भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय योग अनुसंधान कार्यशाला में योगाचार्य महेश पाल बने मुख्य वक्ता

 


। वर्तमान समय में बढ़ते योग के महत्व को देखते हुए कई शोध कार्य किये जा रहे हैं। वहीं बीमारियो से बचाव के लिए कई रिसर्च व कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसी क्रम में भोपाल के सेम ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एक विशेष राष्ट्रीय योग विषय पर रिसर्च (शोध-अनुसंधान) कार्यशाला आयोजित की गयी। जिसमे देश के विशेष योग्यता प्राप्त प्रोफेसर, योगगुरु, योगाचार्यों को शामिल किया गया। जिसमें  दिल्ली, मुंबई, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के योग विशेषज्ञों के बीच योगाचार्य महेश पाल को अपने विषय योग प्राणायाम रहस्य से संबंधित मुख्य वक्ता के रूप में शामिल किया गया  कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नवप्रवर्तकों का सशक्तिकरण बौद्धिक संपदा अधिकार" पर कैसे कार्य किया जाए एवं योग प्राणायाम से वर्तमान समय में बढ़ती  बीमारियों से बचाव जनसमुदाय कैसे योग के द्वारा पूर्णतः स्वस्थ रह सके। बच्चों, युवाओं में बढ़ती स्वास्थ संबंधी समस्याओ को योग के द्वारा कैसे ठीक किया जा सके। आदि विषयों पर चर्चा हुई। कार्यशाला के दौरान योगाचार्य महेश पाल ने अपना वक्तव्य  देते हुए योग प्राणायाम रहस्य से संबंधित विस्तार पूर्वक बताया कि योग एक प्राचीन भारतीय साधना पद्धति है, जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा का संतुलन एवं एकता स्थापित करना है।योग वह साधना है जो व्यक्ति को ईश्वर,आत्मा को परमात्मा, और शरीर को मन से जोड़ती है।,प्राणायाम योग की अत्यंत महत्वपूर्ण और गूढ़ साधना है। यह न केवल श्वास का अभ्यास है, बल्कि जीवन-शक्ति (प्राण) को नियंत्रित करने की प्रक्रिया भी है। “प्राण” का अर्थ है जीवन ऊर्जा और “आयाम” का अर्थ है विस्तार या नियंत्रण। इसलिए, प्राणायाम का अर्थ है, प्राण का विस्तार या नियंत्रण। उन्होंने प्राणायाम रहस्य के बारे में आगे बताया कि प्राण केवल श्वास नहीं है, यह ईश्वर की दी हुई चेतन ऊर्जा है प्राणायाम के माध्यम से साधक इस ऊर्जा को जागृत कर कुंडलिनी शक्ति को सक्रिय कर सकता है। यह साधना व्यक्ति को भौतिक से आध्यात्मिक चेतना की ओर ले जाती है। प्राणायाम के अभ्यास को कई चरणों में किया जाता है जिसमें,पूरक (Inhalation): - शुद्ध वायु को अंदर लेना। कुंभक (Retention) – श्वास को रोककर ऊर्जा का संग्रह करना। रेचक (Exhalation)- विषैली वायु का बाहर निकालना। शून्यक या बाह्य कुंभक – श्वास छोड़ने के बाद कुछ क्षण तक रुकना। योगाचार्य महेश पाल ने आगे बताया कि हमारे शरीर में मुख्य रूप से पांच प्राण ओर पांच उप प्राण पाए जाते हैं जो शरीर के विभिन्न क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं जिससे विभिन्न प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है जिसमें, 1️⃣ प्राण (मुख्य प्राण):- यह  हृदय और फेफड़ों में स्थित; श्वास-प्रश्वास को नियंत्रित करता है। फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को शक्ति देता है। जीवन का आधार है। 2️⃣अपान- नाभि से नीचे के भागों में कार्य करता है। मल, मूत्र, स्वेद (पसीना), शुक्र और गर्भ निष्कासन की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।3️⃣ समान- नाभि क्षेत्र में सक्रिय रहता है। पाचन, रस-रक्त निर्माण और पोषण शक्ति का नियंत्रण करता है। 4️⃣ उदान- गले और सिर के भाग में कार्य करता है। वाणी, स्मरण, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक 5️⃣ व्यान- पूरे शरीर में संचरित रहता है। रक्त संचार, स्नायु तंत्र और अंगों की समन्वय क्रिया को नियंत्रित करता है। उपप्राण के अंतर्गत 1.नाग – डकार, छींक आदि क्रियाओं में सहायक।2.कूर्म – पलक झपकना और नेत्र सुरक्षा में कार्य करता है। 3.कृकल –भूख-प्यास की भावना उत्पन्न करता है। 4.देवदत्त – जम्हाई और नींद की प्रक्रिया नियंत्रित करता है। 5.धानंजय – मृत्यु के बाद भी कुछ समय शरीर में रहता है, विघटन को नियंत्रित करता है। यह प्राण शरीर के हर अंग को ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह सभी प्राण मिलकर पाचन, श्वसन, रक्त संचार, उत्सर्जन जैसी सभी जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। मन और शरीर में संतुलन बनाए रखते हैं। प्राणों के असंतुलन से रोग, चिंता और मानसिक अशांति उत्पन्न होती है। इन प्राणों को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए संतुलन अवस्था में रखने के लिए योग प्राणायाम अति आवश्यक है, कार्यक्रम के दोरान प्रोपसर शिवेंद्र चौराशिया ने रिसर्च मेथोलॉजी विषय पर विशेष चर्चा की। डॉ. आशीष व्यास द्वारा रिसर्च प्रॉब्लम के समाधान पर अपना उद्बोधन दिया। वहीं डॉ अनिरुध सिंह द्वारा शोध पत्र के विषय में चर्चा की। अंत में यूनिवर्सिटी चांसलर प्रीति सलूजा, वाइस चांसलर एनके तिवारी द्वारा योगाचार्य महेश पाल को योग विषय में प्राणायाम रहस्य पर उनके द्वारा  किये जा रहे शोध-अनुसंधान कार्य व उपलब्धियों के लिए उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया यूनिवर्सिटी के प्रोपसर मनीष मिश्रा द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया।

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