र द्वारा झारखंड के बकाया राशि की मांग ठुकराये जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि झारखंड भाजपा के सांसदों से उम्मीद है कि वे हमारे इस जायज मांग को दिलवाने के लिए अपनी आवाज अवश्य बुलंद करेंगे। झारखंड के विकास के लिए यह राशि नितांत आवश्यक है।

Published / 2024-12-17 21:00:24
एक देश एक चुनाव पर संसद में बिल को लेकर तीखी बहस

एक देश, एक चुनाव पर राजनीतिक दलों के सुर हुए अलग, जानिये किस पार्टी ने क्या कहा... 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत में चुनावों की प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर से चर्चा का विषय बने एक देश, एक चुनाव की परिकल्पना को लेकर मंगलवार को संसद में एक अहम कदम उठाया गया। सरकार ने संसद में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किये। इन विधेयकों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ किए जायें, जिससे चुनावों में होने वाले खर्च और संसाधनों का कुशल उपयोग हो सके।  

लोकसभा में हुआ जोरदार हंगामा 

जैसे ही यह विधेयक लोकसभा में पेश हुआ, हंगामे का माहौल बन गया। लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को पेश किया, जिसके बाद विपक्षी दलों ने इस पर विरोध जताया। 

इस विधेयक के पक्ष में और विपक्ष में तीखी बहस हुई और बाद में डिवीजन के बाद इसे सदन में पेश किया गया। इसके बाद विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का निर्णय लिया गया। 

कांग्रेस ने उठाये सवाल, विधेयक को संविधान विरोधी बताया 

विपक्षी दलों ने एक देश, एक चुनाव विधेयक पर कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने संविधान संशोधन विधेयक को संविधान के मौलिक ढांचे और संघीय संरचना के खिलाफ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची का उल्लंघन करता है और संघीय व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास है। तिवारी का आरोप था कि संविधान की कुछ विशेषताएं ऐसी हैं, जो संसद के संशोधन के अधिकार से भी परे हैं और यह विधेयक उन्हें बदलने की कोशिश कर रहा है। 

लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने भी इस विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये राष्ट्रपति को अत्यधिक शक्तियां दी जा रही हैं, जो असंवैधानिक हैं। गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि इस विधेयक में चुनाव आयोग को अधिकार देने का प्रावधान असंवैधानिक है, क्योंकि चुनाव आयोग केवल सरकार के परामर्श से काम करता है, जबकि अब यह प्रस्तावित है कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग से परामर्श लेंगे। 

समाजवादी पार्टी ने सरकार पर साधा निशाना 

समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी इस विधेयक पर अपनी आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा कि संविधान को बचाने की बात करने वाली सरकार अब उसे बदलने की कोशिश कर रही है। 

यादव ने आरोप लगाया कि सरकार तानाशाही की ओर बढ़ रही है और एक साथ चुनाव कराने के फैसले से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर किया जा सकता है। उनका कहना था कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना को नष्ट कर सकता है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। 

शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का समर्थन

वहीं, कुछ दलों ने इस विधेयक का समर्थन भी किया। शिवसेना (शिंदे गुट) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने एक देश, एक चुनाव के पक्ष में अपनी राय दी। शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि यह चुनाव सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे चुनावी खर्च में कमी आयेगी। 

टीडीपी के सांसद चंद्रशेखर पेम्मासानी ने भी इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि चुनावों में होने वाला खर्च बहुत बढ़ चुका है और एक साथ चुनाव कराने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

Published / 2024-12-16 21:10:22
...और अनंत की यात्रा पर निकल गये जाकिर

विश्व विख्यात तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन पर किया शोक व्यक्त

एबीएन सेंट्रल डेस्क। विश्व विख्यात सुप्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के आकस्मिक निधन पर कवि सम्मेलन आयोजन समिति एवं रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने गहरा शोक संवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है। 

संगीत नाटक अकादमी, ग्रैमी, पद्मश्री, पद्म भूषण व पद्म विभूषण जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, सुप्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन कला एवं संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को ही उम्र भर जिया, तथा उन्होंने भारत ही नहीं पूरे विश्व को भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति आकृष्ट किया। उनके निधन के साथ ही एक युग का अवसान हुआ है। 

शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष ललित कुमार पोद्दार, महामंत्री विनोद कुमार जैन, कवि सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार नारसरिया, सचिव अनिल अग्रवाल, सुरेश चंद्र अग्रवाल, पवन पोद्दार, पवन शर्मा, मनोज चौधरी, प्रमोद अग्रवाल, अनिल कुमार अग्रवाल,  कौशल राजगढ़िया, किशोर मंत्री, कमलेश संचेती, कमल जैन, प्रमोद सारस्वत, निर्भय शंकर हारित, मनोज बजाज, संतोष अग्रवाल, अंजय सरावगी,रतन मोर, रमन वोडा, अनूप अग्रवाल, पुनीत अग्रवाल, राजेश भरतिया, निर्मल बुधिया, विकास अग्रवाल, सौरभ बजाज, मनीष लोधा, अमित बजाज, रौनक झुनझुनवाला, अमित चौधरी, सनी टिबड़ेवाल, विशाल पाड़िया आदि शामिल है।

Published / 2024-12-14 21:37:53
संसद में मोदी ने विपक्ष के हर आरोप का दिया तीखा जवाब

शनिवार को भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा पर संसद में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के हर आरोप का सिलेवार जवाब दिया 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को असाधारण करार देते हुए शनिवार को कहा कि देश विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है। संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 75 वर्ष की ये उपलब्धि असाधारण है। जब देश आजाद हुआ और उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गयी थीं उन संभावनाओं को निरस्त करते हुए, परास्त करते हुए भारत का संविधान हमें यहां तक ले आया है। 

संसद में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है और 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प उसे स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक विकसित भारत बनाने का है। इस महान उपलब्धि के लिए संविधान निर्माताओं के साथ-साथ देश के कोटि-कोटि नागरिकों को आदरपूर्वक नमन करते हुए मोदी ने कहा कि संविधान की ही देन है कि उन्हें लगातार तीन बार प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में कई उतार और चढ़ाव आए लेकिन देश की जनता हमेशा संविधान के साथ खड़ी रही लेकिन कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को भावना को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 

कांग्रेस-नेहरू-गांधी परिवार पर संसद में मोदी 

कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस यात्रा में पचपन साल तक एक परिवार ने राज किया और इस परिवार की कुविचार, कुरीति और कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। आजादी के बाद 1952 तक अस्थायी व्यवस्था थी क्योंकि चुनाव नहीं हुए थे और अंतरिम व्यवस्था थी। राज्यों में भी चुनाव नहीं हुए थे और जनता का कोई आदेश नहीं था और 1951 इन्होंने अध्यादेश के जरिए संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया। यह संविधान निर्माताओं का भी अपमान था। जब संविधान सभा में उनकी कुछ न चली तो जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर हथौड़ा मार दिया। 

कश्मीर के अनुच्छेद 370 पर संसद में मोदी 

विविधता में एकता को भारत की विशेषता बताते हुए मोदी ने कहा कि आज का यह अवसर देश की प्रगति भी विविधता का उत्सव मनाने का भी है। लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने और भारत का भला न देख पाने वाले लोगों ने इस विविधता में भी विरोधाभास ढूंढ़ा। वे इस उत्सव को मनाने के बजाय उस विविधता में ऐसे जहरीले बीज बोने के प्रयास करते रहे, ताकि देश की एकता पर चोट पहुंचे। अनुच्छेद 370 यही था। देश की एकता में दीवार बना पड़ा था, लेकिन देश की एकता हमारी प्राथमिकता थी, जो हमारी संविधान की भावना थी। इसीलिए अनुच्छेद 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया। 

इमरजेंसी पर संसद में मोदी 

आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्षी दल के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा। दुनिया में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी तो कांग्रेस के माथे से कभी यह कलंक मिट नहीं सकेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। भारतीय संविधान निर्माताओं की तपस्या को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गयी थी। भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है और इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। जब हम संविधान लागू होने के 75 वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तो अच्छा संयोग है कि राष्ट्रपति पद पर एक महिला आसीन हैं जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है।

Published / 2024-12-14 13:14:41
न्यू ईयर में धमाकेदार ऑफर से लोगों को रिझाने में जुटीं मोबाइल कंपनियां

  • जियो के बाद एयरटेल का न्यू ईयर का धमाकेदार ऑफर
  • नये प्लान में जबरदस्त बेनिफिट्स और एक्स्ट्रा वैलिडिटी
  • एयरटेल के 379 वाले प्लान में पूरे महीने की वैधता के साथ अनलिमिटेड कॉलिंग
  • हर दिन 2 जीबी हाई-स्पीड डेटा और 100 फ्री एसएमएस का फायदा मिलेगा

