एबीएन सेंट्रल डेस्क। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत उम्मीद कर रहा है कि अमेरिका और कनाडा जैसे पश्चिमी देशों में कच्चे तेल का अधिक उत्पादन होने से बाजार में शांति होगी और कीमतों में स्थिरता आयेगी।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के 12वें पीएसई शिखर सम्मेलन में पुरी ने कहा कि पश्चिमी गोलार्ध के देश अधिक उत्पादन कर रहे हैं, जिससे पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक को भी उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रभावित किया जा सकता है। इससे वे अधिक कमाई कर सकेंगे।
तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को परेशान करता है क्योंकि उन्हें न केवल ईंधन खरीदने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है, बल्कि इससे मुद्रास्फीति भी आती है जो उनके लोगों की क्रय शक्ति को कम करती है। उन्होंने कहा, आज पश्चिमी गोलार्ध से वैश्विक बाजार में अधिक उत्पादन आ रहा है।
ब्राजील, गुयाना, कनाडा और अमेरिका अधिक उत्पादन कर रहे हैं... अधिक से अधिक तेल आने के कारण, उम्मीद है कि बाजार की स्थिति शांत हो जायेगी। पुरी ने कहा कि इससे कुछ हद तक उन उत्पादकों को भी लाभ होगा जिन्होंने तेल उत्पादन में कटौती की है, ताकि अधिक राजस्व अर्जित करने के लिए अधिक उत्पादन किया जा सके।
कच्चे तेल निर्यातक देशों के संगठन और रूस के नेतृत्व वाले सहयोगी (संयुक्त रूप से ओपेक+) ने 2022 के अंत से कीमतों को बढ़ाने और मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन में भारी कटौती की है। ओपेक+ के सदस्य वर्तमान में कुल 58.6 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) या वैश्विक मांग का लगभग 5.7 प्रतिशत उत्पादन कटौती कर रहे हैं। बाद में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि ओपेक+ उत्पादन में कटौती के अपने फैसले की सक्रियता से समीक्षा कर रहा है और एक या दो महीने में इस मुद्दे पर निर्णय ले सकता है।
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