एबीएन एडिटोरियल डेस्क। टिमोथी और ग्रेस गे का घर, जो क्रिसमस के समय लाखों पर्यटकों का आकर्षण बन जाता है। इस घर में जलने वाले 7,20,420 बल्ब एक जादुई माहौल तैयार करते हैं, जो संगीत और रंगों के साथ बदलते रहते हैं। शुरुआत में, इस दंपति ने अपने पहले बच्चे के जन्मोत्सव पर घर को सजाया था, लेकिन धीरे-धीरे यह शौक गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। 2012 में उन्होंने रिकॉर्ड अपने नाम किया और तब से उनका नाम लगातार इसमें शामिल है।
गांव का एक घर अपनी जगमगाहट के कारण गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है। इस अनूठे प्रकाशमान घर के कारण एक छोटा-सा गांव क्रिसमस के अवसर पर चर्चित पर्यटन स्थल बन जाता है। गांव की आबादी तो वह मुश्किल 4600 लोगों की है, लेकिन क्रिसमस के दौरान यहां 60000 पर्यटकों का रेला उमड़ पड़ता है जो सिर्फ इस घर की रोशनी को देखने के लिए आते हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं न्यूयॉर्क के ग्रामीण डचेज काउंटी के यूनियन वाले में मौजूद दंपति टिमोथी और ग्रेस गे के घर की। यूनियन वाले गांव की अंधेरे माहौल से दूर से किसी प्रकाश स्तंभ की तरह चमकता हुआ दिखता है उनका यह अनूठा घर। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस घर में 7,20,420 बल्ब जलते हैं। ये बल्ब एक साउंड ट्रैक से जुड़े हुए हैं और करीब ढाई सौ गीतों की धुन पर बार-बार रंग बदलते हैं। इससे माहौल पूरा जादुई और मनोरंजक हो जाता है। यहां एक तालाब है जिसके ऊपर एक बड़ा-सा ग्लोब, हार्ट, तारे और इंद्रधनुष लटकाये गये हैं। जाहिर है ये सभी रंग-बिरंगे बल्बों से बने हुए हैं। इनका प्रतिबिंब जब जल में पड़ता है तो लगता है मानो हम किसी मायालोक में आ गये हैं।
पति और पत्नी यानी टिमोथी और ग्रेस गे ने सबसे पहले अपने इस घर में को 1995 में रोशन किया था। यह मौका था उनके पहले बच्चे के जन्मोत्सव का। अपनी खुशी का इजहार करने के लिए इस दंपति ने अपने घर को 600 रंग-बिरंगे बल्बों से सजाया था। कुछ वर्षों बाद शौक-शौक में उन्होंने अपने 1.7 एकड़ में विस्तृत आवासीय परिसर के सामने तालाब के आसपास मौजूद पेड़ों और झाड़ियां को भी मिनी बल्बों की झालर से सजा दिया।
वर्ष 2011 में उन्हें पता चला कि आस्ट्रेलिया का एक दंपति भी अपने घर को लाइटों से सजाता है, जिनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। उस दंपति से वे सिर्फ कुछ बल्बों की दूरी पर हैं। फिर क्या था टिमोथी और ग्रेस गे ने यह रिकार्ड अपने नाम करने की ठान ली। अपनी मेहनत से 2012 में उन्होंने यह रिकॉर्ड हासिल कर लिया। सन?् 2013 में 1 वर्ष के लिए वे पिछड़ गए थे मगर 2014 से अब तक उनका ही नाम गिनीज बुक में दर्ज है। अपने इस अनूठे शौक के कारण इस दंपति की ख्याति राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई है और उनके साथ-साथ उनका गांव भी दुनिया भर में चर्चित हो गया है।
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