बैड बैंक के लिए 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी मंजूर

 

एबीएन डेस्क। केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी लिमिटेड (नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड) की ओर से जारी किए जाने वाली प्रतिभूति रसीद (सिक्योरिटी रिसीट्स) के लिए 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनएआरसीएल के साथ-साथ हम इंडिया डेब्ट रिजॉल्यूशन कंपनी लिमिटेड की भी स्थापना कर रहे हैं। वहीं, एनएआरसीएल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 51 फीसदी होगी। वहीं, पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीयूशन्स की हिस्सेदारी 49 फीसदी होगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बैड बैंक या एनएआरसीएल लोन के लिए सहमत मूल्य का 15 फीसदी नकद में भुगतान करेगा और बाकी 85 फीसदी सरकार की गारंटी वाली प्रतिभूति रसीद में होगा। वित्त मंत्री ने कहा : ऋण के तेजी से समाधान के लिए 6 नए डीआरटी (डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल) गठित किए हैं। साथ ही इंडिया डेट रिजॉल्यूशन कंपनी लिमिटेड भी बनाई जा रही है। इसमें सार्वजनिक बैंकों का 49 फीसदी शेयर होगा। बाकी 51 फीसदी निजी बैंकों के लिए होगा। रिजर्व बैंक एआरसी लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में है। 2017-18 में सरकार ने बैंकों में 90 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी। 2018-19 में यह राशि 1.06 लाख करोड़ रुपये थी। इसी तरह 2019-20 में 70 हजार करोड़ और 2020-21 में 20 हजार करोड़ रुपये बैंकों में डाले गए। इस वित्त वर्ष में भी 20 हजार करोड़ रुपये बैंकों में डालने की योजना है। पिछले छह वित्तीय वर्ष में सरकार चार फ पर आगे बढ़ी है, ये हैं- रिकॉग्निशन, रिजोल्यूशन, रिकैपिलाइजेशन और रिफॉर्म्स। इन्हें लागू किया गया जिसके बाद बैंकों ने कुल 5,01,479 रुपये वसूले। इस दौरान भूषण स्टील और एस्सार स्टील जैसी कंपनियों के बट्टे खाते में डाले गए ऋण को भी वसूल किया गया। 2015 में बैंकों की संपत्ति का आकलन किया गया था जिसमें बैंकों के भारी-भरकम एनपीए राशि के बारे में खुलासा हुआ था। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों की हालत लगातार सुधर रही है। 2018 में 21 में से सिर्फ दो सरकारी बैंक ही फायदे में थे, लेकिन 2021 में सिर्फ दो बैंकों को घाटा हुआ है। वित्त मंत्री ने बैंकों को एनपीए से उबारने के लिए बैड बैंक बनाने का फैसला किया है। इस बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बैंकों को डूबे कर्ज से बाहर निकालना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की थी। बैड बैंक ऐसे वित्तीय संस्थान को कहते हैं, जो कर्जदाताओं यानी बैंकों की खराब या फंसी परिसंपत्ति को लेकर उनकी मदद करता है। यह बैंकों के एनपीए की वसूली का समाधान निकालता है। देश की बैंकों की बैलेंस शीट सुधर जाएगी और उन्हें नए कर्ज देने में सुविधा होगी। सारे बैंकों का एनपीए इसमें समाहित हो जाएगा और वे फंसे कर्ज से मुक्त हो जाएंगे। इससे सरकार को भी फायदा होगा। यदि वह किसी सरकारी बैंक का निजीकरण करना चाहेगी तो उसमें आसानी होगी। वहीं बैड बैंक के जरिए एनपीए यानि डूबते कर्ज को वसूल किया जा सकेगा। इसका लक्ष्य कई जटिल मुद्दों को सुलझाकर बैंकों को बिजनेस पर फोकस करने के लिए स्वतंत्र रखना है।

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