एबीएन सोशल डेस्क। विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि अन्नपूर्णा जयंती हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो देवी अन्नपूर्णा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। अन्नपूर्णा का अर्थ है जो अन्न प्रदान करने वाली हैं, और उन्हें भोजन, पोषण और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है।
पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती होती है इस वर्ष 14 दिसंबर को 4 बजकर 58 मिनट से मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरूआत होगी. इस तिथि की समाप्ति 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती होगी। माना जाता है कि मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि पर ही मां पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप धारण किया था, इसलिए हर साल इसी तिथि पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है।
अन्नपूर्णा देवी का पूजन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए होता है, जो अन्न, भोजन और समृद्धि की कामना करते हैं। देवी अन्नपूर्णा का प्रमुख स्वरूप एक महिला देवी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो एक कटोरी में अन्न लेकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा ने भगवान शिव को भोजन दिया था, जब वे भूख से व्याकुल थे।
इस प्रकार अन्नपूर्णा देवी को संसार में अन्न और खाद्य की देवी माना जाता है,और उनकी पूजा से घरों में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है। अन्नपूर्णा जयंती का पर्व विशेष रूप से घरों में पूजा और व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है और घरों में साफ-सफाई की जाती है। भक्तगण देवी अन्नपूर्णा के मंदिरों में जाकर उनकी पूजा करते हैं और अन्न, चावल, फल, और अन्य खाद्य सामग्री का भोग अर्पित करते हैं।
इसके साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान करने की परंपरा भी है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्नपूर्णा जयंती पर विशेष रूप से यह संदेश दिया जाता है कि हमें अन्न का सदुपयोग करना चाहिए और उसे व्यर्थ नहीं फेंकना चाहिए। देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त शुद्ध आस्था और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं, ताकि जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति का वास हो सके।
इस दिन को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने का भी महत्व है, खासकर खाद्य संकट और भुखमरी जैसी समस्याओं के संदर्भ में। अन्नपूर्णा जयंती इस बात का प्रतीक है कि हर व्यक्ति को पर्याप्त भोजन मिले और कोई भी भूखा न रहे। इसके माध्यम से हम अपने समाज में एक सकारात्मक और समृद्ध वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। अंतत:, अन्नपूर्णा जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में अन्न की महत्ता, परिश्रम, और दान की भावना का पाठ भी पढ़ाती है।
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