एबीएन सोशल डेस्क। आज परम पुज्य आचार्य भगवन 1008 श्री रामलाल जी महाराज सा की आज्ञानुवर्ती शासन दीपिका समिया श्री जी महाराज सा का प्रवचन सुबह 9 बजे से शुभकरण बछावत के आवास पर हुआ। प्रवचन में साध्वी जी ने कहा कि परिग्रह एक बहुत बड़ा कारण है जिससे मनुष्य नर्क गति में जाता है। चीजों के प्रति हमें आसक्ति नहीं रखनी चाहिए। जो वस्तुएं हमारे पास है उसको सबके बीच बांटना चाहिए।
जरुरत से ज्यादा सामान रखना सही नहीं है। चीजों के प्रति आसक्ति लोगों से अपनत्व कम करना है। इतने बड़े भूखंड के हिस्से में से सिर्फ पांच गांव की आसक्ति के कारण दुर्योधन ने महाभारत के युद्ध का आवाहन कर दिया। भगवान श्री कृष्ण वासुदेव के समझाने के बाद भी वो नहीं समझ पाया, अगर वो पांच गांव की आसक्ति छोड़ देता तो युद्ध नहीं होता और पूरा परिवार का नाश होने से बच जाता।
हमें सोचना है कि हमारा जीवन कितने में चल सकता है और उसी तरह के वस्तुएं अपने पास रखें और बाकि का त्याग करना चाहिए। प्रवचन में आगे बताया कि सिर्फ तीर्थ स्थानों में घूमने से और नदियों में स्नान करने से आत्मा का मैल नहीं धुलता है।
आत्मा की शुद्धता के लिए धर्म से हमें जुड़ना होगा और धर्म पूर्वक रहना होगा। हम दूसरो में शत्रु देखते हैं पर हम अपने ही सबसे बड़े शत्रु हैं। अपने कर्मों के कारण हम अपनी आत्मा को मलिन करते रहते हैं। क्रोध, मान, माया और लोभ जैसे आवरण से आत्मा को हमने ढंक रखा है। क्रोध को दूर करने के लिए शांत स्वाभाव अपनाना है। मान को दूर करने लिए विनय स्वाभाव की जरूरत है। झगड़ों का मुख्य कारण अपनी बात नहीं छोड़ना है।
सामने वाले के विचार सुन कर सम्यक निर्णय लेने चाहिए। मन में कुछ और जुबान पर कुछ और नहीं रखना है। आज के प्रवचन में साधुमार्गी जैन संघ से मोहन लाल पींचा, बीरेंद्र गेलड़ा, पुष्पा बछावत, विकास नाहटा, मनोज खजांची, रमेश ललानी, राकेश सुराणा आदि के अलावा काफी संख्या में श्रावक और श्राविकाएं उपस्थित थे।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse