मेटाज ऑफ सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट स्कूल बरियातू में शान से लहराया तिरंगा

 

रांची। मेटाज ऑफ सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट बरियातू, रांची में स्वतंत्रता दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अधिवक्ता एफ एन नीलेश ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और झंडा को सलामी दी। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री नीलेश ने कहा कि आजादी की लड़ाई में जिन महापुरुषों का योगदान रहा है उनमें से कुछ का नाम तो हम जानते हैं लेकिन बहुतो को हम नहीं जानते हैं। आजादी की 75वी वर्ष गांठ पर आज हम दोनों ही तरह के महापुरुषों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि आजादी की पहली लड़ाई के रूप में हम 1857 की को जानते हैं लेकिन मेरा मानना है कि अंग्रेजो ने जब से हमें गुलाम बनाने की प्रक्रिया शुरू की तभी से आजादी की छटपटाहट शुरू हो गई थी और लोग अंग्रेजी हुकुमत का विरोध करना शुरू कर दिया था, जिसका उदाहरण संथाल विद्रोह और कोल विद्रोह जैसे आंदोलन थे। ये बात सही है कि जब महात्मा गांधी ने आजादी के लिए संघर्ष शुरू किया तो आंदोलन का स्वरूप बदल गया। पहले प्रतिनिधि सभा में कुछ सदस्यों को शामिल किए जाने की मांग होती थी लेकिन जब 1929में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग हुई तो यह आंदोलन पूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन में तब्दील हो गया। श्री नीलेश ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजो से केवल सत्ता नहीं छीनना चाहते थे बल्कि एक बेहतर भारत के निर्माण का भी सपना संजोए हुए थे। स्वतंत्रता सेनानियो में कानून में गहरी आस्था थी और कानून का शासन स्थापित करना चाहते थे। लेकिन वे गलत कानून का शक्ति से विरोध को भी पसंद करते थे, क्योंकि महात्मा गांधी का आंदोलन अंग्रेजी कानून के विरोध के रूप में ही था। लोगों का मानना है कि महात्मा गांधी ने देश का बंटवारा करवा दिया, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने भारत के आजादी के लिए कानून बनाया और पाकिस्तान के लिए भी कानून बनाया। पाकिस्तान के लिए तो भारत की आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को कानून बनाकर भारत का बटवारा कर दिया। न चाहकर भी इस विभाजन को स्वीकार करना पड़ा। बहुत सी घटनाओ के कारण वे लोग विवश हो गए थे। उस समय की घटनाओ का आज की परिस्थियों के संदभ में मूल्याकन करना संभव नहीं है। इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य एस डी डी नायडू, एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट बॉबी जेम्स, हेडमास्टर हांसदा, उप प्राचार्य मोनोलता, यमुना नायडू, शशांक नायडू, रफिया नाज, स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाए और मेटाज़ के कर्मचारी गण उपस्थित थे।

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