एबीएन हेल्थ डेस्क। एक सेब रोज खाओ और डॉक्टर से दूर रहो। सेब के बारे में ये कहावत काफी प्रचलित है। पूरी दुनिया में सेब काफी पसंद किये जाते हैं। कई तरह के रंगों और स्वाद में मिलने वाले सेब के बारे में कहा जाता है कि यह हमें स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है। हर साल दुनिया में 10 करोड़ टन सेब पैदा होता है। रोज एक सेब खाकर डॉक्टर को दूर रखने वाली कहावत 1866 में वेल्स की लिखी बात से निकली है, जो कहती है सोने से पहले एक सेब खाकर आप किसी डॉक्टर को रोजी कमाने से महरूम रख सकते हैं।
क्या दूसरे फलों की तुलना में सेब सेहत के लिए ज्यादा अच्छे होते हैं। सबसे पहले ये जान लेते हैं कि सेब में कौन से पोषक तत्व होते हैं। सेब फ़्लेवानोल्स समेत फायटोकेमिकल्स के अच्छे स्रोत होते हैं। इसके कई फायदे होते हैं। दिल को स्वस्थ रखने और वजन कम करने में इससे मदद मिलती है। जाहिर है ये तत्व हृदय रोग का जोखिम कम करता है। सेब सेहत के लिए इतना अच्छा क्यों माना जाता है? सेब में कई प्रकार के पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जिसमें एन्थोकेनिन्स भी शामिल है। ये सेब के छिलके को लाल रंग देता है और यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। फ़्लोर्दिजिन एक और पॉलीफेनॉल है जो सेब में पाया जाता है।
इसे खून में ग्लूकोज नियंत्रित करने में मददगार पाया गया है। सेब में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा पेक्टिन होता है जो खून में लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स (एलडीएल- इसे बैड कॉलेस्ट्रोल कहते हैं) की मात्रा कम करता है। हम अपने भोजन से जो शुगर और फैट ग्रहण करते हैं उसे पेक्टिन कम करता है। इस तरह ये हमारे खून में ग्लूकोज के स्तर को स्थिर रखता है। सेब में मौजूद ये न्यूट्रिएंट्स शरीर को स्वस्थ रखने में कारगर मालूम होते हैं। 2017 में पांच अध्ययनों के रिव्यू से से पता चला कि नियमित सेब खाने से टाइप 2 डायबिटीज पनपने का खतरा 18 फीसदी तक कम हो सकता है। 2022 में 18 स्टडीज के एक और रिव्यू के मुताबिक ज्यादा सेब खाने या सेब का रस पीने से कॉलेस्ट्रोल कम हो सकता है।
लेकिन ये तभी कारगर होता है जब आप अपनी इस आदत को एक हफ़्ते से ज्यादा बनाए रखते हैं। आमतौर पर पौष्टिक भोजन से कैंसर का खतरा 40 फीसदी कम हो जाता है। पौष्टिक भोजन में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड और फोटोकेमिकल्स इसका जोखिम कम करने में मददगार साबित होते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सेब दूसरे ऐसे खाद्य पदार्थों से बेहतर है जो पौधों से प्राप्त होते हैं? अमेरिका की मिडिल टेनेसी यूनिवर्सिटी में न्यूट्रिशन और फूड साइंस की प्रोफेसर जेनेट कोलसन कहती हैं, सेब में ज्यादा विटामिन सी नहीं होता। आयरन और कैल्शियम भी ज़्यादा नहीं होता। लेकिन इसमें कई और ऐसे तत्व होते हैं जो बेहतर स्वास्थ्य बनाये रखने में कारगर होते हैं।
इटली की वेरोना यूनिवर्सिटी में प्लांट बायोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, फ़्लविया गूजो का कहना है कि सेब में कई ऐसे कंपाउंड्स होते हैं, जो कई फलों और सब्जियों में भी समान रूप से पाये जाते हैं। इनमें फायदेमंद पॉलीफेनोल्स भी शामिल हैं। पॉलीफेनोल्स ताकतवर एंटीआॅक्सिडेंट अणु होते हैं। ये हमारे शरीर में एंटीआक्सीडेंट और फ्री रेडिकल्स के अनुपात को संतुलित करने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स तेजी से प्रतिक्रिया करने वाले और कोशिकाओं को नुकसान पहुुचाने वाले आक्सीजन अणु होते हैं। फ्री रेडिकल्स को नियंत्रण में रखकर हम लंबे समय तक कैंसर और हृदय रोग को बढ़ने से रोक सकते हैं।
अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थित डार्टमाउथ गीसेल स्कूल आॅफ मेडिसिन में महामारी विज्ञान के सहायक एसोसिएट प्रोफेसर मैथ्यू डेविस का कहना है कि रोजाना सेब खाने और डॉक्टर के पास जाने की संभावना के बीच ज़्यादा संबंध नहीं पाया गया है। वो कहते हैं हमारे विश्लेषण के आधार पर ये निष्कर्ष निकला कि जो लोग सेब खाते हैं, वे सामान्य रूप से अधिक स्वस्थ होते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो लोग रोजाना सेब खाते हैं, उनके दवाओं पर निर्भर रहने की संभावना कम होती है। यह निष्कर्ष तब भी अहम रहा जब प्रतिभागियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर के फासले के मद्देनजर विश्लेषण किया गया। इसलिए शोधपत्र का निष्कर्ष है कि कहावत को थोड़ा बदला जा सकता है- रोजाना एक सेब खाओ, फार्मासिस्ट से दूर रहो। हालांकि डेविस को रोजाना एक सेब वाली कहावत से कुछ आपत्ति है।
वो कहते हैं कि संभव है कि उन्होंने और उनके साथियों ने रोजाना सेब खाने और डॉक्टर के पास जाने के बीच कोई ठोस संबंध इसलिए नहीं पाया क्योंकि इसके पीछे कुछ और कारण भी हो सकते हैं। वो कहते हैं इस कहावत में छिपी इस धारणा को मान लिया जाता है कि लोग डॉक्टर के पास केवल तब जाते हैं जब वे बीमार होते हैं। लेकिन लोग सालाना हेल्थ चेकअप और बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूरी सलाह लेने के लिए भी डॉक्टर के पास जाते हैं। लेकिन आखिरकार वो कहते हैं कि ये धारणा गलत है कि सिर्फ सेब खाने भर से ही आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल, आपका पूरा खाना पौष्टिक और सेहतमंद होना चाहिए।
कोलसन भी इस बात से सहमत हैं कि रोजाना एक सेब वाली कहावत का आशय यह है कि लोग नियमित रूप से पौधों से हासिल भोजन लें। सेब इसका एक अच्छा उदाहरण हैं क्योंकि ये आसानी से उपलब्ध हैं। किफायती हैं और इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। वो कहती हैं फ्रिज आने से पहले लोग सेबों को तहखाने में रखते थे और वे लंबे समय तक ताजा रहते थे। उनमें फफूंद भी नहीं लगती थी। अन्य शोधों में यह पाया गया है कि रोजाना सेब खाने से सेहत को लाभ होता है। लेकिन यह केवल तब जब लोग दिन में एक से अधिक सेब खाते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि रोजाना तीन सेब खाने से लोगों के वजन में कमी आयी।
2020 में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 40 प्रतिभागियों (इन सभी का कोलेस्ट्रॉल स्तर थोड़ा ऊंचा था) को दो समूहों में बांटा। एक समूह को रोजाना दो सेब खाने को कहा गया, जबकि दूसरे समूह को उतनी ही कैलोरी वाला सेब से बना ड्रिंक दिया गया। यह प्रयोग आठ सप्ताह तक चला और प्रतिभागियों ने सेब या इससे बने ड्रिंक के अलावा अपने खानपान में कोई और बदलाव नहीं किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सेब खाने वाले प्रतिभागियों का कोलेस्ट्रॉल स्तर स्टडी के अंत में अहम रूप से कम हो गया। हालांकि इस अध्ययन की एक कमजोरी यह थी कि इसमें केवल 40 प्रतिभागी थे। जो किसी बड़े निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए जरूरी सैंपल से संख्या में कम थे।
एक और अध्ययन में पाया गया कि रोजाना तीन सेब खाने से लोगों का वजन घटा है और ब्लड ग्लूकोज लेवल में सुधार देखा गया। यह अध्ययन अधिक वजन वाली 40 से ज्यादा महिलाओं पर किया गया गया था। जहां तक सेब को खाने का सबसे अच्छा तरीके का मामला है तो रिसर्चर कहते हैं कि सेब का छिलका न उतारें, क्योंकि सेब के छिलके में कई पोषक तत्व और एंटीआक्सीडेंट होते हैं। वो कहती हैं, हमें सेब का छिलका जरूर खाना चाहिए, क्योंकि सेब के अधिकांश पॉलीफेनॉल्स वहीं पाये जाते हैं। उनके मुताबिक जितनी पुरानी प्रजाति का सेब होगा वो नयी प्रजाति से बेहतर होगा।
2021 में, उन्होंने और उनके सहयोगियों ने एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया जिसमें पॉम प्रुशियन नामक एक प्राचीन इटली के उत्तरी भाग में मिलने वाले सेब का अध्ययन किया गया था। उन्होंने पाया कि इस किस्म आधुनिक सेबों की तुलना में अधिक पॉलीफेनॉल्स था। वो कहती हैं, हालांकि जब सेब की नयी किस्में तैयार की जाती हैं तो आमतौर पर अन्य गुणों पर ध्यान देते हैं — जैसे आकार, स्वाद, और पेड़ों की मजबूती पर ध्यान दिया जाता है। वो कहती हैं जहां तक रंग की बात है तो इसका उतना महत्व नहीं है। सेब के छिलकों को लाल या हरा रंग ही देते हैं।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse