एबीएन डेस्क। 26 मई 2014 की शाम राष्ट्रपति भवन में दूधिया रंग के सफेद कुरते-पायजामे पर घी के रंग की सदरी पहने जिस व्यक्ति ने नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली उसने कभी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने का काम किया था। यह तथ्य भारत के लोकतंत्र की मजबूती को बयान करने के साथ-साथ इस शख्सियत के कठोर परिश्रम, राजनीतिक कौशल और जन प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। श्री नरेंद्र मोदी उस नेता को बेदखल करके आए थे, जो अपनी शानदार शैक्षणिक और अकादमिक उपलब्धियों के लिए जाने जाते थे। मगर ऐसा क्या था, जो लोगों ने उन्हें हटा कर एक ऐसे नेता को बड़ा बहुमत देकर चुना जो शैक्षणिक-अकादमिक उपलब्धियों के लिए नहीं जाना जाता था। दरअसल इस नेता का सेवाभाव और जवाबदेही लेने के लिए आगे खड़ा होना उसे खास बनाता था। 2014 की उस शाम से लेकर अब तक यह यात्रा लगातार जारी है और एक के बाद एक फैसले लेकर मोदी ने अपने मतदाताओं को आश्वस्त किया है कि उन्हें जिस कार्य के लिए चुना गया है वे उसे तत्परता से कर रहे हैं। हालांकि इसके बहुत पहले श्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक यात्रा शुरू हो चुकी थी। 2001 में जब गुजरात में एक बड़ा भूकंप आया था और पूरा गुजरात पस्त हुआ पड़ा था, तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गए। लेकिन उन्होंने अपनी प्रशासनिक कुशलता दिखाते हुए विश्वकर्मा की तरह बेहद कम समय में गुजरात को दोबारा से खड़ा किया। मुख्यमंत्री बने कुछ ही महीने हुए थे कि गुजरात दंगों की आग में बुरी तरह से झुलस गया। यह कोई पहली बार नहीं था अपितु गुजरात में सांप्रदायिक झड़पों का लंबा इतिहास रहा था। यह उसी की एक कड़ी थी। लेकिन उनके कड़े प्रशासन ने इसके बाद किसी दंगे की पुनरावृत्ति नहीं होने दी। दंगों के दौर से निकाल कर उन्होंने गुजरात को शानदार बिजनेस समिट दिए। वे पहले भारतीय मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने विदेशों में बसे भारतवंशियों की ताकत को पहचाना और राज्य के विकास में उनकी एक सक्रिय भूमिका तय की। वाइब्रेंट गुजरात समिट से वे प्रवासी भारतीयों को आकर्षित करते रहे। आज जबकि वे प्रधानमंत्री हैं उनकी यह ताकत बनी हुई है और विदेशों में बसे भारतीय वहां नए भारत के दूत बने हुए हैं। यही नहीं, जिन मुद्दों पर भारत का राजनीतिक वर्ग में डर कर बात भी नहीं करता था, उन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निर्भय होकर काम किया और उनके हर साहसिक काम के लिए जनता से पुरस्कार भी मिला। उन्होंने धारा 370 जैसे देश विरोधी अनुच्छेद को समाप्त किया। तो सदियों से अटके पड़े राम-मंदिर के मुद्दे के भी समाधान में बड़ी भूमिका निभाई। सबसे बड़ी बात है कि बिना किसी हिंसा के यह दोनों कार्य संपन्न हुए। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने विकास सबका, तुष्टिकरण किसी का नहीं की नीति का अनुसरण किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद तीन तलाक पर कानून इसी की एक कड़ी थी, जिसके कारण मुस्लिमों के एक बड़े तबके का विशेषकर महिलाओं का विश्वास और वोट उन्हें मिला। इस प्रकार उन्होंने भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में एक समावेशी सरकार दी और सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद किया, जो अब सबका विश्वास और सबका प्रयास से आगे बढ़ेगा। मोदी की दृष्टि ऐसी रही है जिसमें हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ है। वे जहां पूंजी का सृजन कर रहे हैं, तो वहीं समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को सीधे आर्थिक लाभ, जनकल्याणकारी योजनाएं और सुविधाएं देकर उन्हें भी मजबूत कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे श्री नरेंद्र मोदी एक देश के रूप में भारत के उन अधूरे सपनों को पूरा कर रहे हैं जो हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने कभी देखे थे। स्वच्छता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था। डॉ राममनोहर लोहिया देश की महिलाओं को धुआं रहित जीवन देना चाहते थे। स्वच्छ भारत, उज्ज्वला योजना, मुद्रा लोन देश की किस्मत संवर रही है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौरान जिस तरह से उन्होंने गरीब वर्ग की रोजी-रोटी का ध्यान रखा है वह आपदा को अवसर में बदलने की तरह था। जब श्रमिक शहर छोड़ कर गांवों की ओर पलायन कर रहे थे, तब उनके श्रम का रचनात्मक प्रयोग करते हुए रिकॉर्ड संख्या में प्रधानमंत्री आवास योजना के घर बनाए गए। महामारी आई और कई देशों की समृद्धि लेकर चली गई, लेकिन मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल कम समय में टीका बनाया बल्कि इसे सबके लिए मुफ्त और सुलभ भी किया। सबको अहसास हुआ कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी है। पिछड़ा वर्ग आयोग को संविधानिक दर्जा, राज्यों को ओबीसी पहचान का अधिकार, मेडिकल-नीट के अखिल भारतीय कोटे में ओबीसी आरक्षण और केंद्रीय मंत्रिमंडल में ओबीसी के मंत्रियों की अभूतपूर्व सर्वाधिक संख्या देकर प्रधानमंत्री मोदी ने इनकी भागीदारी सुनिश्चित की। उधर, इक्कसवीं सदी के भारत को अपने सपनों और जरूरतों को पूरा करने के लिए जिस तरह के शिक्षा नीति की आवश्यकता थी, उसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाकर पूरा कर दिया है। कौशल विकास पर जोर, भारतीय भाषाओं के विकास पर ध्यान देकर भारत की शिक्षा व्यवस्था पर लगे मैकाले के शाप का शमन भी कर दिया है। माननीय प्रधानमंत्री जी का झारखंड से गहरा लगाव रहा है। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिया गया, तो आज मोदी जी उस झारखंड को संवारने का काम कर रहे हैं। उनके शासनकाल से पहले शायद ही झारखंड को इतना महत्व मिला हो। वे प्रधानमंत्री बनने के बाद 12 बार (चुनावी सभाओं को छोड़कर) झारखंड के दौरे पर आयें हैं। झारखंड से उन्होंने देश को कई बड़ी योजनाओं की सौगात दी। इसमें सबसे प्रमुख है आयुष्मान भारत। स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए मील का पत्थर साबित हो रही इस योजना का शुभारंभ उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरा से ही किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री मानधन योजना, खुदरा व्यापारिक एवं स्वरोजगार पेंशन योजना की शुरुआत भी झारखंड से की गयी। ग्राम स्वराज योजना के तहत ग्राम उदय से भारत उदय अभियान का समापन जमशेदपुर से किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए भी उन्होंने रांची को चुनकर विश्व पटल पर पहचान दिलायी। उन्होंने झारखंड को दोनों हाथों से सौगातें दी। झारखंड के हर गांव-घर में शौचालय हो या 70 सालों से सुदूर गांवों में बिजली पहुंचानी हो। मोदी जी ने हमेशा झारखंड को प्राथमिकता दी। इसके अलावा स्वास्थ्य क्षेत्र में उपेक्षित झारखंड को पांच मेडिकल कॉलेज, देवघर में एम्स समेत अन्य सौगातें दीं। वहीं आइआइटी, सिपेट, इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, केंद्रीय विद्यालय, एकलव्य विद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय, खेल यूनिवर्सिटी, रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय आदि से शैक्षणिक व्यवस्था मजबूत की। संथाल के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए साहेबगंज में गंगा नदी पर मल्टीमॉडल टर्मिनल शुरू कर झारखंड को दुनिया से सीधा जोड़ दिया। अब झारखंड से बंग्लादेश व अन्य पड़ोसी देशों के लिए जलमार्ग से यातायात शुरू हो गया है। पवित्र नगरी देवघर में जल्द ही हवाई अड्डा, मलूटी के मंदिरों का कायाकल्प, सिंदरी खाद कारखाने का पुनरुद्धार, राज्य में वर्षों से अटकी पड़ी रेल परियोजनाओं को गति भी मोदी जी के कारण ही मिली है। 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल जी के द्वारा शिलान्यास किये गये एनटीपीसी के उत्तरी कर्णपुरा पावर प्लांट 16 वर्षों के बाद लोकार्पण हो या वर्ष 1970 से फाइलों में बन रहे मंडल डैम का 2019 में शिलान्यास का काम यह साबित करता है कि वे कितना रम कर काम करते हैं। उनके झारखंड के प्रति स्नेह की सूची काफी लंबी है। मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मीलों का सफर तय किया है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने देश में मूलभूत सुविधाओं पर जोर दिया, तो दूसरे कार्यकाल में देश व देशवासियों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने का काम कर रहे हैं। लेकिन देश हित और जनहित में कई लक्ष्य छूना बाकी है। इस नरेंद्र का आदर्श एक अन्य नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद जी) का यह प्रेरक वचन है, उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए। ये लक्ष्य है भारत को विश्व गुरु बनाना। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि भारत की जनता इस महान विजन वाले मजबूत प्रधानमंत्री को अपना समर्थन जारी रखे। (लेखक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।)
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