एबीएन सेंट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 127वें एपिसोड की शुरुआत छठ की शुभकामनाओं के साथ की। पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि वे अपने आसपास छठ पूजा को देखें, काफी सुखद अनुभव होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 127वें एपिसोड की शुरुआत छठ की शुभकामनाओं के साथ की।
पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि वे अपने आसपास छठ पूजा को देखें, काफी सुखद अनुभव होगा। छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतिबिंब है। छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है। ये दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है।
गुजरात के वन विभाग ने मैनग्रोव (Mangrove) के महत्व को समझते हुए खास मुहिम चलाई हुई है। पांच साल पहले वन विभाग की टीमों ने अहमदाबाद के नजदीक धोलेरा में Mangrove लगाने का काम शुरू किया था, और आज धोलेरा तट पर साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में Mangrove फैल चुके हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि करीब पांच वर्ष पहले मैंने इस कार्यक्रम में भारतीय नस्ल के श्वान यानी dogs की चर्चा की थी। मैंने देशवासियों के साथ ही अपने सुरक्षा बलों से आग्रह किया था कि वे भारतीय नस्ल के डॉग्स को अपनाएं, क्योंकि वो हमारे परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप ज्यादा आसानी से ढल जाते हैं। BSF और CRPF ने अपने दस्तों में भारतीय नस्ल के डॉग्स की संख्या बढ़ाई है।
सरदार पटेल आधुनिक काल में राष्ट्र की सबसे महान विभूतियों में से एक रहे हैं। उनके विराट व्यक्तित्व में अनेक गुण एक साथ समाहित थे। मेरा आप सबसे आग्रह है, 31 अक्टूबर को सरदार साहब की जयंती पर देशभर में होने वाली Run For Unity में आप भी जरूर शामिल हों।
वन्देमातरम् इस एक शब्द में कितने ही भाव हैं, कितनी ऊर्जाएं हैं। सहज भाव में ये हमें माँ भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है। यही हमें माँ भारती की संतानों के रूप में अपने दायित्वों का बोध कराता है।
अगर कठिनाई का समय होता है तो वन्देमातरम् का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है। 7 नवंबर को हम वन्देमातरम् 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं। 150 वर्ष पूर्व वन्देमातरम् की रचना हुई थी और 1896 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे गाया था।
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे, एक अनेखो कार्यक्रम का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया, छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में शहर से प्लास्टिक कचरा साफ करने के लिए एक अनोखी पहल की गई है।
अम्बिकापुर में गार्बेज कैफे चलाये जा रहे हैं। ये ऐसे कैफे हैं, जहां प्लास्टिक कचरा लेकर जाने पर भरपेट खाना खिलाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति एक किलो प्लास्टिक लेकर जाए तो उसे दोपहर या रात का खाना मिलता है और कोई आधा किलो प्लास्टिक ले जाए तो नाश्ता मिल जाता है। ये कैफे अम्बिकापुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चलाता है।
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