सही तरह से जीने का विज्ञान है योग : स्वामी मुक्तरथ

 

स्वामी मुक्तरथ 

एबीएन सोशल डेस्क। सत्यानंद योग मिशन ने न्यायिक एकेडमी, डीएवी कपिलदेव, सत्यानंद योग मिशन सरोवर नगर में ध्यान दिवस के अवसर पर सामूहिक ध्यान का अभ्यास किया। इस अवसर पर स्वामी मुक्तरथ ने कहा कि योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक आदि सभी पहलुओं पर काम करता है।

योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। तो योग जीने का एक तरीका भी है और अपने आप में परम उद्देश्य भी। 

योग सबसे पहले लाभ पहुंचाता है बाहरी शरीर (फिजिकल बॉडी) को, जो ज्यादातर लोगों के लिए एक व्यावहारिक और परिचित शुरुआती जगह है। जब इस स्तर पर असंतुलन का अनुभव होता है, तो अंग, मांसपेशियां और नसें सद्भाव में काम नहीं करते हैं, बल्कि वे एक-दूसरे के विरोध में कार्य करते हैं। 

बाहरी शरीर (फिजिकल बॉडी) के बाद योग मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर काम करता है। रोजमर्रा की जिंदगी के तनाव और बातचीत के परिणामस्वरूप बहुत से लोग अनेक मानसिक परेशानियों से पीड़ित रहते हैं। योग इनका इलाज शायद तुरंत नहीं प्रदान करता लेकिन इनसे मुकाबला करने के लिए यह सिद्ध विधि है। 

पिछली सदी में, हठ योग (जो कि योग का सिर्फ एक प्रकार है) बहुत प्रसिद्ध और प्रचलित हो गया था। लेकिन योग के सही मतलब और संपूर्ण ज्ञान के बारे में जागरूकता अब लगातार बढ़ रही है। 

योग के लाभ

शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभों में से एक है। यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है; क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है। योग अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप, गठिया, पाचन विकार और अन्य बीमारियों में चिकित्सा के एक सफल विकल्प है, खासतौर से वहां जहां आधुनिक विज्ञान आजतक उपचार देने में सफल नहीं हुआ है। 

एचआईवी पर योग के प्रभावों पर अनुसंधान वर्तमान में आशाजनक परिणामों के साथ चल रहा है। चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार, योग चिकित्सा तंत्रिका और अंत:स्रावी तंत्र में बनाये गये संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है।  

अधिकांश लोगों के लिए हालांकि, योग केवल तनावपूर्ण समाज में स्वास्थ्य बनाये रखने का मुख्य साधन हैं। योग बुरी आदतों के प्रभावों को उलट देता है, जैसे कि सारे दिन कुर्सी पर बैठे रहना, मोबाइल फोन को ज्यादा इस्तेमाल करना, व्यायाम न करना, गलत खानपान रखना इत्यादि। इनके अलावा योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। 

इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे।  हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुंचाता है। तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लायें। (लेखक सत्यानंद योग मिशन, रांची के प्रभारी हैं।)

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