कोडरमा। माथे पर डलिया, होठों पर छठ के गीत, मन में श्रद्धा, आस्था के भाव और अर्घ्य घाटों की ओर बढ़ते पांव, कुछ ऐसा ही नजारा था 10 नवंबर की शाम को। मौका था-लोक आस्था का पावन पर्व छठ का। पर्व को लेकर लोगों में गजब का उत्साह दिखा। न कोरोना से भय और न शारीरिक दूरी की चिंता। बस मन में सूर्य उपासना का भाव लिए श्रद्धालु छठ घाटों की ओर निरंतर बढ़ते जा रहे थे। अर्घ्य घाट पहुंचकर व्रतियों के साथ श्रद्धालुओं ने भी और घाटों में डुबकी लगाई और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर अपने- अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। विभिन्न छठ समितियों के द्वारा अर्घ्य घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए अच्छी व्यवस्था की गई थी, वजह की सजावट देखते ही बनती थी। समय-समय पर उद्घोषकों के द्वारा श्रद्धालुओं को नसीहत दी जा रही थी कि आप गहरे पानी में ना उतरें डूब जाने का खतरा है। और श्रद्धालु इन बातों को मानकर बहुत ही मर्यादित और अनुशासित होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते और अपने डालिए के साथ घाट से ऊपर आकर पूजा-आराधना में लीन हो जाते। छठ घाटों पर लगातार बजने वाले छठ के गीतों से वातावरण भक्तिमय होता रहा। 11 नवंबर को फिर सुबह में ऐसा ही नजारा दिखेगा। एक बार फिर लोग भगवान भास्कर उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य देकर गुनाहों से क्षमा और सफलता का आशीर्वाद मांगेंगे। छठ को लेकर गुमो अर्घ्य घाट, इंदरवा बस्ती, तिलैया बस्ती, चाराडीह, चित्रगुप्त नगर, कोरियाडीह, पानी टंकी रोड स्थित भास्कर छठ तालाब, विद्यापुरी के धनी सिंह छठ तालाब, जय मंगल सिंह छठ तालाब और महतो अहरा में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकियां लगाई।
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