झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में नियुक्ति परीक्षा में गंभीर अनियमितताएं : आजसू

 

प्रेस विज्ञप्ति।

दिनांक 7/11/2025

*झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में नियुक्ति परीक्षा में गंभीर अनियमितताएँ- आजसू*
आजसू छात्र संघ ने जांच और परीक्षा निरस्तीकरण की माँग की
रांची।

  • आजसू छात्र संघ (AJSU Chhatra Sangh) ने झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University of Jharkhand - CUJ), रांची द्वारा आयोजित Non-Teaching नियुक्ति परीक्षा (CUJ/Advt./2022-23/06 एवं CUJ/Advt./2024-25/05) में हुई गंभीर अनियमितताओं, मिलीभगत और प्रक्रियागत उल्लंघनों के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
    संघ ने परीक्षा को तत्काल निरस्त करने और पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की माँग की है।
    आजसू छात्र संघ ने कहा कि 31 अक्टूबर 2025 को आयोजित इस परीक्षा में पारदर्शिता, निष्पक्षता और वैधानिक प्रक्रियाओं की खुलेआम अवहेलना की गई है। यह न केवल परीक्षा की गरिमा को आघात पहुँचाता है, बल्कि विश्वविद्यालय की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। संघ ने इस संबंध में कुलाधिपति (Chancellor), शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, राज्यपाल महोदय, तथा UGC को औपचारिक पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच समिति गठित करने और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की माँग की है।
    संघ ने बताया कि पूर्व में इसी विज्ञापन के अंतर्गत परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) जैसी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा कराई गई थी, जो पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए जानी जाती है। किंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने NTA द्वारा परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद उसे निरस्त कर दिया, क्योंकि कथित रूप से भ्रष्ट अधिकारियों के पूर्व निर्धारित उम्मीदवार उस परीक्षा में सफल नहीं हो पाए। इसके बाद परीक्षा की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को दे दी गई, जो विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और डिप्टी रजिस्ट्रार (श्री अब्दुल हलीम) से संबंधित बताई जा रही है। यह निर्णय बिना किसी औचित्य या अधिसूचना के लिया गया, जिससे यह साफ़ प्रतीत होता है कि पूरा मामला पक्षपात और मिलीभगत का परिणाम है।
    संघ ने कहा कि परीक्षा के संचालन में गोपनीयता का भी खुला उल्लंघन किया गया। प्रश्नपत्र साधारण A4 शीट पर प्रिंट कराए गए थे, जिन पर न तो कोई सील, मोहर या प्रश्नपत्र संख्या थी, न कोई सुरक्षा चिह्न। इन्हें खुले लिफ़ाफ़ों में परीक्षा कक्षों तक पहुँचाया गया, और प्रश्नपत्र स्वयं श्री अब्दुल हलीम, डिप्टी रजिस्ट्रार द्वारा व्यक्तिगत रूप से निरीक्षकों को सौंपे गए। यह भी जानकारी मिली है कि प्रश्नपत्र की अतिरिक्त प्रतियाँ विश्वविद्यालय परिसर में तैयार कर कुछ विशेष उम्मीदवारों को परीक्षा से एक दिन पहले उपलब्ध कराई गईं, जो परीक्षा की गोपनीयता भंग होने का स्पष्ट प्रमाण है।
    परीक्षा के दौरान भी गंभीर लापरवाहियाँ हुईं। परीक्षा कक्षों में कहीं भी CCTV कैमरे नहीं लगाए गए, जिससे परीक्षा की निगरानी, रिकॉर्डिंग और पारदर्शिता पूरी तरह प्रभावित हुई। परीक्षा समाप्ति के बाद अभ्यर्थियों से प्रश्नपत्र और OMR शीट्स दोनों वापस ले ली गईं, और इन्हें बिना किसी सीलबंद लिफाफे के सीधे श्री अब्दुल हलीम के हवाले कर दिया गया, जिससे OMR tempering की संभावना अत्यंत प्रबल हो गई।
    संघ ने कहा कि परीक्षा के दिन जब कई अभ्यर्थियों ने प्रश्नपत्र की त्रुटियों, दोहराए गए सवालों और भाषा संबंधी असमानताओं को लेकर विरोध जताया, तब उनकी बात सुनने के बजाय विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी आवाज़ दबा दी। परीक्षा कक्षों में अव्यवस्था, उत्तर पुस्तिका वितरण में देरी और निरीक्षकों के अनुचित व्यवहार पर भी छात्रों ने आपत्ति जताई, लेकिन उनकी किसी शिकायत को दर्ज नहीं किया गया।
    हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को दिए गए प्रश्नपत्रों में तीन प्रश्न कम थे, जबकि अंग्रेज़ी माध्यम के प्रश्नपत्र पूर्ण थे। यह न केवल समान अवसर के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है बल्कि हिंदी भाषी छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये को भी दर्शाता है।
