11 को मनायी जायेगी गीता जयंती

 

  • श्रीकृष्ण का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों वर्ष पहले था : संजय सर्राफ

एबीएन सोशल डेस्क। विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग व राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि गीता जयंती का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इस वर्ष गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 दिन बुधवार को मनायी जायेगी। 

मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसकी स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। इसका महत्व भगवद गीता हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद को आधार बनाता है। 

यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि जीवन के आचार-व्यवहार नीति,और दर्शन के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। गीता जयंती का पर्व इसी दिव्य ग्रंथ के उपदेशों की महिमा को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण के उपदेशों को याद करने और उनका अनुसरण करने के लिए समर्पित होता है। 

भगवद गीता का संवाद महाभारत के भीष्म पर्व में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ था। गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर हुआ, जब अर्जुन अपने कुटुंब के साथ युद्ध करने में असमर्थ महसूस कर रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कर्म, धर्म, भक्ति, और योग के माध्यम से जीवन का सही मार्ग दिखाया। 

गीता के 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में जीवन के हर पहलू का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें कर्मयोग, भक्ति योग, ज्ञानयोग, और संन्यास योग जैसे प्रमुख विषयों का वर्णन है, जो व्यक्ति को अपने जीवन को संतुलित और आंतरिक शांति से भरपूर बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। 

गीता जयंती पर श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस दिन विशेष रूप से गीता के पाठ का आयोजन किया जाता है, जिससे व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त कर सके। मंदिरों में गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है और लोग सामूहिक रूप से इसे सुनने के लिए एकत्रित होते हैं। 

कई स्थानों पर गीता के महत्व पर प्रवचन भी होते हैं, जहां विद्वान और साधु भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का विस्तार से अर्थ बताते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक परिप्रेक्ष्य से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति को अपने जीवन में आदर्श और नैतिकता को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। 

इस दिन का महत्व यह भी है कि यह हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का सही ढंग से पालन करने की प्रेरणा देता है। गीता के उपदेशों को अपनाकर हम अपने जीवन को सरल, शांत, और उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं। गीता जयंती का पर्व हमें यह समझाता है कि भगवान श्री कृष्ण का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना हजारों साल पहले था।

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