एबीएन न्यूज नेटवर्क, जमशेदपुर। कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमजीएम अस्पताल के बी-ब्लॉक का एक हिस्सा गिरा गया। यह मेडिसीन विभाग का लावारिश वार्ड था जिसमें वैसे मरीज भर्ती थे जिनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है। इस दुर्घटना में तीन मरीजों के जान गंवाने की आशंका है जिसमें से दो क्रमश: डेविड, लूटा का शव बचावकर्मियों ने निकाल लिया है जबकि चांद नामक मरीज का शव मलबे से निकालने की कोशिश बचावकर्मी कर रहे हैं। बता दें कि पहले ही दो मरीज घायल निकाले जा चुके हैं जो खतरे से बाहर हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मेडिसीन वार्ड का बी-ब्लॉक के प्रथम और द्वितीय तल का बरामदा अपरान्ह पौने चार बजे अचानक आवाज के साथ धारासाई हो गया। इस बरामदे में करीब पांच मरीज भर्ती थे जिनमें से एक बुर्जुग महिला समेत दो को निकाल लिया गया जबकि तीन मरीज मलबे में दबे हुए थे। अस्पताल के उपाधीक्षक डा. नकुल चौधरी ने बताया कि यहां भर्ती तीन मरीज अभी तक खोजे नहीं जा सकें हैं। बचावकर्मी मलबे में उन्हें खोज रहे हैं। यद्यपि कुछ देर बाद दमकल विभाग, एनडीआरएफ की टीम ने मलबे से एक मरीज को बड़ी मुश्किल से निकाला।
एमजीएम अस्पताल हादसे में मलबे में दबे मरीजों को निकालने के लिए दमकल विभाग, एनडीआरएफ और जिला पुलिस की टीम लगी हुई है। टाटा स्टील दमकल विभाग के बचावकर्मी मजहरुल बारी भी बचाव कार्य में योगदान दे रहे हैं। प्रशासन की ओर से सबसे पहले धालभूम की एसडीओ श्रीमती शताब्दी मजुमदार पहुंची और इसके बाद डीसी अनन्य मित्तल और एसएसपी किशोर कौशल भी पहुंचे। अधिकारी बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं।
हादसे को लेकर एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक नकुल चौधरी ने कहा कि यह भवन 40 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस घटना में जो भी मरीज दबे हैं, सभी लावारिस हैं। उनका कोई परिचय नहीं है। मलबे में दबे एक वृद्ध महिला समेत दो मरीजों को सुरक्षित बाहर निकल गया है जबकि अन्य की जानकारी अभी तक नहीं है। उन्होंने बताया कि दूसरी मंजिल का कोरिडोर का एक हिस्सा गिरा है।
मामले की जानकारी मिलते ही जमशेदपुर पूर्व की विधायक पूर्णिमा साहू दास और जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक सरयू राय घटनास्थल पर पहुंचे और इस हादसे के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।
आपको बता दें कि राज्य सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मनगो डिमना रोड स्थित एमजीएम मेडिकल कालेज के पास 500 बेड का नया अस्पताल बनवाया है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया। इस अस्पताल में पुराने एमजीएम अस्पताल के मरीजों को शिफ्ट करना था, लेकिन पानी की कमी और अन्य तकनीकी कारणों से वह शिफ्टिंग नहीं हो पाई है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने यहां बयान जारी कर कहा है कि जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में बिल्डिंग का एक हिस्सा ढहने से दो मरीजों की मौत एवं कुछ लोगों के घायल होने की दुखद सूचना मिली है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति एवं घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।
चंपाई सोरेन ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अस्पताल में अपना इलाज करवाने गए मरीजों के साथ ऐसी घटना हो गई। यह सिर्फ एक बिल्डिंग नहीं, बल्कि पूरा सिस्टम ही कोलैप्स कर चुका है। यह सरकार पहले से ऐसे सरकारी भवनों का सर्वे नहीं करवाती, बल्कि ऐसी दुर्घटनाओं के बाद जांच के नाम पर खानापूर्ति कर के चुप बैठ जाती है, अगली दुर्घटना के इंतजार में।
जमशेदपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र की विधायक पूर्णिमा साहू ने कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को मेडिसिन वार्ड की दो मंजिलों की बालकनी गिरने की घटना को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस गंभीर हादसे के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी को जिम्मेदार ठहराया है।
घटना की जानकारी मिलते ही विधायक पूर्णिमा साहू ने अस्पताल का दौरा किया और हादसे में घायल हुए चार मरीजों से मुलाकात की। उन्होंने अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट डॉ. नकुल चौधरी से सभी घायलों, विशेष रूप से गंभीर रूप से घायल महिला को सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने स्त्री एवं प्रसूति वार्ड में भर्ती नवप्रसूता महिलाओं को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए अस्पताल प्रबंधन से कहा जबकि हादसे के बाद अस्पताल में दहशत का माहौल बना हुआ था और मरीजों में भय व्याप्त था।
विधायक ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार और विशेषकर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री महोदय भाजपा नेताओं पर टिप्पणी करने और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करने में व्यस्त रहते हैं, जबकि अस्पतालों की स्थिति सुधारने और मरीजों को सुरक्षित माहौल में इलाज देने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री ने एमजीएम अस्पताल का दौरा किया था, लेकिन जर्जर भवनों की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया। यह उनकी जिम्मेदारी थी कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि झामुमो-कांग्रेस ने मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
अस्पताल के दौरे के दौरान विधायक ने भवनों की जर्जर स्थिति और गरीब मरीजों के इलाज को लेकर अस्पताल कर्मचारियों की उदासीनता पर गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने देखा कि नर्सें और अन्य कर्मचारी अपने काम में लापरवाह दिखे और मरीजों की देखभाल के लिए कोई सजग नहीं था।
श्रीमती साहू ने मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए, पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए और जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह घटना हुई है उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की कि सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए ठोस कदम उठाए जाने की तत्काल आवश्यकता है।
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने एमजीएम अस्पताल के एक हिस्से का छज्जा गिर जाने और चार मरीजों के घायल होने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि शनिवार की यह घटना स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा की पोल खोलने वाली है। यह अस्पताल पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के आवास के समीप है। उनका तो लगातार दौरा होता रहता था। बीच में यहां के उपायुक्त ने एक एडीएम को अस्पताल में सुधार का जिम्मा दिया था।
श्री राय ने कहा कि प्रशासन एमजीएम की व्यवस्था को सुधार नहीं पा रहा है। भवन निर्माण जर्जर है। वह 8-9 साल से जर्जर भवन निर्माण के बारे में कहते आ रहा हैं। कई बार भवन निर्माण विभाग को भी तलब किया गया। सरयू राय ने कहा कि भवन के रख-रखाव की जिम्मेदारी तो भवन निर्माण विभाग की ही है। भवन निर्माण विभाग भवन की स्थिति की कैसे समीक्षा करता है और अस्पताल प्रबंधन को बताता है कि नहीं बताता है, इसकी जांच होनी चाहिए।
श्री राय ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप का वक्त नहीं है लेकिन एमजीएम का जो नया भवन बन रहा है, वह नया भवन भी इस तरीके से बन रहा है कि अस्पताल भवन तैयार हो गया और पानी की व्यवस्था ही नहीं है। अस्पताल वहां शिफ्ट नहीं हो सकता। यह बदइंतजामी का शिकार होकर रह गया है। इसके लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन दोषी है।
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