पर्यावरण और पारिस्थितिकी के महान संरक्षक थे सैंट फ्रांसिस : बिशप विंसेंट

 

फ्रैंसिस्कन धर्मसभा जिमों ने मनाया प्रकृति के संरक्षक संत फ्रांसिस आफ असीसी का पर्व 

संत फ्रांसिस आफ असीसी का पर्व धूमधाम से मना 

टीम एबीएन, रांची। फ्रांसिस्को टी ओ आर धर्म समाज के धर्म समाजियों ने आज अपने धर्म के संस्थापक और प्रकृति के संरक्षक संत फ्रांसिस आॅफ असीसी का पर्व धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर सेंट फ्रांसिस चर्च हरमू में समारोही मिस्सा चढ़ा कर इस शुभ दिन के लिए प्रभु का धन्यवाद किया गया।  

आर्च बिशप विंसेंट आईंद बतौर मुख्य अनुष्ठाता रहे। जबकि उनके साथ बतौर सह अनुष्ठाता  फ्रैंसिस्कन धर्मसंध रांची के प्रोविंशियल फादर मनोज वेंगाथानम टीओआर, फादर हिलारियस बरला, फादर इसीदोर केरकेट्टा, फादर मथियस कंडुलना, फादर जसमन टोप्पो समेत अन्य पुरोहित गण शामिल थे।

मुख्य अनुष्ठाता बिशप विंसेंट ने अपने समारोही संदेश में कहा कि हजारों वर्ष पूर्व इटली के असीसी में जन्मे संत फ्रांसिस पर्यावरण और परिस्थिति के महान संरक्षक थे उन्होंने सूरज चांद तारे पहाड़ पर्वत पेड़-पौधे नदी झरने समुद्र पशु पक्षी छोटे जीव जंतु से लेकर विशाल जानवरों से प्रेम किया उनके साथ सह अस्तित्व में रहे तथा उनका संरक्षण कियाऔर उनकी सेवा में ईश्वरीय प्रेम को अनुभव किया। 

उनकी  दूरदर्शिता थी कि हजारों वर्ष पूर्व उनकी जल संरक्षण वन संरक्षण वायु संरक्षण पर जोर दिया इस कारण  1979 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें पर्यावरण और पारिस्थितिकी का महान संरक्षक संत घोषित किया था साथ ही उन्हें जानवरों के संरक्षक संत के रूप में भी सम्मानित किया था। 

पूरे विश्व में मौजूदा पर्यावरणीय संकट और पारिस्थितिकी संकट को देखते हुए न सिर्फ फ्रांसिस्कन धर्म समाज और उनके अनुसरणारथी बल्कि हर एक व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म समुदाय का क्यों ना हो आज संत असीसी के संत फ्रांसिस के  पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांत को स्वीकारने वह अपनाने को बाध्य है। 

उन्होंने कहा कि एक संपन्न और धनी परिवार में जन्मे फ्रांसिस ने विलासिता के जीवन का परित्याग कर ईश्वरीय सेवा में निर्धनता शुद्धता और विनम्रता का जीवन अपनाया। प्रकृति में सभी को सम्मान दिया। लोगों को उन सभी का महत्व समझाया प्रकृति और पर्यावरण के प्रति अपने गहरे प्रेम तथा ईसा मसीह के प्रति अपने समर्पण और गरीब एवं बीमारी की सेवा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया।

असीसी के संत फ्रांसिस ही थे जिन्होंने यीशु मसीह के जन्म के दृश्य को बतौर जीवन चरनी  सबसे पहले जीवंत प्रस्तुत किया था। रोमन कैथोलिक इतिहास में हुए सबसे सम्मानित धार्मिक हस्तियों में से एक है तथा ना के की सेंट कैथरीन इटली के संरक्षक संत है। उनके इंजन उत्साह गरीबों के प्रति समर्पण दान और व्यक्तिगत करिश्मा ने हजारों अनुयायियों को उनकी ओर आकर्षित किया। 

वर्ष 1209 में उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर फ्रांसिस्का धर्म समाज की स्थापना की जो निर्धनता और आगे कार्यकारिता के साथ आज भी पूरे विश्व में लोगों को शिक्षक सेवा स्वास्थ्य सेवा और नैतिक शिक्षा देते हुए समाज के निर्माण में समर्पित है वर्ष 1226 में उनका निधन हो गया और वर्ष 1228 में उन्हें संत घोषित किया गय। फ्रांसिस धर्म समाज त्यौहार के असम के पुरोहित आज पूरी दुनिया के विभिन्न देश में गरीब दुखियों और शिक्षितों की सेवा में समर्पित है।  

दो कामिल बुल्के पथ स्थित फ्रांसिस धर्म समाज के फ्रांसिस ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में आज इस अवसर पर विभिन्न धर्म समाज के पुरोहितों धर्म बहनों धर्म बांधो और नव शिष्याओं ने सामूहिक रूप से उनकी आराधना की और फ्रांसिस धर्म समझो को उनके इस विशेष पर्व की शुभकामनाएं दी साथ ही सब होने एक स्वर में संत फ्रांसिस के पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांत को अपने और व्यक्तिगत जीवन में जीने एवं दूसरों को वैसाजीवन जीने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया।

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