टीम एबीएन, रांची। मारवाड़ी समाज का लोकप्रिय पर्व होलिका दहन के दूसरे दिन से लगातार 16 दिनों तक कुंआरी लड़कियां एवं नवविवाहिता द्वारा पूजा किया जाने वाला गणगौर पूजा, मूल रूप से ईसर- गौरा को शिव-पार्वती के रूप में पूजा जाता है। कुंआरी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए और सुहागन पति की लंबी आयु की कामना के लिए ईशर-गणगौर की पूजा करती है।
राजस्थान में इस त्योहार की अपनी महता और अलग बहार होती है। इस राजस्थानी परंपरा की विरासत को बनाए रखने के लिए श्री माहेश्वरी सभा, रांची ने 1981 से श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, गणेश नारायण साबू चौक, सेवा सदन पथ, अपर बाजार में सार्वजनिक ईशर-गणगौर पूजा एवं मेला का भव्य आयोजन माहेश्वरी महिला समिति एवं माहेश्वरी युवा संगठन के सहयोग से करते आ रहा है।
तत्कालीन माहेश्वरी महिला समिति की अध्यक्षा स्व सूरज देवी भाला ने जयपुर से ईशर गणगौर की प्रतिमा मंगाकर मंदिर परिसर में सार्वजनिक पूजा की शुरूआत की। स्व.सूरज देवी भाला ने स्व सीताराम मारु, स्व भगवान दास काबरा एवं समाज जनों के सहयोग से जयपुर की तर्ज पर ईशर-गणगौर शोभायात्रा पंद्रह वर्ष तक निकाली एवं गणगौर मेला का आयोजन की शुरुआत की।
इस वर्ष माहेश्वरी सभा माहेश्वरी महिला संगठन और माहेश्वरी युवा संगठन के सहयोग से कल 11 अप्रैल 2024 दिन गुरुवार को श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में सुबह 6 बजे से अपराह्न 2 बजे तक सार्वजनिक गणगौर पूजा, अपराह्न 3 बजे से संध्या 6 बजे तक मंदिर परिसर में गणगौर मिलान एवं बड़ा तालाब में गणगौर विसर्जन घाट की व्यवस्था साथ ही माहेश्वरी भवन में अपराह्न 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक गणगौर मेला में लजीज व्यंजन की व्यवस्था की गयी है।
इस कार्यक्रम के मुख्य संयोजक शिव शंकर साबू को सहयोग के लिए प्रकाश काबरा, ओमप्रकाश बोड़ा, कुमुद लाखोटिया, लक्ष्मी चितलांगिया, अंकुर डागा, नयन बोड़ा, राधव सारडा एवं समाज के तीनों संगठन के सदस्यों का सहयोग रहेगा। उक्त जानकरी मीडिया प्रभारी रश्मि मालपानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।
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