केवल विक्षिप्त अवस्था ही नहीं है मानसिक रोग : स्वामी मुक्तरथ

 

टीम एबीएन रांची। आज विश्व मानशिक स्वास्थ्य दिवस पर डीएवी कपिलदेव और डीएवी गाँधीनगर पब्लिक स्कूल में स्वामी मुक्तरथ का मानशिक स्वास्थ्य पर व्याख्यान माला हुआ। स्वामी जी मानसिक बीमारियों की पहचान और इसके रोकने के उपाय पर योग के महत्वपूर्ण प्रभावों की जानकारी दिये।

उन्होंने कहा कि जब अमेरिका में कम उम्र के बच्चों में मानसिक उतावलापन और क्राइम टेंडेंसी तथा बहरापन बढ़ने लगा तथा दूसरी ओर योरोप में भी नशा और पागलपन बढ़ने लगा तब पहली बार 10 अक्टूबर 1992 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ की पहल पर इसे मनाया गया। 

इस बत्तीस वर्षों  के अंतराल में इसके रोकथाम पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है। ये पागलपन और विक्षिप्तता, अवसाद, आत्महत्या, ड्रग-एडिक्शन, पारिवारिक विखराव में वृद्धि ही हुई है। भारत ने दुनियाँ को इसके रोकने का प्रबल उपाय अध्यात्म और योग बताया है। यहाँ के योगीयों और मनीषियों ने अमेरिका, योरोप, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में जाकर बहुत काम किया है और लगातार कर रहे हैं नहीं तो स्थिति और भी गड़बड़ हो जाती। योग मानसिक तंदुरूस्ती तथा तनावमुक्ति के लिये बहुत प्रभावकारी साधन है।

आचार्य मुक्तरथ जी ने कहा कि हमलोग सिर्फ विक्षिप्तता और अवसाद को ही मानसिक रोग समझ रहे हैं पर बहुत सारी हरकते मानसिक रोग के अंतर्गत आती है। बार-बार पैर हिलाना, अंगुलियों को कुरेदना, आँखें मिचलाना, कहीं भी थूक फेंकना, पेशेंस का कम होना, धैर्य की कमी, बार-बार गुस्सा आना,अपराध वृति, अनिद्रा, विद्वेष,घबराहट ये सब मानसिक हैं। यहाँ तक कि कब्ज, पाचन तन्त्र के रोग, दमा, स्किन प्रॉब्लम भी मानसिक समस्याओं का वजह है।

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