एबीएन कैरियर डेस्क। नैतिक मूल्य समाज की मांग है। राजलक्ष्मी सहाय को हम एबीएन में इसलिए प्रकाशित करते रहे कि उनकी हर कहानी, हर आलेख राष्ट्रीयता के उन आदर्शों को स्थापित करता है, जिसका सपना कभी महामना मालवीय जैसे विभूतियों ने देखा था। आज उनकी चारों रचनाओं के केंद्र में भारतीय आदर्शों की प्रतिस्थापना है।
राज्यसभा के उपसभापति एवं वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने ये बातें रांची विश्वविद्यालय के मास कम्युनिकेशन विभाग में आयोजित साहित्यिक आयोजन में कहीं। इस अवसर पर लेखिका राजलक्ष्मी सहाय की चार पुस्तकों— जय हिंद, काव्य पुष्पांजलि, प्रेमचंद के आगे और फटी टाट से निकले रामलला का विमोचन किया गया।
आगे हरिवंश जी ने कहा कि चीन हमारे साथ यात्रा करता हुआ 1985 के बाद लगातार आगे निकलता गया, कई फोरम पर। यह राष्ट्रीय चेतना के उदय की वजह से संभव हुआ। वे बड़ी ही खामोशी से राष्ट्रीय नैतिक प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहे हैं— वही नैतिक मूल्य, जिसकी चिंता राजलक्ष्मी सहाय को है। इनकी लेखनी इसी समाप्त होती मूल्य व्यवस्था को पुन: स्थापित करना चाहती है।
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि राजलक्ष्मी जी की किताबें शोध का शक्ल लेने को आतुर हैं। इन पर शोध होना चाहिए। प्रेमचंद की कहानियों का पुनर्पाठ और कहानियों को आगे ले जाने की यह अमूल्य कोशिश शोध की मांग करती है। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो तपन कुमार शांडिल्य ने इन पुस्तकों को राष्ट्रीय मूल्यों को स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर बताया।
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ हर्षदेव शरण ने इसे अपनी निजी सफलता मानते हुए लेखिका की कविताओं का पाठ किया। पूर्व डीजीपी नीरज सिन्हा ने लेखिका के राम और शिव से जुड़े आध्यात्मिक पहलुओं को विशेष रूप से रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी कृतियां समकालीन परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक हैं। मौके पर मौजूद अनुज कुमार सिन्हा ने कहा, राजलक्ष्मी सहाय को लेखकीय चौका के लिए असीम बधाई। जिस प्रकार उन्होंने प्रेमचंद को स्थापित करने का प्रयास किया है, वह सराहनीय है।
अपने लेखकीय उद्बोधन में श्रीमती राजलक्ष्मी सहाय ने कहा, लेखन कभी अकेले नहीं होता, वह समाज की सामूहिक स्मृतियों का विस्तार होता है। उन्होंने अपनी लेखकीय यात्रा के उन तमाम लोगों को याद किया, जिन्होंने उन्हें इन किताबों को लिखने में मदद की—चाहे वह सिद्धू-कान्हू के फांसी लगने का साक्षी बरगद का पेड़ हो, या मुरी बेचने वाली लड़की, या बेटी नैनसी सहाय के सफाईकर्मी की नन्ही बेटी के नन्हें कदम। उन्होंने उन संपादकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी लेखनी को मंच दिया—चाहे वह रजत गुप्ता हों या हरिवंश जी।
इस अवसर पर मंच संचालन डा विनय भरत ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो पत्रकार प्रकाश सहाय ने किया। आयोजन में श्वेताभ, वरुण रंजन, नैनसी सहाय सहित आशा सिंह, विजया सिन्हा, संगीता शरण एवं कई गणमान्य अतिथियों को सम्मानित किया गया। इस भव्य समारोह में पत्रकारिता, शिक्षा, विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े लगभग 200 प्रबुद्ध लोगों की उपस्थिति रही।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse