एबीएन सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आर्य समाज ने निडर होकर भारतीयता के सार को बनाए रखते हुए भारत विरोधी विचारधारओं, विदेशी सिद्धांतों को थोपने की कोशिशों, बांटने वाली सोच, या सांस्कृतिक ताने-बाने को खराब करने की कोशिशों का हमेशा मुकाबला किया है।
प्रधानमंत्री ने महर्षि दयानंद सरस्वती को दूरदर्शी और महान व्यक्तित्व करार देते हुए कहा कि आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ का अवसर किसी विशेष समुदाय या पंथ के लिए नहीं बल्कि यह पूरे देश की वैदिक पहचान से जुड़ा एक उत्सव है। श्री मोदी ने शुक्रवार को यहां रोहिणी में अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि वह जब भी इस तरह के कार्यक्रम में आते हैं तो एक अलग ऊर्जा और एक अनोखी प्रेरणा से भर जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा- आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ केवल किसी विशेष समुदाय या संप्रदाय का अवसर नहीं है बल्कि यह पूरे देश की वैदिक पहचान से गहराई से जुड़ा एक उत्सव है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय दार्शनिक परंपरा से जुड़ा है, जिसमें गंगा के प्रवाह की तरह आत्म-शुद्धि की शक्ति है। यह मौका आर्य समाज की सामाजिक सुधार की महान विरासत से जुड़ा है जिसे आर्य समाज ने लगातार आगे बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को वैचारिक ताकत दी। उन्होंने लाला लाजपत राय और शहीद रामप्रसाद बिस्मिल जैसे कई क्रांतिकारियों के उदाहरण दिए जिन्होंने आर्य समाज से प्रेरणा ली और खुद को पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने दुख जताया कि राजनीतिक कारणों से स्वतंत्रता आंदोलन में आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका को वह पहचान नहीं मिली जो उसे मिलनी चाहिए थी।
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