टीम एबीएन, रांची। झारखंड के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंपई सोरेन ने बीते शुक्रवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित झारखंड में उच्च शिक्षा के लिए डिजिटल पहल विषय पर कार्यशाला को संबोधित किया। इस दौरान चंपई ने कहा कि तकनीक के इस्तेमाल से हम विद्यार्थियों को भविष्य में आने वाली वैश्विक स्तर की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर पायेंगे।
चंपई ने कहा कि डिजिटल इनिशिएटिव द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को सीएससी से जोड़ कर, हम विभिन्न प्रक्रियाओं को तेज एवं पारदर्शी बना पायेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, मानकी मुंडा छात्रवृत्ति समेत कई योजनाएं शुरू की गयी हैं। इन योजनाओं का मूल उद्देश्य खनिज-संपदा के मामले में अमीर इस राज्य के गरीब आदिवासियों, मूलवासियों एवं आम लोगों को शिक्षा से जोड़ना है, ताकि वे शिक्षित होकर, अपने परिवार, समाज एवं राज्य की बेहतरी हेतु काम कर सकें।
चंपई ने कहा कि प्रदेश में रिसर्च को बढ़ावा देने को हमारी सरकार मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना लेकर आई है, जिसके तहत पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को हर माह 25,000 तक प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इसके साथ ही, विभाग द्वारा रांची में पूर्वी भारत का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय खोलने की पहल की जा रही है। अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन हेतु, राज्य के दिव्यांग एवं अनाथ छात्रों की उच्च शिक्षा का पूरा खर्च वहन करने हेतु हम लोग नवोत्थान छात्रवृति योजना लेकर आ रहे हैं।
इस कार्यक्रम में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल कुमार पुरवार, सीएससी-एसपीवी के एमडी संजय कुमार राकेश और विभाग के निदेशक रामनिवास यादव सहित राज्य में संचालित सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, कॉलेजों के प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेजों के निदेशक, पॉलिटेक्निक संस्थानों के प्राचार्य और अधिकारी उपस्थित थे।
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