एबीएन एडिटोरियल डेस्क। लोकतंत्र का चुनाव त्योहार 11 नवंबर को मतदान के रूप में समाप्त हो चुका है। 14 नवंबर को चुनाव परिणाम सामने आने वाले हैं। चुनाव परिणाम के बाद बहुत कुछ द्रुत गति से जनता के सामने तथ्य वायरल होने वाला है। बिहार के चुनाव में मतदान के प्रतिशत का सारे पुराने रिकॉर्ड इस बार के मतदान में टूट चुके हैं। चुनाव आयोग के अनुसार लगभग 70% मतदान का अनुमान है।
एजेंसियों के एग्जिट पोल के अनुसार NDA गठबंधन की सरकार बनने वाली है और I.N.D.I.A. गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव विपक्ष की भूमिका में यथावत बने रहेंगे। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज चुनाव में बुरी तरह हारती हुई दिखाई जा रही है।
बिहार का चुनाव परिणाम भारतीय लोकतंत्र में एक नई माइंड सेट/मानसिकता गाड़ने वाली है। फ्री की बिजली, ₹10,000 की रेवड़ी, सड़क, नाली, गली, धुआंधार खर्चीले चुनाव प्रचार, बिहार की गरीबी, अशिक्षा, पलायन, जातिवाद, परिवारवाद, वर्गवाद और धर्मवाद चुनाव की दृष्टि से मतदाताओं के निर्णय लेने में कितना महत्वपूर्ण है; आने वाले दिनों के लिए राजनीतिक दलों के चुनाव लड़ने के मुद्दों को प्रभावित करने वाली है।
जनता/मतदाताओं की परेशानियां अपने जगह में है और राजनीतिक दलों के नेताओं की परेशानियां अपने जगह है और इन दोनों परेशानियों का आपस में कोई लेना-देना नहीं है, कम से कम इतना तो जनता भी समझती है और नेता तो समझते ही समझते हैं..।
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