एबीएन बिजनेस डेस्क। रिलायंस जियो के न्यू ईयर वेलकम प्लान के बाद एयरटेल ने भी अपने ग्राहकों के लिए एक धमाकेदार प्रीपेड प्लान की पेशकश की है। इस प्लान को रिचार्ज करने पर ग्राहक 200 दिनों तक इस प्लान का लाभ उठा सकेंगे।

आइये, जानते हैं एयरटेल के प्रीपेड रिचार्ज प्लान के बारे में

एयरटेल के नये प्लान की कीमत 398 रुपये है। इस प्लान में यूजर्स को पूरे भारत में किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉलिंग का फायदा मिलेगा। साथ ही, अनलिमिटेड 5जी डेटा भी मिलेगा, जिसमें हर दिन पहले 2जीबी डेटा हाई-स्पीड पर मिलेगा। यह सुविधा सिर्फ 5जी स्मार्टफोन वाले यूजर्स के लिए है। इसके अलावा, ग्राहकों को रोजाना 100 फ्री एसएमएस भी मिलेंगे। यह प्लान 28 दिनों तक वैध है और इसमें डिजनी + हॉट स्टार मोबाइल एडिशन का सब्सक्रिप्शन भी शामिल है।

एयरटेल के अन्य प्लान भी मौजूद हैं। 379 वाले प्लान में पूरे महीने की वैधता के साथ अनलिमिटेड कॉलिंग, हर दिन 2जीबी हाई-स्पीड डेटा और 100 फ्री एसएमएस का फायदा मिलेगा। वहीं, 349 वाले प्लान में 28 दिनों की वैधता के साथ रोजाना 1.5जीबी डेटा, अनलिमिटेड कॉलिंग और 100 फ्री एसएमएस का बेनिफिट मिलेगा।

वहीं, 355 वाले प्लान की वैधता 30 दिनों की है। इसमें अनलिमिटेड कॉलिंग, हर दिन 100 एसएमएस और कुल 25जीबी डेटा मिलता है, जिसमें कोई डेली लिमिट नहीं है।

जियो ने भी शुरू किया न्यू ईयर स्पेशल प्लान

जियो ने अपने ग्राहकों के लिए सिर्फ 2025 रुपये का प्रीपेड रिचार्ज प्लान जारी किया है। इस ऑफर का नाम न्यू ईयर वेलकम प्लान है। यह प्लान 2,025 की कीमत का है और इसकी वैलिडिटी 200 दिनों की है। इसमें ग्राहकों हर दिन 2.5जीबी हाई-स्पीड इंटरनेट मिलेगा, यानी पूरे प्लान में कुल 500जीबी डेटा। यह खास न्यू ईयर वेलकम ऑफर है, जो कि 11 दिसंबर से शुरू हो गया है और 11 जनवरी तक उपलब्ध रहेगा। ग्राहक इसे रिलायंस जियो की वेबसाइट या माई जियो ऐप के जरिए आसानी से रिचार्ज कर एक्टिवेट करवा सकते हैं। यह ऑफर पूरे देश में ग्राहकों के लिए उपलब्ध है।

Published / 2024-12-12 22:52:42
वार्ड एक कुंभराज में मुख्यमंत्री जन कल्याण अभियान के तहत घर-घर जाकर किया गया सर्वे

कमल सिंह लोधा की रिपोर्ट

एबीएन सेंट्रल डेस्क (कुंभराज)। कस्बा कुंभराज के वार्ड क्रमांक एक में मध्य प्रदेश शासन के महत्वपूर्ण कार्यक्रम मुख्यमंत्री जन कल्याण अभियान के अंतर्गत हल्का पटवारी प्रवेंद्र सिंह राणा द्वारा गठित दल के साथ घर घर जाकर घर-घर जाकर लोगों को मध्य प्रदेश शासन की हितग्राही मूलक योजना की जानकारी दी गयी। 

साथ ही एवं पात्र व्यक्तियों से मौके पर ही आवेदन लिये गये। सर्वे के दौरान वार्ड वासियों के द्वारा कुछ स्थानीय समस्याएं जैसे सड़क पानी बिजली आदि भी सर्वे दल को बताये गये, जिनको आवेदन के रूप में लिया गया सर्वे के दौरान नगर पालिका की टीम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं अन्य शासकीय कर्मचारी उपस्थित रहे।

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