योग से एक साथ विकसित होते हैं मस्तिष्क के दोनों गोलार्ध : स्वामी मुक्तरथ

 

टीम एबीएन, रांची। आज दिनांक 17.06.2025, मंगलवार को डीएवी पब्लिक स्कूल गांधीनगर, रांची में प्राचार्य प्रदीप झा के विशेष आमंत्रण पर विद्यालय परिसर में बृहत योग कक्षा का संचालन स्वामी मुक्तरथ के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। प्राचार्य श्री झा ने बच्चों को योग के समग्र रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग  शारिरिक व्यायाम नहीं है, यह विद्या पूरी तरह से वैज्ञानिक है जो मनुष्य के चित्त के गंदगी को हटाता है और प्रकाश को दिखाता है। 

महर्षि पातञ्जलि का यह सूत्र बताता है- योगश्चित्त वृत्ति निरोध:। योग से चित्तवृत्तियों का निरोध होता है और निरोध होने से वास्तविक ज्ञान उजागर होता है। व्यक्ति का मन स्थिर होता है और प्रसन्नचित होता है। योग शरीर और मन दोनों को तनावरहित कर ध्यान के लिए मस्तिष्क को तैयार करता है। ध्यान में मन की स्थिरता के लिये योगासन और प्राणायाम की साधना करनी होती है ताकि शरीर घन्टों तक स्थिर और सुखद अवस्था में बनी रहे।  

स्वामी मुक्तरथ योग के कई पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए मानव मस्तिष्क की संरचना और मस्तिष्क में सुषुप्त केंद्रों को जागृत करने के उपाय पर योग साधनाओं की जानकारी दिये। उन्होंने कहा मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध का समान रूप से विकाश नही हो पाता है। किसी में दाहिना मस्तिष्क तो किसी में बायां मस्तिष्क असंतुलित रूप से क्रियाशील रहता है जिस कारण से हमारी एकाग्रता ठीक नही रहती है और बुद्धि के स्तर पर भी हम कमजोर रह जाते हैं। पर जिस व्यक्ति का समुचित रूप से मस्तिष्क के दोनों हिस्से विकसित होते हैं उसमें मेधा शक्ति,बौद्धिक शक्ति, आत्मिक शक्ति सभी तेज होते हैं।  इसके लिए खास रूप से जीवन के प्रथम चरण में ही आसन, प्राणयाम, मुद्रा और ध्यान शुरू कर देना चाहिये। 

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम है एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य यानि समस्त जीवों के स्वास्थ्य प्रबंधन का खयाल हमें रखना है। रांची के सभी डीएवी विद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गयी है। सत्यानंद योग मिशन राजधानी में विभिन्न जगहों पर योग शिविर का संचालन कर रहा है। 

सीसीएल गांधीनगर डीएवी में पांच सौ विद्यार्थियों को स्वामी मुक्तरथ और इनके सहयोगी रोहित कुमार, केशव कुमार और सूरज कुमार ने  वृक्षासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, अर्धचक्रासन, कटिचालन, तितली आसन, शशांकासन, उष्ट्रासन, उत्तानकुर्मासन, उत्तानपादासन, सुप्तपवनमुक्तासन, सेतुबंध आसन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन तथा नाड़ीशोधन एवं भ्रामरी प्राणायाम को कराया गया। (लेखक सत्यानंद योग मिशन रांची के अध्यक्ष हैं।)

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