मेदिनीनगर । क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी में कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग के द्वारा पलामू में नींबू वर्गीय फलों की खेती की संभावनाएं पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का उदघाटन प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी, पलामू उपायुक्त शशिरंजन व अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ डीएन सिंह ने संयुक्त रूप से किया। मौके पर प्रमंडलीय आयुक्त श्री चौधरी ने कहा कि हॉर्टिकल्चर के लिए किसान स्वयं आगे आएं, सरकार हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। पलामू प्रमण्डल के किसान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए साइट्रस फ्रूट पर विशेष तौर पर ध्यान दें। मौके पर जिला कृषि पदाधिकारी, अनुसन्धान केंद्र के वैज्ञानिक सहित, उप निदेशक जन सम्पर्क पलामू प्रमण्डल, प्रमण्डल के तीनों जिले के उद्यान मित्र तथा किसान मौजूद थे। सेमिनार में आयुक्त ने कहा कि क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, चियांकी की शुरूआत साइट्रस फ्रूट के विकास के लिए ही किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर पलामू प्रमण्डल के किसान बड़े पैमाने में नींबू वर्गीय फलों की खेती करते हैं तो पलामू को साइरस फ्रूट का हब बनेगा। इसके लिए किसानों को आगे आना होगा और पलामू की धरती पर नींबू वर्गीय फलों को उगाना होगा। पलामू में कीनू के बागान को अगर प्रोत्साहित किया जाए तो पलामू भारत में कीनू उत्पादन में राजस्थान के गंगानगर के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा और किसानों की आर्थिक दशा में काफी सुधार आएगा। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि अगर पलामू में संतरा की खेती को बढ़ावा दिया जाए तो पलामू भारत का दूसरा नागपुर बन सकता है। उपायुक्त शशि रंजन ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पलामू के किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए वर्तमान सरकार व जिला प्रशासन कटिबद्ध है। उन्होंने किसानों से अपील किया कि वे बड़े पैमाने में नींबू वर्गीय फलों की खेती करें। उपायुक्त ने बताया कि पलामू में पारंपरिक खेती के अलावा नकदी फसल को तैयार करने की। जिला प्रशासन यहां के किसानों को माइक्रो इरिगेशन तथा टपक सिंचाई के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। आने वाले समय में हमारे किसान उन्नत कृषि की ओर अग्रसर होंगे। सेमिनार में क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉक्टर डी एन सिंह ने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के बारे में किसानों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पलामू का वातावरण इन फसलों के लिए काफी अनुकूल है यहां के संतरे एवं कीनू की क्वालिटी काफी अच्छी होती है। सेमिनार के दौरान क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने सेमिनार में मौजूद उद्यान मित्रों तथा किसानों को निम्बू वर्गीय फलों की खेती के बारे में विस्तार से बताया।
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