पंच परिवर्तन के लिए संघ का राष्ट्रव्यापी आह्वान

 

सह सरकार्यवाह आलोक कुमार का विजयादशमी पर ऐतिहासिक संबोधन 

टीम एबीएन, कोकर (शिवाजी नगर) रांची। रांची महानगर, दिनांक 25.09.2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने विजयादशमी उत्सव समारोह के अवसर पर कोकर नगर में उपस्थित सैकड़ों स्वयंसेवकों एवं नागरिकों को संबोधित करते हुए एक दीर्घकालिक सामाजिक परिवर्तन का आह्वान किया। 

उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष (2025-2030) को ध्यान में रखते हुए अगले 15 से 20 वर्षों तक स्वयंसेवक समाज में पंच परिवर्तन के पांच प्रमुख क्षेत्रों में समर्पित रूप से कार्य करें। 

पंच परिवर्तन की दिशा में संघ का मार्गदर्शन 

आलोक कुमार ने समाज को सशक्त, स्वावलंबी और समरस बनाने हेतु पांच परिवर्तनकारी कदमों का सूत्रपात किया, जिन्हें हर स्वयंसेवक को अपने जीवन का लक्ष्य बनाना चाहिए: 

  1. सामाजिक समरसता : छुआछूत का पूर्ण उन्मूलन : जातिगत भेदभाव और छुआछूत जैसी कुरीतियों को न केवल व्यवहार से, बल्कि मन और आत्मा से समाप्त करने का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति तक समानता का अनुभव नहीं पहुंचेगा, तब तक समरस राष्ट्र की कल्पना अधूरी रहेगी। 
  2. पर्यावरण संतुलन : प्रकृति के प्रति संवेदना का विकास : आलोक जी ने बढ़ते पर्यावरण असंतुलन पर चिंता व्यक्त करते हुए शुद्ध वायु, शुद्ध पेयजल, पौधरोपण और अन्न की बर्बादी रोकने जैसे अभियानों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकार की नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। 
  3. कुटुम्ब प्रबोधन : परिवार संस्था का सशक्तिकरण : परिवार को समाज की मूल इकाई बताते हुए उन्होंने संबंधों में सम्मान, आपसी संवाद और संयुक्तता को बनाये रखने की अपील की। संवेदनशील, सुसंस्कृत और सशक्त परिवार ही राष्ट्र की नींव को मजबूत करते हैं, उन्होंने कहा। 
  4. स्वदेशी : आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूत करना : स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि वोकल फॉर लोकल केवल नारा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की कुंजी है। जो वस्तुएं भारत में बन सकती हैं, उन्हें विदेश से मंगाना आत्मघाती है, उन्होंने कहा। 
  5. नागरिक कर्तव्य : अधिकारों से पहले कर्तव्यों की चेतना : उन्होंने बताया कि एक जागरूक नागरिक वह होता है जो अपने कर्तव्यों का पालन पहले करता है, अधिकार अपने आप फलस्वरूप मिलते हैं। हमें शिक्षा, सुरक्षा, स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में अपने दायित्व समझने होंगे। 

विजयादशमी का संदेश : बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक 

अपने सारगर्भित उद्बोधन में आलोक कुमार ने विजयादशमी के ऐतिहासिक संदर्भ को जोड़ते हुए बताया कि जैसे मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान राम ने रावण के अहंकार का विनाश किया, वैसे ही हमें अपने अंदर के अहंकार, अज्ञान और नकारात्मकता का अंत कर, ज्ञान, शक्ति और धन को समाजहित में प्रयोग करना चाहिए। 

घर-घर संपर्क अभियान : समाज जागरण का अगला चरण 

उन्होंने घोषणा की कि संघ के स्वयंसेवक समाज में जाकर शिक्षा, देशप्रेम, आपदा प्रबंधन और समाज जागरण के लिए घर-घर संपर्क करेंगे। जन-जन तक पहुंच कर राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करना ही संघ का उद्देश्य है, उन्होंने कहा। 

शस्त्र पूजन और पथ संचलन : परंपरा और अनुशासन का संगम 

मौके पर मूसलाधार वर्षा के बीच सैकड़ों स्वयंसेवकों ने कोकर नगर में अनुशासित रूप से पथ संचलन किया। इसके साथ ही परंपरागत शस्त्र पूजन किया गया, जो शक्ति और मर्यादा के संतुलन का प्रतीक है। 

उपस्थित गणमान्यजन 

समारोह में अनेक प्रमुख कार्यकर्ता एवं सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें विशेष रूप से प्रांत प्रचारक गोपाल जी, विभाग संघचालक विवेक भसीन, नगर संघचालक विजय राज,  शशिकांत जी, मुकेश कपूर, मदन राजभर, आनंद दूबे, सच्चिदानंद, राजेंद्र, संजीव विजयवर्गीय पूर्व डिप्टी मेयर, रांची म्युनिसिपल कारपोरेशन सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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