होलिका दहन पर भद्रा का साया, देर रात जलायी जायेगी होलिका

 

राजकुमारी पाण्डेय

एबीएन सोशल डेस्क। सनातन धर्म में होलिका दहन का बड़ा विशेष महत्व है। सनातन धर्मावलंबियों को इसका बड़ा बेसब्री से इंतजार रहता है। वर्षभर के अच्छे-बुरे कार्यों और उनके शुभ-अशुभ फलाफल से पार पाने का भी इंतजार इस दिन खत्म होता है। यही कारण है कि लोग इसे बड़े ही इंतजार के साथ आयोजित करते हैं। 

इस वर्ष होलिका दहन आज यानी छह मार्च को मनाया जायेगा। पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया होने के कारण इसे रात्रि 12:26 के बाद मनाया जा सकेगा। मंगलवार को दिनभर पूर्णिमा तिथि होने और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का सूर्योेदयकालीन तिथि बुधवार को होने के चलते होली बुधवार यानी आठ मार्च को मनाया जायेगा। 

होलिका दहन पूजा विधि 

सबसे पहले नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े धारण करें। फिर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे सभी पूजन सामग्री को एक थाली में रखें। फिर भगवान गणेश, मां दुर्गा, हनुमान जी, भगवान नरसिंह, गिरिराज भगवान और राधा-राधी का स्मरण करें। फिर पूजा की थाली उन्हें अर्पित करें और अपने और परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना करें। 

फिर होलिका यावनी लकड़ी पर अक्षत, धूप, पुष्प, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और गाय के गोबर से बनी माला अर्पित करें। इसके बाद उसमें आग लगायें और चारों ओर परिक्रमा करें। होलिका अग्नि को जल अर्पित करें। आरती करें और अग्नि को प्रणाम करें।

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