अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रस्तावित प्रगतिशील कदमों के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं। तीन ट्रिलियन डॉलर के प्रस्तावित इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज और धनी लोगों पर टैक्स बढ़ाने की योजना का विरोध उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर ही शुरू हो गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के परंपरावादी सांसद ऐसे कदमों के पक्ष में नहीं हैं। ये बात वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक रिपोर्ट से सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मुमकिन है कि ये प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में भी गिर जाए, जहां डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है। वेबसाइट के मुताबिक उसने बीते एक हफ्ते में हाउस और सीनेट के डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुत से सदस्यों से बातचीत की। उनमें ऐसी बड़ी संख्या है, जो धनी लोगों पर टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव का खुल कर विरोध करने को तैयार हैं। न्यू जर्सी राज्य से हाउस के सदस्य जोस गॉठेइमर ने कहा कि वे टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव से चिंतित हैं, क्योंकि इससे आर्थिक स्थिति में सुधार की गति धीमी हो जाएगी। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने कहा है कि राष्ट्रपति बाइडन अपनी अहम प्राथमिकताओं पर एक आम सहमति बनाना चाहते हैं। मकसद अमेरिका में अधिक नौकरियां पैदा करना और देश को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अधिक कुशल बनाना है। लेकिन उनका उन लोगों पर टैक्स बढ़ाने का इरादा नहीं है, जिनकी आमदनी साल में चार लाख डॉलर तक है। जानकारों का कहना है कि अगर सीनेट में एक भी डेमोक्रेट सदस्य ने विरोध में मतदान किया, तो वहां प्रस्ताव गिर जाएगा। सीनेटर जो मंचिन कह चुके हैं कि वे कॉरपोरेट टैक्स बढ़ा कर 28 फीसदी करने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे। रिपब्लिकन पार्टी ऐसे प्रस्तावों का पूरा विरोध करेगी, ये तय है। इसलिए विश्लेषकों का कहना है कि पूरी स्थिति देखते हुए ये लगता है कि जो बाइडन अपने तमाम इरादों के बावजूद आगे कोई बड़ा प्रगतिशील कदम लागू कर पाएंगे, इसकी संभावना कम है। रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष में ये बात जाती है कि ज्यादातर राज्यों में उसका शासन है। अदालतों में भी अब कंजरवेटिव जज ज्यादा हैँ। अमेरिकी सिस्टम में राज्य सरकारें काफी शक्तिशाली हैं। अदालतें नीतिगत मामलों में आखिरी निर्णयकर्ता होती हैं। विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि राष्ट्रपति बाइडन वाशिंगटन में भले बड़े प्रगतिशील इरादे दिखा रहे हों, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की राज्य सरकारें भी अपने यहां उतनी ही तेजी और सख्ती से पार्टी के कंजरवेटिव एजेंडे को लागू कर रही हैं।
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