एबीएन सेंट्रल डेस्क (नई दिल्ली)। भगवान बिरसा मुंडा (धरती आबा) देश के प्रथमस्त स्वतंत्रता सेनानियों में माने जाते हैं। झारखंड प्रदेश में भगवान माने जाने वाले इस महान पुरुष को भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक पुरुष और लोक नायक के रूप में मान्यता प्राप्त है। जिनका जन्म झारखंड के खूंटी जिले में 15 नवंबर 1875 को हुआ था।
19 के दशक के शुरुआती सालों में ही अपनी युवा अवस्था (25) में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध जो आंदोलन बनाया, उसको जनजातीय प्रजातियों में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को धार्मिक क्रिया की तरह सोचने को तैयार किया और अपने अधिकारों को मांगने के लिए ब्रिटिश सरकार से लड़े। भगवान बिरसा मुंडा झारखंड प्रदेश में किसी भी काम के पहले याद किये जाते हैं।
जिस कड़ी में 43वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय मेले के झारखंड पवेलियन में उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की गयी है। मेले में आने वाले लोग इस प्रतिमा को देख उत्सुकता से इनके विषय और कार्य की चर्चा कर रहे हैं। उनके जीवन पर कई साहित्य लिखे हैं और फिल्में भी बनायी जा चुकी हैं।
इसके अलावा झारखंड पवेलियन से निकले के बाद लोग मेले में लगे फूड स्टाल में झारखंड के स्टाल में झारखंड के व्यंजन का भी लुत्फ उठा रहे हैं। लोगों को लिट्टी चोखा, मालपुआ, घुसका सब्जी, चिल्ला रोटी सब्जी, अनरसा, कुल्हड़ चाय काफी पसंद आ रहे हैं। स्टाल के संचालक राजेश ने बताया कि लोगों की भारी भीड़ झारखंड के व्यंजन को पसंद कर रहे हैं।
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