एबीएन नॉलेज डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) का अंतिम रॉकेट लॉन्च किया। यह रॉकेट सुबह 9:19 बजे प्रक्षिप्त किया गया। SSLV की यह तीसरी और आखिरी डेवलपमेंटल फ्लाइट है, जिसके सफलतापूर्वक लॉन्च होने के बाद यह रॉकेट पूरी तरह से तैयार माना जाएगा।
इसके माध्यम से ISRO छोटे सैटेलाइट्स को कम लागत में अंतरिक्ष में भेज सकेगा। इस बार SSLV अपने साथ EOS-08 सैटेलाइट को लेकर गया है। EOS-08 सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य धरती की तस्वीरें लेना और मौसम की जानकारी प्रदान करना है। यह सैटेलाइट 24 घंटे धरती की तस्वीरें खींचेगा, जो आपदा प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी और सुरक्षा में सहायक होगी।
इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड: यह दिन और रात दोनों समय धरती की तस्वीरें लेगा, जिससे आपदा प्रबंधन और पर्यावरण निगरानी में मदद मिलेगी। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड: यह समुद्र की सतह, मिट्टी की नमी और हिमालय के ग्लेशियरों की जानकारी देगा और बाढ़ की चेतावनी में भी सहायता करेगा।
सिलिकॉन कार्बाइड अल्ट्रावॉयलेट डोसीमीटर: यह गगनयान मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों की UV रेडिएशन से सुरक्षा की निगरानी करेगा और गामा रेडिएशन का पता लगाएगा। इस मिशन के सफल होने पर ISRO का वाणिज्यिक विभाग, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड, निजी कंपनियों के लिए भी सैटेलाइट लॉन्च कर सकेगा, जिससे अंतरिक्ष में भारत की पकड़ और मजबूत होगी। EOS-08 मिशन का मुख्य उद्देश्य माइक्रोसैटेलाइट्स का विकास, नए उपकरण बनाना और भविष्य के उपग्रहों के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करना है।
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