टीम एबीएन, कोडरमा। कोलकाता में मेडिकल पीजी की दूसरे वर्ष की छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस जघन्य घटना का प्रभाव कोडरमा में भी देखने को मिला, जहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के सदस्यों ने झुमरी तिलैया में स्थित पूर्णिमा टॉकीज से झंडा चौक तक एक कैंडल मार्च निकाला। इस मार्च में जिले के सभी डॉक्टर शामिल थे, जिनके चेहरों पर साफ-साफ गुस्सा और आक्रोश झलक रहा था।
जब एक तरफ पूरा देश स्वतंत्रता दिवस के जश्न में रंगा हुआ था, वहीं दूसरी ओर इस कैंडल मार्च में शामिल आम और खास लोगों ने इस घिनौनी घटना के खिलाफ अपने विरोध की आवाज बुलंद की। यह घटना न केवल महिला सुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आजादी के 78 साल बाद भी महिलाओं के खिलाफ इस तरह की मार्मिक और अमानवीय घटनाएं समाज को झकझोर कर रख देती हैं।
IMA के इस कैंडल मार्च में डॉक्टरों के साथ-साथ बड़ी संख्या में आम लोग भी शामिल हुए। उन्होंने न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरकर डॉक्टरों का समर्थन किया। IMA कोडरमा के जिला सचिव डॉ. नरेश पंडित ने अपने संबोधन में कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने 78 मिनट के भाषण में महिला सुरक्षा और न्यायपालिका के महत्व पर बात की थी। इस घटना ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि हमें अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। जब तक अपराधियों को सख्त सजा नहीं दी जाएगी, तब तक इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी।
डॉ. नरेश पंडित ने यह भी कहा कि न्यायपालिका पर जनता का भरोसा कायम रखने के लिए सरकार और प्रशासन को त्वरित न्याय दिलाने की आवश्यकता है। कैंडल मार्च के दौरान डॉक्टरों ने नारे भी लगाए, जिनमें महिला सुरक्षा और न्याय की मांग की गई।
डॉ. नरेश पंडित ने इस घटना के खिलाफ IMA की ओर से कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें शामिल हैं:
IMA ने यह भी घोषणा की कि शनिवार सुबह 6 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक केन्द्रीय IMA के आह्वान पर कार्य बहिष्कार रहेगा। इस दौरान सिर्फ आपातकालीन सेवा चालू रहेगी। उन्होंने कहा कि RG कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के साथ हुए गैंगरेप और हत्या और उसके बाद गुंडों द्वारा कॉलेज में दहशत फैलाने की घटनाओं से डॉक्टरों में भय का माहौल है।
कोडरमा में IMA के कैंडल मार्च में हिस्सा लेने वाले डॉक्टरों और आम लोगों का कहना था कि यह घटना समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी असफलता को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि जब तक दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक इस तरह की घटनाओं का सिलसिला थमने वाला नहीं है।
कैंडल मार्च के दौरान, डॉक्टरों ने न केवल घटना की निंदा की, बल्कि उन्होंने समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान बढ़ाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि एक सभ्य समाज में इस तरह की घटनाओं के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
इस घटना ने सरकार और न्यायपालिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कैंडल मार्च में शामिल लोगों का कहना था कि अगर सरकार और न्यायपालिका ने समय रहते इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई की होती, तो शायद आज यह स्थिति नहीं होती।
डॉक्टरों और आम लोगों ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन को महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं करती है, तो इसका असर समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर पड़ेगा।
कैंडल मार्च मे डॉ आरके दीपक, डॉ सुजीत राज, डॉ आर पी शर्मा,डॉ सागर मनी सेठ,डॉ आशिष चंद्, डॉ आशिष, डॉ रचना गुप्ता, डॉ रुपा पांडेय, डॉ अनामिका, डॉ अलंकृता, डॉ नम्रता प्रिया, डॉ नम्रता सेठ, डॉ पुनम, डॉ दिवाकर, डॉ रामसागर सिंह, डॉ तरुण, डॉ प्रशांत, डॉ श्रद्धा, डॉ अभिषेक, डॉ रुपेश, डॉ अनुराग, डॉ अभिजीत, डॉ स्नेहा, डॉ नीरज साहा, डॉ सुनील वर्णवाल, डॉ वर्षा, डॉ रंजीत वर्णवाल , डॉ बी रानी, डॉ संदीप,डॉ अभिलाषा गुप्ता, डॉ उमेश कुमार, डॉ कुलदीप, डॉ, अभिजीत रॉय, डॉ राजीव कांत डॉ रंजीत कुमार बरनवाल, डॉ सुनील कुमार मोदी सहिता सभी डॉक्टर्स व आम नागरिक शामिल थे।
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