एबीएन न्यूज नेटवर्क, सिमडेगा/ रांची। झारखंड के सिमडेगा जिले के कोलेबिरा ब्लॉक के तैसेरा गांव की लाली देवी ने अपनी मेहनत, हौसले और दृढ़ इच्छाशक्ति से एक ऐसी मिसाल कायम की है, जो न केवल उनके समुदाय बल्कि पूरे राज्य की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गयी है। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली लाली देवी ने सब्जी उत्पादन, विक्रय और ट्रैक्टर चालक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उनके पति बल्केश्वर सिंह और दो बच्चों के साथ रहने वाली लाली ने अपने नाम की सार्थकता को सिद्ध करते हुए आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिखी है।
लाली देवी की कहानी तब रंग लायी, जब वे वर्ष 2014 में ईश्वर आजीविका महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ीं। इससे पहले वे अपनी एक एकड़ जमीन पर पारंपरिक खेती-बाड़ी करती थीं। समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने नियमित बैठकों में हिस्सा लिया और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के कैडर से गुणवत्तापूर्ण सब्जी उत्पादन की आधुनिक तकनीक सीखी। इस प्रशिक्षण ने उनके जीवन को नई दिशा दी।
लाली ने समूह से विभिन्न अंतरालों में कुल 2 लाख रुपये का ऋण लिया और स्थानीय बाजार में एक सब्जी की दुकान शुरू की। उनकी मेहनत और ईमानदारी का नतीजा यह रहा कि दुकान जल्द ही चल निकली। धीरे-धीरे उन्होंने पूरा ऋण चुका दिया और आज यह दुकान उनकी स्थिर आय का प्रमुख स्रोत है। सब्जी व्यवसाय से उन्हें प्रतिमाह लगभग 12,000 रुपये की आय होती है।
लाली देवी की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जेएसएलपीएस और भूमि संरक्षण विभाग के सहयोग से उन्हें अनुदान पर एक मिनी ट्रैक्टर प्राप्त हुआ। सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि लाली ने न केवल ट्रैक्टर खरीदा, बल्कि इसे स्वयं चलाना भी सीख लिया। वे अपने खेतों की जुताई करने के साथ-साथ अन्य किसानों के खेतों में भी ट्रैक्टर सेवा प्रदान करती हैं। इस सेवा से उन्हें सीजन के दौरान हर महीने लगभग 15,000 रुपये की अतिरिक्त आय होती है। इस दौरान उनके पति सब्जी की दुकान संभालते हैं, जिससे परिवार की आय और मजबूत होती है।
लाली देवी की मेहनत, आत्मनिर्भरता और नवाचार ने उन्हें क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। लाली कहती हैं, मैं चाहती हूं कि मेरी तरह अन्य महिलाएं भी अपने हौसले से नई ऊंचाइयां छुएं।
लाली देवी की इस सफलता ने न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि कोलेबिरा और सिमडेगा के अन्य गांवों की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया है। जेएसएलपीएस के अधिकारियों ने लाली की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा, वे एक जीवंत उदाहरण हैं कि कैसे स्व-सहायता समूह और सरकारी योजनाएं महिलाओं को सशक्त बना सकती हैं। लाली देवी की यह कहानी हर उस महिला के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने हौसलों से नई राह तलाशना चाहती है। उनकी लालिमा न केवल उनके नाम को सार्थक करती है, बल्कि पूरे झारखंड के लिए गर्व का विषय है।
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