    आजसू छात्र संघ ने आगे कहा कि परीक्षा केंद्र केवल CUJ परिसर के भीतर ही स्थापित किए गए, और संचालन उन्हीं अधिकारियों के अधीन रखा गया जो इस भर्ती प्रक्रिया से प्रत्यक्ष लाभान्वित होने की स्थिति में हैं। लगभग 1600 अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड जारी किए गए, परंतु परीक्षा में 500 से भी कम उम्मीदवार उपस्थित हुए, जो इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाते हैं।
    संघ ने यह भी बताया कि परीक्षा समाप्त होते ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने भ्रष्ट अधिकारियों के पसंदीदा और पूर्व-निर्धारित फर्जी उम्मीदवारों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जल्दबाजी में परिणाम घोषित कर दिया।
    इनमें उन्हीं व्यक्तियों के नाम शामिल किए गए जिन्हें पहले से चयनित कराने की साज़िश रची गई थी।
    जबकि अधिकांश वास्तविक अभ्यर्थियों के परिणामों को रोक दिया गया या “अपूर्ण” (Incomplete) बताते हुए वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं किया गया।
    यह पूरी प्रक्रिया यह स्पष्ट करती है कि रिज़ल्ट भी पूर्व नियोजित षड्यंत्र और पक्षपातपूर्ण तरीके से तैयार किया गया, ताकि कुछ विशेष उम्मीदवारों को अनुचित लाभ दिया जा सके और पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को भ्रष्टाचार के तहत संचालित किया जा सके।
    कुलपति का कार्यकाल अब अपने अंतिम तीन महीनों में है। पाँच वर्षों तक नियुक्ति प्रक्रिया लंबित रही, लेकिन जैसे ही नए कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, अचानक यह परीक्षा कराना संदेहास्पद और प्रशासनिक दृष्टि से अनुचित प्रतीत होता है। यह निर्णय न केवल नियमों के विपरीत है, बल्कि संभावित रूप से अवैध भी कहा जा सकता है।
    डिप्टी रजिस्ट्रार श्री अब्दुल हलीम की भूमिका इस पूरे प्रकरण में सबसे अधिक संदिग्ध बताई जा रही है। उन पर पहले से ही डिग्री, प्रमोशन और नियुक्ति से जुड़े मामलों में चार्जशीट लंबित है, बावजूद इसके उन्हें परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी दी गई, जो संस्थागत नैतिकता का खुला उल्लंघन है।
    संघ ने यह भी कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय में इसी नियुक्ति प्रक्रिया पर W.P. (S) No. 122 of 2025 में स्थगन आदेश (Stay Order) जारी है, फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा आयोजित कर न्यायालय की अवमानना की है।
    सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा के दिन कुलपति स्वयं विश्वविद्यालय से अनुपस्थित रहे, और इस पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया। यह पूरी स्थिति परीक्षा की वैधता और प्रशासनिक ईमानदारी पर गंभीर संदेह उत्पन्न करती है।
    आजसू छात्र संघ ने माँग की है कि इस परीक्षा को तत्काल निरस्त किया जाए और एक स्वतंत्र न्यायिक जांच समिति गठित की जाए जिसमें शिक्षा मंत्रालय और UGC के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हों। साथ ही, विश्वविद्यालय को निर्देश दिया जाए कि सभी अभिलेख, प्रश्नपत्र, CCTV फुटेज, OMR शीट्स और संबंधित दस्तावेज सुरक्षित रखे जाएँ तथा इन्हें एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंपा जाए।
    संघ ने कहा कि झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसी राष्ट्रीय संस्था से पारदर्शिता और नैतिक आचरण की सर्वोच्च अपेक्षा की जाती है। लेकिन इस परीक्षा प्रक्रिया ने इन आदर्शों को ठेस पहुँचाई है और अभ्यर्थियों का भरोसा कमजोर किया है। यह सिर्फ़ एक परीक्षा का मामला नहीं, बल्कि झारखंड के युवाओं, आदिवासी समाज और मेहनती विद्यार्थियों के भविष्य की लड़ाई है।
    अंत में आजसू छात्र संघ ने कुलाधिपति महोदय से भावनात्मक अपील करते हुए कहा-
    “झारखंड के भविष्य को बचाइए। हमारे आदिवासी भाई-बहनों और परिश्रमी युवाओं के साथ जो अन्याय हुआ है, उस पर शीघ्र न्याय दिलाइए। यह सिर्फ़ नियुक्ति परीक्षा नहीं, बल्कि झारखंड की अस्मिता, युवाओं की आशा और न्याय की रक्षा का सवाल है। उक्त जानकारी अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) के प्रदेश अध्यक्ष 

ओम वर्मा 

 

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