टीम एबीएन, रांची। झारखंड सरकार राज्य में पर्यटन को विश्व पटल पर लाने के प्रति संजीदा है। राज्य की भौगोलिक स्थिति व प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटन के लिहाज से अनुकूल है भी। सरकार ने राज्य में पर्यटकों को आकर्षित करने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण सुविधा उपलब्ध कराने के उदेश्य से पर्यटन के क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए नई पर्यटन नीति बनाई है। पर्यटन नीति की मंत्रिपरिषद से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में पर्यटन से रोजगार के अवसर सृजित करने और राजस्व में बढ़ोतरी करने के विजन के साथ झारखण्ड पर्यटन के क्षेत्र में बदलाव का वाहक बनेगा। राज्य पर्यटन विकास की संभावनाओं से भरा है। राज्य के 33 प्रतिशत वन से आच्छादित भू-क्षेत्र को पर्यटन के लिहाज से बड़ा बाजार बनाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिया है। ग्रामीण विकास और ग्रामीणों का आर्थिक सशक्तिकरण सरकार की प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। इस निमित्त पर्यटन विभाग, झारखंड के विभिन्न पर्यटन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में होमस्टे को बढ़ावा देने जा रहा है। इन होमस्टे को राज्य के पर्यटन स्थलों के पास रहने वाले ग्रामीण आबादी के सहयोग से विकसित किया जाएगा। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर भी सृजित होंगे। साथ ही झारखंड की परंपरा और संस्कृति के बारे में लोगों को रूबरू कराने में भी मदद मिलेगी। पर्यटन स्थल के पास स्थित गांव में प्रवास को विकसित करने की योजना के साथ सरकार कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों पर रहने की सुविधाओं की कमी को भी दूर करने की कोशिश कर रही है। होम स्टे के निर्माण में सरकार अनुदान से लेकर अन्य सुविधाएं देने के प्रावधान की दिशा में कार्य करने जा रही है। प्रदेश भर में पर्यटक सुविधा केंद्र विकसित करने की भी योजना पर्यटन नीति के तहत समाहित की गई है। योजना के अनुसार पर्यटन विभाग पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाले रास्तों पर पर्यटक सुविधा केंद्र बनाएगा। ये केंद्र पर्यटकों को सूचना देने के साथ सभी मूलभूत सुविधाओं से लैस होंगे। इन केंद्रों से पर्यटक जो लंबी सड़क यात्राएं करते हैं, उन्हें ठहरने और भोजन की सुविधा मिलेगी। राज्य सरकार रास्ते के किनारे की सुविधाएं, पर्यटक सूचना केंद्र, शिल्प केंद्र, एटीएम सहित आवश्यक सुविधाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए मंच सहित बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का कार्य करेगी। झारखण्ड में इको-टूरिज्म के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। हरे-भरे जंगल, जलप्रपात, भू-भाग, समृद्ध वन्य जीवन इसे वन ट्रेल्स, नेचर वॉक, जंगल सफारी, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग आदि झारखण्ड को इको- टूरिज्म के विकास के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है। लातेहार-नेतरहाट-बेतला-चांडिल-दलमा-मिरचैया-गेतलसूद सकिर्ट को ईको-सकिर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा।
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