एबीएन सेंट्रल डेस्क। संसद की एक समिति ने कृषि मंत्रालय का नाम बदलने और पीएम किसान निधि योजना की वार्षिक राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये करने की सिफारिश की है। लोकसभा में कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और फूड प्रोसेसिंग संबंधी स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में 2024-25 के अनुदान मांगों पर अपनी रिपोर्ट पेश की।
समिति ने कहा कि फार्म लेबरर्स (कृषि मजदूरों) की भूमिका को भी पहचानते हुए कृषि और किसान कल्याण विभाग का नाम बदलकर कृषि, किसान और कृषि मजदूर कल्याण विभाग किया जाना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि किसानों को दिये जाने वाले मौसमी प्रोत्साहन (सीजनल इंसेंटिव) का लाभ बटाईदार किसानों और कृषि मजदूरों को भी मिलना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का सही तरीके से लागू होना कृषि सुधार और किसानों के कल्याण के लिए बेहद जरूरी है। समिति ने सुझाव दिया कि कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी लागू किया जाना चाहिए ताकि किसानों को आर्थिक स्थिरता मिले, बाजार में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिले और कर्ज के बोझ से राहत मिले। समिति ने कहा कि ऐसा करने से किसानों की आत्महत्या की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।
संसद की कृषि संबंधी स्थायी समिति ने छोटे किसानों के लिए अनिवार्य फसल बीमा की सिफारिश की है। समिति ने कहा कि दो हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को केंद्र की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) की तर्ज पर फसल बीमा का लाभ मिलना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कृषि मजदूरों के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम जीवनयापन वेतन आयोग जल्द से जल्द स्थापित किया जाये।
ताकि उन्हें उनके लंबे समय से पेंडिंग अधिकार मिल सकें। समिति ने किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों और कृषि संकट के लिए बढ़ते कर्ज को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्र से किसानों और कृषि मजदूरों के कर्ज माफी की योजना शुरू करने की मांग की है।
समिति ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण विभाग को 2021-22 से 2024-25 के बीच भले ही कुल राशि में अधिक बजट मिला हो, लेकिन केंद्र की कुल योजना खर्च में इसका हिस्सा 3.53 प्रतिशत (2020-21) से घटकर 2.54 प्रतिशत (2024-25) हो गया है। समिति ने कृषि क्षेत्र में बजट बढ़ाने की सिफारिश की, ताकि उत्पादकता में सुधार हो सके।
समिति ने कहा कि 2023-24 में पूंजीगत कार्यों के लिए 10.41 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था जिसे संशोधित बजट (फए) में घटाकर 9.96 करोड़ रुपये कर दिया गया। हालांकि, इसमें से केवल 3.389 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए। समिति ने 60 प्रतिशत से अधिक राशि के खर्च न होने पर चिंता जताई और कहा कि पूंजीगत कार्यों के लिए सही योजना बनाकर बजट का उचित इस्तेमाल किया जाए।
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