एबीएन सेंट्रल डेस्क। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने सोमवार को अपने सात करोड़ से अधिक सदस्यों को आंशिक निकासी के नियमों में बड़ी छूट देते हुए पात्र राशि के 100 प्रतिशत तक की निकासी की मंजूरी दे दी। सेवानिवृत्ति कोष निकाय के केंद्रीय न्यासी मंडल (सीबीटी) की बैठक में यह फैसला किया गया।
बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने की। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि अब ईपीएफओ के अंशधारक सदस्य भविष्य निधि में कर्मचारी एवं नियोक्ता के हिस्से सहित पात्र शेष राशि का 100 प्रतिशत तक निकाल सकेंगे। इसके साथ आंशिक निकासी के जटिल 13 प्रावधानों को आसान बनाने हुए अब तीन श्रेणियों में शामिल कर दिया गया है। इनमें आवश्यक जरूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवासीय जरूरतें और विशेष परिस्थितियां शामिल हैं।
शिक्षा और विवाह के लिए निकासी की सीमा क्रमश: 10 और पांच बार कर दी गयी है। विशेष परिस्थितियों में निकासी के लिए अब कारण बताने की भी जरूरत नहीं होगी, जिससे कई दावे अब अस्वीकार नहीं होंगे। इसके अलावा सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि को भी अब घटाकर 12 महीने कर दिया गया है। ईपीएफओ ने यह भी तय किया है कि सदस्यों को अपनी अंशदान राशि का 25 प्रतिशत न्यूनतम शेष राशि के रूप में हमेशा बनाए रखना होगा। इससे सदस्य उच्च वार्षिक ब्याज सहित चक्रवृद्धि लाभ के जरिये अपने लिए बड़े सेवानिवृत्ति कोष का निर्माण कर सकेंगे।
साथ ही, पूर्व निकासी की अवधि भी बढ़ा दी गई है। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के परिपक्वता-पूर्व अंतिम निपटान की अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने और अंतिम पेंशन निकासी अवधि को दो महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। आंशिक निकासी के नियमों को उदार बनाने की इस पहल से सदस्य सेवानिवृत्ति के लिए की गई बचत या पेंशन अधिकारों से कोई समझौता किए बगैर अपनी तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
ईपीएफओ के न्यासी मंडल ने विश्वास योजना भी लागू करने का फैसला किया है जिसका उद्देश्य भविष्य निधि अंशदान में विलंब पर लगने वाले दंड को कम करना और लंबित मुकदमों को समाप्त करना है। विश्वास योजना के तहत, अर्थदंड की दर को एक प्रतिशत प्रति माह तक सीमित कर दिया गया है। यह योजना छह महीने के लिए लागू होगी और जरूरत पड़ने पर छह महीने के लिए आगे बढ़ायी जा सकती है।
इसके अलावा सीबीटी ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को भी मंजूरी दी, जिससे कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) पेंशनधारकों को घर पर ही डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) जारी किया जा सकेगा। प्रत्येक प्रमाणपत्र का शुल्क मात्र 50 रुपये होगा, जिसे ईपीएफओ वहन करेगा। इसके साथ ईपीएफओ 3.0 पहल के तहत भविष्य निधि सेवाओं को आधुनिक बनाने के लिए सदस्य-केंद्रित डिजिटल परिवर्तन की रूपरेखा को भी मंजूरी दी गयी। इसमें कोर बैंकिंग समाधान को क्लाउड एवं एपीआई-आधारित मॉड्यूल से जोड़ा जायेगा।
इसका उद्देश्य तेजी से, स्वचालित दावे, तुरंत निकासी, बहुभाषी स्वयं-सेवा और सहज पेरोल-संबद्ध योगदान सुनिश्चित करना है। केंद्रीय न्यासी मंडल ने ईपीएफओ के ऋण पोर्टफोलियो के लिए चार कोष प्रबंधकों का पांच साल के लिए चयन भी मंजूर किया, ताकि निवेश की विविधता और सदस्यों के भविष्य निधि बचत पर रिटर्न सुनिश्चित किया जा सके। मांडविया ने बैठक के दौरान ईपीएफओ की प्रमुख डिजिटल पहल का उद्घाटन किया, जिससे सेवा वितरण में पारदर्शिता, दक्षता और बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव सुनिश्चित होगा।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse