बेहतर बिजली झारखंडवासियों के लिए अभी भी सपना ही है...

 

एबीएन डेस्क, रांची। झारखंड में कोयले का भंडार समृद्ध है। साथ ही सौर और बायोमास जैसी ऊर्जा के प्राकृतिक संसाधन भी राज्य में प्रचुर मात्रा में हैं। ऊर्जा के इतने स्रोतों के बाद भी पूरे राज्य में बिजली की पहुंच अभी दूर के ख्वाब हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में बिजली की पहुंच का न होना, अभी भी चिंता के कारण हैं। ऐसा इसलिए है कि राज्य अपनी क्षमता और उपलब्धता के बराबर अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का पूरा इस्तेमाल करने में असमर्थ है। राज्य के नेतृत्व को घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं की ऊर्जा मांग पूरा करने के लिए अपने नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के उपयोग वास्ते एक स्वच्छ ऊर्जा नीति की आवश्यकता है। इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल एनर्जी पॉलिसी के शोधकर्ताओं ने झारखंड के ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले कई हितधारकों के साथ बातचीत की। विभिन्न साक्षात्कारों के माध्यम से, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि राज्य में स्वच्छ ऊर्जा एकीकरण की आवश्यकता अनिवार्य है। इसके अलावा, उन्होंने राज्य के थर्मल पावर प्लांटों के पुराने बेड़े को बदलने के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को लागू करने में आने वाली विभिन्न चुनौतियों की पहचान की। झारखंड की विकास नीतियों, पहलों और उनकी स्थिति की रिपोर्टों की विस्तृत समीक्षा की। इसके बाद अनुसंधान समूह ने राज्य के नेतृत्व के सामने आने वाली चुनौतियों को रचनात्मक रूप से कम करने के लिए दो व्यावहारिक कार्यान्वयन ढांचे बनाए हैं। कोयला के मामले में एतिहासिक रूप से समृद्ध होने के बीच बिजली क्षेत्र की समस्या बनी हुई है। खराब एकीकृत नई नीतियों, कई सरकारी गतिविधियों के बीच समन्वय की कमी, जैसी बाधाओं ने राज्य के क्लीन एनर्जी के विस्तारीकरण को प्रभावित किया है। झारखंड में घरेलू उद्योग न केवल अपनी क्षमता के अनुसार स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग नहीं कर रहे हैं, चुनौतियों को दूर करने और सरकारी प्रोत्साहन की कमी के कारण अक्षय ऊर्जा आधारित समाधान अपनाने से भी हिचक रहे हैं। कोयला आधारित बिजली विकास की प्राथमिकता ने अक्षय और विकेंद्रीकृत ऊर्जा क्षेत्र में विकास को पीछे धकेल दिया है। झारखंड सरकार को निवेश आकर्षित करने और अक्षय ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए एक व्यापक ढांचे का निर्माण करना चाहिए। राज्य में प्रमुख उद्योगों को अक्षय ऊर्जा के उच्च मूल्यों का उपभोग करने के लिए रास्ते बनाना चाहिए। क्लीन एनर्जी की खरीद राज्य की वितरण कंपनियों को उनके नवीकरणीय खरीद दायित्वों (रिन्यूएबल परचेज आॅब्लीगेशंस- आरपीओ) अनुपालनों को पूरा करने में भी सहायता करेगी। समानांतर रूप से, सरकार को विकेंद्रीकृत ऊर्जा क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए राज्य में काम कर रहे जमीनी स्तर के संगठनों के साथ साझेदारी करने के लिए स्थानीय अधिकारियों पर जोर देना चाहिए। इस संदर्भ में, हम राज्य की मौजूदा चुनौतियों के लिए कार्य समाधान के रूप में तैयार किए गए दो ढांचे की अनुशंसा करते हैं। यह स्पष्ट है कि कई भौगोलिक बाधाओं के कारण राष्ट्रीय ग्रिड हर घर तक नहीं पहुंच सकता है। जमीनी स्तर के विकास संगठनों के साथ बातचीत से पता चलता है कि ग्रामीण समुदाय बिजली के एक विश्वसनीय स्रोत तक पहुंचने में असमर्थ था। खासकर अविकसित केंद्रीय बिजली ग्रिड के माध्यम से अधिक बिजली कटौती के कारण। चूंकि बिजली एक जरूरी विकास संसाधन है, इसलिए राज्य के ग्रामीण और उप-शहरी क्षेत्रों में आॅफ-ग्रिड ऊर्जा को एकीकृत करना जरूरी है। ताकि बिजली के कारण जो व्यवसाय नहीं हो पा रहा है, उसे विकसित करने में मदद मिल सके। झारखंड में आॅफ-ग्रिड ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तेजी से अभियान चलाया जाना चाहिए। इसमें झारखंड अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (जेआरईडीए) और राज्य वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के बीच समन्वय में सुधार करना होगा। ताकि रणनीतिक जागरूकता अभियान के माध्यम से सोलर (आॅफ-ग्रिड) ऊर्जा समाधानों पर सामाजिक स्तर पर सुधार किया जा सके। राज्य-व्यापी कार्यान्वयन तकनीकों के माध्यम से मौजूदा मिनी-ग्रिड को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जा सकता है। राज्य नियामकों और ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने के लिए मिनी-ग्रिड एक अधिक कुशल और तेज मार्ग हो सकता है। लेकिन इसके लिए एक मजबूत नीति की आवश्यकता होगी। इससे राज्य की आॅफ-ग्रिड क्षमता में वृद्धि होगी। हालांकि इसे लागू करने में राजनीतिक बाधाएं और जन जागरूकता की कमी बाधा बन सकती है। राज्य में वित्तीय सहायता तंत्र और कौशल विकास में सुधार की योजना बनानी होगी। ऐसे परिदृश्य में, जहां सरकार निवेश करती है और एक गांव में एक संयंत्र स्थापित करती है, यह आवश्यक है कि संयंत्र गांव की बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करे और आत्मनिर्भर हो। अक्षय ऊर्जा को वित्तीय और व्यवहारिक तरीके से एकीकृत करना केवल प्रशिक्षित स्थानीय व्यक्तियों द्वारा ही किया जा सकता है। ये व्यक्ति समुदायों में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने वाले आॅन-ग्राउंड कार्यबल के रूप में कार्य करेंगे। इसके अलावा, स्थापना के समय उनकी उपस्थिति राज्य में स्थानीय लोगों के साथ एक भरोसेमंद स्थिति बनाने में मदद करेगी। तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक रूफटॉप सोलर का उपयोग करके राज्य की उच्च सौर क्षमता का लाभ उठाना होगा। राज्य में 1,300 से अधिक पंजीकृत एमएसएमई, 1,200 हाई स्कूल और कई अन्य सार्वजनिक भवन हैं, जिनका उपयोग रूफटॉप सोलर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए किया जा सकता है। इस परियोजना को झारखंड सरकार के साथ साझेदारी में रूफटॉप सोलर विकसित करने के लिए चल रहे राष्ट्रीय मिशन से जोड़ा जा सकता है।

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