एबीएन न्यूज नेटवर्क, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ने आज (गुरुवार, 20 नवंबर) को दसवीं बार शपथ ली। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी।
उनके साथ भाजपा नेता सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, मंगल पांडेय और जनता दल यूनाइटेड के विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार और बिजेंद्र प्रसाद यादव समेत कुल 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। भाजपा कोटे से रामकृपाल यादव को भी मंत्री बनाया गया है। वह दानापुर विधानसभा सीट से राजद के रीतलाल यादव को हराकर विधायक बने हैं।
रामकृपाल 2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले लालू यादव की राजद और उससे पहले जनता दल में थे। 1990 और 2000 के दशक में वह लालू के हनुमान कहे जाते रहे हैं। वह लालू के सबसे करीबी लोगों में थे, जो साए की तरह हमेशा उनके साथ रहा करते थे।
लालू-राबड़ी कार्यकाल में और बाद तक राम और श्याम (रामकृपाल यादव और श्याम रजक) की जोड़ी बिहार में चर्चित रही है। रामकृपाल करीब तीन दशकों तक लालू के सबसे भरोसेमंद सिपाही बने रहे लेकिन 2014 में दोनों की राहें जुदा हो गयीं।
दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनावों में जब लालू यादव ने पाटलीपुत्र संसदीय क्षेत्र से अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को राजद का उम्मीदवार बनाया तो लालू के हनुमान और समाजवादी चेहरा रामकृपाल भाजपा के पाले में चले गये।
उनके इस कदम ने बिहार की राजनीति में एक नयी हलचल पैदा कर दी क्योंकि अब तक वह न सिर्फ लालू के भरोसेमंद सिपाही थे बल्कि उससे भी ज्यादा रणनीतिकार थे जो पार्टी में संगठन से लेकर सरकार तक लालू का संदेशवाहक के रूप में जाने जाते थे।
पटना में रेलवे जंक्शन से सटे गोरिया टोली के रहने वाले और 12 अक्टूबर 1951 को जन्मे रामकृपाल यादव ने अपनी राजनीतिक शुरुआत भी पटना के स्थानीय निकायों से ही की थी। वह पटना के मेयर बने फिर धीरे-धीरे जमीनी नेता बन गये और लालू की टीम का हिस्सा हो गये। राजद के टिकट पर वह तीन बार लोकसभा सांसद चुने गये थे।
2014 में जब उन्होंने राजद से नाता तोड़कर मीसा भारती के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बनाया। इस पर रहते हुए उन्होंने 2014 से 2019 तक ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क, आवास और मनरेगा से जुड़े कई कार्यक्रमों पर कई काम किये।
2019 में वह फिर सांसद चुने गये लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में मीसा भारती के हाथों उनकी हार हुई। ऐसे में पार्टी ने उन्हें पटना से सटे दानापुर से विधानसभा का चुनाव लड़वाया और वे जीतकर नयी सरकार में मंत्री बने। बड़ी बात यह भी कि इनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने खुद लालू यादव दानापुर गये थे लेकिन जीत रामकृपाल की हुई।
अब वह भाजपा कोटे से यादव मंत्री हैं। नीतीश कुमार की 10वीं सरकार में दो यादव मंत्री बनाये गये हैं। एक जदयू कोटे से और एक भाजपा कोटे से। जदयू से बिजेंद्र यादव फिर मंत्री बनाये गये हैं। वह हर बार नीतीश सरकार में मंत्री रहे हैं।
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