टीम एबीएन, रांची। झारखंड, बंगाल और उड़ीसा के कुड़मी आंदोलन के कारण लगातार चौथे दिन शुक्रवार को भी इन तीनों राज्यों में ट्रेन सेवाएं बुरी तरह अस्त-व्यस्त रही। 60 से ज्यादा ट्रेनें कैंसल कर दी गयी हैं, जबकि तकरीबन तीन दर्जन अन्य ट्रेनों का नियमित परिचालन भी प्रभावित हुआ है। कुड़मी जाति को आदिवासी (शेड्यूल्ड ट्राइब) का दर्जा देने की मांग को लेकर बीते 20 सितंबर से हजारों आंदोलनकारियों ने पश्चिम बंगाल के आद्रा डिवीजन के कुस्तौर और खड़गपुर डिवीजन के खेमाशुली में रेलवे ट्रैक जाम कर रखा है। इस आंदोलन की वजह से पिछले चार दिनों में छह रेल डिविजनों हावड़ा, आद्रा, खड़गपुर, धनबाद, रांची और चक्रधरपुर के विभिन्न स्टेशनों से होकर गुजरनेवाली तकरीबन 400 ट्रेनें रद्द हुई हैं और इस वजह से लगभग एक लाख यात्रियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्टेशनों तक जानेवाली 100 से भी ज्यादा ट्रेनें 2 से लेकर 20 घंटे तक लेट चल रही हैं। रेलवे सहित कई तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले हजारों परीक्षार्थी गंतव्य नहीं पहुंच पाये। टाटा-हावड़ा और हावड़ा-मुंबई रेल लाइन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। रेलवे ट्रैक पर जमे आंदोलनकारियों के आगे रेल और सामान्य प्रशासन ने भी लगभग घुटने टेक दिये हैं। झारखंड के टाटानगर रेलवे स्टेशन से किसी भी मेल, एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेन को आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा है। टाटानगर से एक भी ट्रेन हावड़ा की ओर नहीं भेजी जा रही है। वहीं, मुंबई की ओर भी जाने वाली ट्रेनें भी रद्द होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है, जो ट्रेन आ रही हैं वे भी दो से 19 घंटे विलंब से चल रही है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और उड़ीसा कुड़मी समाज के लोग एसटी का दर्जा देने के साथ-साथ कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने की भी मांग कर रहे हैं। ये मांगें पिछले चार दशकों से उठाई जा रही हैं। इस बार तीनों राज्यों के कुड़मी समाज के लोगों ने आंदोलन को तेज करने के लिए संयुक्त संगठन बनाया है।
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