एबीएन डेस्क, रांची। विश्व में अभी जो सबसे ज्यादा सक्रिय कोरोना वायरस के स्ट्रेन हैं, उनमें डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617.2) भीषण संक्रामक है। यह सबसे पहले भारत में सामने आया था। डब्ल्यूएचओ ने भी इन चार स्ट्रेनों में से डेल्टा को लेकर ज्यादा चिंता जताई थी। इसने दूसरी लहर में भारत में कहर ढाया था। अब इससे ब्रिटेन व अमेरिका में डर पैदा हो रहा है। यह पूर्व में अमेरिका में फैले अल्फा स्ट्रेन के मुकाबले 60% ज्यादा संक्रामक है। चीन के चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा पीड़ितों की हालत तेजी से बिगड़ती है। इससे संक्रमित पस्त हो जाते हैं और उनमें सुधार बहुत धीमा होता है। इसी दौरान उनकी हालत बिगड़ने पर उनके साथ अनहोनी हो जाती है। अमेरिका के राष्ट्रीय संक्रामक बीमारी संस्थान के निदेशक डॉ. एंथोनी फोसी के अनुसार अमेरिका में इस समय कुल मामलों में डेल्टा स्ट्रेन से छह फीसदी लोग संक्रमित हैं। मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में संक्रामक बीमारी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ माइकेल ओस्टरहोल्म के अनुसार यह ज्यादा संक्रामक होने से अल्फा स्ट्रेन को पीछे छोड़ देगा। अमेरिका में हर दो सप्ताह डेल्टा वेरिएंट के मामले दोगुने हो रहे हैं। अमेरिका के जॉर्जिया, अलाबामा, वेस्ट वर्जीनिया, मिसीसिपी जैसे राज्यों में वैक्सीनेशन कम हुआ है। इसलिए सतर्कता की जरूरत बताई जा रही है। यदि नहीं संभले तो इंग्लैंड में 2020 में हुए हालात जैसी स्थिति बनने का खतरा बताया जा रहा है। डेल्टा संक्रमण ने यूरोप में चिंता पैदा कर दी है। इसके बढ़ते संक्रमण के कारण कुछ यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन से लोगों की आवाजाही पर बंदिश लगाई हैं। चीन में डेल्टा संकट दक्षिण पूर्व में स्थित गुआंगझाउ शहर के आसपास केंद्रित है। यहां सरकार ने कुछ प्रतिबंध लगाए हैं।
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