बढ़ सकती हैं अडाणी व अन्य सात की मुश्किलें

 

गौतम अदाणी व सात अन्य के खिलाफ प्रत्यर्पण की हो सकती है कोशिश

भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किये गये थे

एबीएन सेंट्रल डेस्क (न्यूयॉर्क)। भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी और सात अन्य के खिलाफ मामला काफी आगे बढ़ सकता है और इससे गिरफ्तारी वारंट जारी होने के साथ प्रत्यर्पण के प्रयास भी हो सकते हैं। करोड़ों डॉलर के रिश्वतखोरी मामले में अमेरिका में दीवानी और आपराधिक आरोप दायर किये जाने के बाद, यहां के एक प्रमुख अटॉर्नी ने यह बात कही। अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अदाणी तथा उनके भतीजे सागर अदाणी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। 

इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का उम्मीद है। हालांकि, अदाणी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाये गये आरोप निराधार हैं और समूह सभी कानूनों का अनुपालन करता है। भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने बृहस्पतिवार को पीटीआई-भाषा से कहा, अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को अदाणी और सात अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और वहां भेजे जाने का अधिकार है, जहां वे रहते हैं। 

उन्होंने कहा, अगर उस देश के पास प्रत्यर्पण संधि है, जैसा कि भारत के पास है, तो संप्रभु राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, मूल देश को अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित व्यक्ति को सौंपना चाहिए। एक प्रक्रिया है जिसका मूल देश को अपने कानूनों के अनुरूप पालन करना चाहिए। भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किए गए थे। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी पीस ने 62 वर्षीय अदाणी, उनके भतीजे सागर (समूह की नवीकरणीय ऊर्जा इकाई अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक) और इसके पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनीत एस जैन के खिलाफ पांच मामलों में आपराधिक अभियोग की घोषणा की है। 

अभियोग में उन पर झूठे और भ्रामक बयानों के आधार पर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से धन प्राप्त करने की कई अरब डॉलर की योजना में उनकी भूमिका, प्रतिभूति और वायर धोखाधड़ी और वास्तविक प्रतिभूति धोखाधड़ी करने के षड्यंत्र का आरोप लगाया गया है। अभियोग में एज्योर पॉवर ग्लोबल के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रंजीत गुप्ता और पूर्व मुख्य रणनीति एवं वाणिज्यिक अधिकारी रूपेश अग्रवाल तथा एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के पूर्व कर्मचारी सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश का आरोप लगाया गया है। 

बुधवार को पीस ने कहा था कि आरोपियों ने अरबों डॉलर के अनुबंध हासिल करने के लिए भारत के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई और अदाणी, सागर और जैन ने रिश्वत योजना के बारे में झूठ बोला क्योंकि वे अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहे थे। अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) किसी कार्रवाई को प्रभावित करने, गैरकानूनी चूक करने या अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए विदेशी अधिकारियों को भुगतान करने पर प्रतिबंध लगाता है। अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) ने गौतम और सागर अदाणी तथा एज्योर पावर के कार्यकारी कैबनेस पर संघीय प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी-रोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।

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