टीम एबीएन, रांची। राणी सती दादी जी का मंगसीर बदी नवमी 24 नवंबर को मनाया जायेगा। रांची जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि दादी जी की सभी मंदिरों में मंगसीर नवमी का महोत्सव बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। राणी सती दादी जी जिन्हें नारायणी देवी के नाम से भी जाना जाता है, संस्कृति और धर्म में साहस, त्याग और निष्ठा का प्रतीक मानी जाती हैं।
उनकी कथा प्रेरणादायक और मार्मिक है, जो उनकी अमर गाथा को सजीव करती है। मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके बलिदान और उनकी दिव्य शक्ति को स्मरण करने के लिए विशेष महत्व रखता है।यह कथा महाभारत काल से जुड़ी है।मंगसीर मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को श्री राणी सती दादी जी की जयंती मनायी जाती है, जिसे मंगसीर बदी नवमी के रूप में जाना जाता है। यह दिन श्री राणी सती दादी जी की मार्मिक कथा को याद करने का अवसर है, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
उन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद सती होने का फैसला लिया। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी भक्ति और समर्पण को देखकर उन्हें बचा लिया और उन्हें अपने चरणों में स्थान दिया। श्री राणी सती दादी जी की कथा हमें धर्म, संस्कृति और पति के प्रति समर्पण की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करती है। कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करने के लिए अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए।
मंगसीर बदी नवमी का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन की पूजा और आराधना से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है। नारायणी देवी के सती होने के बाद उन्हें राणी सती दादी जी के रूप में पूजा जाने लगा। राणी सती दादी मारवाड़ी समाज की कुलदेवी भी है मंगसीर बदी नवमी के दिन झुंझुनू स्थित राणी सती मंदिर सहित पूरे देश के दादी के मंदिरों में विशाल महोत्सव का आयोजन होता है।
जिसमें राजस्थानी महिलाएं, पुरुष द्वारा मंदिरों में राणी सती दादी जी की पूरे विधि विधान से विशेष पूजा की जाती है। मंदिरों मे दादी जी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार एवं भव्य झांकी सजाई जाती है। दिनभर भजन कीर्तन मंगल पाठ और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। राणी सती दादी जी को साहस, निष्ठा और आशीर्वाद की देवी माना जाता है।
उनके भक्त जीवन के कठिन समय में उनका आह्वान करते हैं। ऐसा विश्वास है कि उनकी पूजा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। राणी मंगसीर बदी नवमी का दिन उनके त्याग और शक्ति को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन सभी भक्तों के लिए दादी जी से आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर होता है।
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