पिपरवार। सैनिक माइनिंग कंपनी में कार्यरत मजदूरों ने विगत दो वर्षों से अपने वेतन वृद्धि की मांग कर रहे थे लेकिन अभी तक मजदूरों की वेतन में वृद्धि नहीं किया गया जब जब मजदूरों ने सैनिक कंपनी को अपनी एकता दिखा कर काम बंद किया तब तब कंपनी प्रबंधन ने आश्वासन देते हुए कहा इस माह में आपलोगो का वेतन वृद्धि किया जाएगा, आश्वासन के बाद मजदूरों ने काम तो चालू कर देते थे लेकिन सैनिक कंपनी द्वरा मजदूरों के वेतन में वृद्धि नहीं किया जाता था। मजदूरों का कहना है कि पिछले दो सालों से वेतन बढ़ोतरी की मांग की जा रही है लेकिन सैनिक कंपनी द्वारा कोई भी कदम नहीं उठाया गया। जिसे अब मजदूर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं सैनिक कंपनी द्वारा हम मजदूरों को काम से निकालने की धमकी दी जाती थी। दो-तीन माह बाद शनिवार को हम मजदूरों ने अपनी वेतन वृद्धि को लेकर एक घंटा काम को बंद कर दिया गया था काम बंद होने के बाद कंपनी प्रबंधन द्वारा आश्वासन देने पर काम को चालू किया गया। मजदूरों के नाम पर निकली गयी सूचना : 10 अप्रैल 2021 को कंपनी द्वरा एक सूचना निकाला जाता है जिसमे यह लिखा हुआ है कि जमीन के अभाव में कंपनी की लगभग 50 से 60 प्रतिशत गाड़ियां एवं मसिने पिछले आठ दस माह से खड़ी है जो गाड़ी एवं मशीनें खड़ी है उसको चलाने के लिए सीसीएल के द्वारा जमीन उपलब्ध करवाने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है जिसके कारण अप्रैल माह से कुछ कर्मचारियों को छटनी किया जाएगा। जब सैनिक कंपनी में कार्यरत मजदूरों ने सैनिक कंपनी के एमटीके कार्यालय के बाहर सटे नाम सहित छटनी का लिस्ट देखा तो उनके होश उड़ गए। क्या कहते हैं मजदूर : सैनिक कंपनी में कार्यरत मजदूरों का कहना है अगर कंपनी में 50 से 60 प्रतिशत गाड़ियां खड़ी है तो छटनी के नाम पर सिर्फ यहां के लोगो को क्यों निकाला जा रहा है निकालना ही है तो जो बाहर से आए हुए है उनको कंपनी निकले। हमारा यहां पर जगह जमीनें सब तो सी.सी.एल में चला गया। न हमारी जमीन बची और न ही हमे रोजगार मिला। रोजगार भी मिला तो कंपनी हमलोगों इतना कम वेतन देती है कि उससे हमलोग अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई कराए या घर चलाए। जब हमलोगों ने कंपनी को वेतन वृद्धि करने को कहे तो छटनी के नाम पर हम रैयतों को कंपनी ने काम से निकाल दिया जबकि हमलोग 2014 से इस कंपनी में कार्यरत है। और जो बाहर से आए हुए है उनको कंपनी क्यों कार्य पे रखी हुई है जब कि उसका न जमीन गया न ही वो बेघर हुए है। अगर सैनिक कंपनी किसी को निकालता है तो पहले उन बाहर से आए हुए है उनको छटनी करे। अगर ऐसा कंपनी नही करती है तो हम सभी रैयत मजदूर, कंपनी के खिलाफ उग्र आंदोलन करेंगे।
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