टीम एबीएन, रांची। आज दिन रविवार दोपहर 2 बजे से गंगा आश्रम होटल में अतिथि शिक्षकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बतलाया कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। अतिथि शिक्षकों को काम करने से रोका जा रहा है, जबकि माननीय उच्च न्यायालय का निर्देशन है कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है तब तक अतिथि शिक्षकों को नहीं हटाया जा सकता है।
इसके बावजूद रांची विश्वविद्यालय के द्वारा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार के संकल्प का हवाला देते हुए काम करने से रोका जा रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय के पदाधिकारी विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं महाविद्यालय के प्राचार्य को मौखिक रूप से निर्देशन दिया है कि अतिथि शिक्षकों से काम नहीं लिया जाये एवं इन्हें हाजरी बनाने से रोका जाये। जिसके कारण अतिथि शिक्षकों की हाजिरी का रजिस्टर हटा दिया गया है।
वहीं कुछ महाविद्यालयों में हाजरी रजिस्टर और बायोमेट्रिक मशीन भी हटा दिया गया है। वहीं दूसरी ओर इन अतिथि शिक्षकों को 18 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है। संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि पिछली हेमंत सरकार ने 14/ 10/ 2024 को अपने अंतिम कैबिनेट में अतिथि शिक्षकों को आवश्यकता आधारित शिक्षक के रूप में समायोजित करने का प्रस्ताव पारित किया लेकिन इसके द्वारा जो संकल्प बनाया गया संकल्प काफी भ्रामक है, जिसके कारण अतिथि शिक्षकों का न तो अभी तक समायोजन हो पाया है। वहीं दूसरी ओर इसी संकल्प का हवाला देते हुए हमें काम करने से रोका जा रहा है।
इस पर इन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि अतिथि शिक्षकों से संबंधित अंतिम कैबिनेट में पारित संकल्प पर पुनर्विचार किया जाये एवं उस पर संशोधन किया जाए तथा हमारी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाये। वहीं मोहम्मद ताल्हा ने कहा कि हमें पिछले 18 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है जिसके कारण सभी अतिथि शिक्षकों की माली हालत अत्यंत दयनीय हो चुकी है।
वहीं दूसरी ओर इन्होंने बताया कि लगभग 9 वर्ष पूर्व हमारी नियुक्ति विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी तथा GER बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। इसके लिए सभी विभागों में विद्यार्थियों के नामांकन की संख्या बढ़ा दी गयी, जिसके कारण वर्तमान समय में सभी विभागों में डबल संख्या में विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं।
अब स्थिति यह हो चुकी है कि विद्यार्थियों की संख्या तो बढ़ चुकी है लेकिन इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों को हटाने का प्रावधान कर दिया गया है। डॉ साहब आर्यन ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा सबसे पहले हमारी नियुक्ति नियम संगत तरीके से विभिन्न विज्ञापनों के माध्यम से हुई है इसके बावजूद हमें फिर से नयी नियुक्ति प्रक्रिया में आवेदन कराना हमारे साथ दुर्व्यवहार और शिक्षकों के सम्मान से खिलवाड़ है।
संघ के संयोजक डॉ धीरज कुमार सिंह सूर्यवंशी ने कहा कि कैबिनेट के द्वारा उस संकल्प को भी समाप्त कर दिया गया, जिस संकल्प के द्वारा हमारी नियुक्ति की गयी थी अर्थात हमारा आधार ही समाप्त हो जाये, जिससे हम अपना अधिकार भी न मांग सके।
अतः अतिथि शिक्षक संघ ने राज्य सरकार से राज्य सरकार से मांग किया कि तत्काल संकल्प संख्या 1609 में आवश्यक संशोधन करते हुए अतिथि शिक्षकों को आवश्यकता आधारित सहायक प्रध्यापक के रूप में समायोजित करें साथी उनके सभी बकाया मानदेय का भी तत्काल भुगतान करें।
इस दौरान प्रेम शंकर तिवारी, शिवकुमार, आलोक उत्पल, राजु हजाम, डॉ विद्याधर मेहता, निहारिका महतो, शहबाज आलम, मोहम्मद तल्हा, डॉ हैदर अली, सुमित बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षक उपस्थित थे। उक्त जानकारी झारखंड अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने दी।
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