मेदिनीनगर। भारतीय इतिहास में आज का दिन (25 जून) काला धब्बा के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने राजनीतिक स्वार्थों के लिए आपातकाल की घोषणा की थी, जो भारत के महान लोकतंत्र पर काला धब्बा है। उक्त बातें पलामू सांसद विष्णुदयाल राम ने कही। सांसद ने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। जिसके अंतर्गत चुनाव स्थगित किए गए तथा नागरिक अधिकारों का हनन किया गया। राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया था और प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था एवं बड़े पैमाने पर पुरूष नसबंदी अभियान चलाया गया था। जिससे आम जनता काफी आहत हुयी थी। जनता के द्वारा आपातकाल के विरूद्ध सत्याग्रह चलाया गया था। सांसद श्री राम ने कहा कि आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत राजनीतिक विरोधियों जय प्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडिस आदि को गिरफ्तार किया गया था। आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया गया, हजारों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा भीषण यातनाएं दी गयी। श्री राम ने कहा कि कांग्रेस द्वारा जनता पर थोपा गया काला कानून का विरोध पूरे देश में चरम सीमा पहुंच गया जिसके फलस्वरूप पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी। श्री राम ने सत्याग्रहियों को नमन करते हुए कहा कि जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का विरोध किया और लोकतांत्रिक मूल्यों की आस्था को संजोकर रखा, उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक है।
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