टीम एबीएन, रांची। झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता सह रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री संजय सर्राफ ने कहा है कि मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिवस मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने, उनके उल्लंघन के खिलाफ संघर्ष करने और मानवाधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
मानवाधिकार उन मौलिक अधिकारों को कहते हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से ही प्राप्त होते हैं, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, भाषा या राष्ट्रीयता का हो। इनमें जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, श्रम का अधिकार, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे महत्वपूर्ण अधिकार शामिल हैं। मानवाधिकारों का उल्लंघन न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खतरे में डालता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास को भी बाधित करता है।
1948 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के बुनियादी अधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया। यह घोषणा एक अंतर्राष्ट्रीय मानक के रूप में सामने आई, जो दुनियाभर में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए एक रोडमैप बनी। इस घोषणा में 30 अनुच्छेदों में विभिन्न प्रकार के अधिकारों का वर्णन किया गया है, जैसे कि जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, और शरण का अधिकार।
मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विभिन्न संगठनों और देशों में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करना होता है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि मानवाधिकारों का संरक्षण और उनका उल्लंघन रोकना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। आज के समय में जब दुनिया भर में असमानताएं, संघर्ष, और उत्पीड़न की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, मानवाधिकारों की रक्षा और संरक्षण पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
हिंसा, शोषण, भेदभाव, और उत्पीड़न की घटनाएं आज भी हमारे समाज में व्याप्त हैं, और इन पर रोक लगाना हमारे सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करता है। आजकल के डिजिटल युग में, सूचना की स्वतंत्रता, गोपनीयता और डिजिटल अधिकारों का उल्लंघन भी एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। साइबर हमलों, डेटा चुराने और आनलाइन उत्पीड़न के कारण लोगों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, जिसके खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
मानवाधिकार दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि हम समाज में समानता, न्याय और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं। यह दिन हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने, दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने और किसी भी प्रकार के भेदभाव या असमानता के खिलाफ खड़े होने का प्रेरणा देता है। केवल तभी हम एक समान और न्यायपूर्ण समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं, जहां सभी को उनके अधिकार पूरी तरह से प्राप्त हों।
मानवाधिकार किसी एक देश या समाज की नहीं, बल्कि समूची मानवता की समस्या है। जब तक दुनिया भर में हर व्यक्ति को उसके अधिकार नहीं मिलते, तब तक यह दिवस हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा और हमें सशक्त बनाएगा ताकि हम मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास करें। यही असली उद्देश्य है मानवाधिकार दिवस का हर व्यक्ति को स्वतंत्रता, समानता, और न्याय का अधिकार प्रदान करना।
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