वैक्सीनेशन पूरा करने को चाहिए 3.70 लाख करोड़, सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को खर्च करना होगा

 

मुंबई। देश में सभी को कोरोना की वैक्सीन लगाने पर 3.70 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम खर्च करना होगा। इसमें उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा खर्च करना होगा। उसे 67 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड से निपटने के लिए देश की पूरी आबादी के कुल वैक्सीन पर यह खर्च आएगा। यह तब होगा जब यह मान लिया जाए कि वैक्सीन की कीमत 360 रुपये से 2900 रुपये के बीच होगी। रइक ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि यदि हम यह भी मान लें कि केंद्र राज्यों को 50% टीके देता है तो राज्यों के लिए बाकी 50% खुद खर्च करना होगा। इसके मुताबिक, सिक्किम को वैक्सीन पर 20 करोड़ रुपए खर्च करना होगा। हालांकि यह परिस्थितियां एकदम एक्सट्रीम केसेस में है और सही कीमत के आधार पर है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि हम इस परिदृश्य का विश्लेषण 20 प्रमुख राज्यों के वित्त वर्ष 2022 के कुल खर्च के साथ मैप करते हैं तो 2900 रुपए की वैक्सीन के आधार पर कुल खर्च का 16% बिहार के लिए होगा। उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों के लिए यह 12% होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वैक्सीन की इतनी लागत तो जरूर ही होगी। क्योंकि वैक्सीन की अधिकतम लागत भी 3.7 लाख करोड़ रुपए होगी। हालांकि यह 5.5 लाख करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान से काफी कम है। यह नुकसान कोरोना की इस लहर के लॉकडाउन के अनुमान पर है। रइक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका पेमेंट रुपये में किया जाएगा। इस वजह से इसका असर हमारे डॉलर के रिजर्व पर अवश्य पड़ेगा। हालांकि, इस तरह के पेमेंट संभावित रूप से भारत में नए निवेश को भी फायदा दे सकते हैं, क्योंकि निवेशक इस तरह के बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन में भारी फायदा कमा सकते हैं। दूसरी लहर कमजोर हो रही है। कहा कि पिछले 7 दिनों के नए मामलों के आंकड़े देखें तो यह पता चलता है कि कोविड की दूसरी लहर धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है। इसके अलावा, हर रोज कोरोना के जितने केस आ रहे हैं उससे कहीं ज्यादा लोग ठीक भी हो रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, नए मामलों में गांवों के जिलों की हिस्सेदारी अप्रैल 2021 के अंत में 45.5% से बढ़कर 52.9% हो गई है। यह पहली लहर के दौरान 53.7% के पीक से थोड़ा कम है। हालांकि, सितंबर 2020 की तुलना में आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में स्थिति मामूली रूप से बेहतर है। चिंता यह है कि लॉकडाउन से जुड़े प्रतिबंधों के बढ़ने से मई महीने में आर्थिक गतिविधियों पर भारी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

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