योग निद्राध्यान है समस्त विचारों का शून्य होना और ईश्वरीय ज्योति पुंज से जुड़ना : योगाचार्य महेश पाल

 

एबीएन हेल्थ डेस्क। योगनिद्रा का अर्थ है आध्यात्मिक नींद, योग निद्रा लें और दिनभर तरोताजा रहें। प्रारंभ में यह किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर करें तो अधिक लाभ होगा। योगनिद्रा द्वारा शरीर व मस्तिष्क स्वस्थ रहते हैं। यह नींद की कमी को भी पूरा कर देती है। इससे थकान, तनाव व अवसाद भी दूर हो जाता है। राज योग में  इसे प्रत्याहार कहा जाता है। जब मन इन्द्रियों से विमुख हो जाता है। प्रत्याहार की सफलता एकाग्रता लाती है। 

योगनिद्रा में से भी हमें एकाग्रता आती है, योग निद्रा ध्यान का मुख्य उद्देश्य शारीरिक  मानसिक बीमारियों व समस्याओं का हल करना एवं ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ना है,योगनिद्रा ध्यान का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता, आत्मविश्वास में कमी, भावनात्मक  असंतुलन, भय, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभ दायक है। 

योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि योगनिद्रा ध्यान एक विश्राम तकनीक है, जिसे योगिक नींद भी कहा जाता है। यह एक ऐसी गहरी आराम की अवस्था है, जिसमें व्यक्ति जागते हुए भी गहरी विश्राम की स्थिति में होता है, बिना पूरी तरह से सोए हुए यह जागने और सोने के बीच की स्थिति है, जहां व्यक्ति बाहरी दुनिया से सचेत रहते हुए भी अपने अंदर की शांति और आराम का अनुभव करता है और ईश्वरीय चेतना से जुड़ जाता है।

योगनिद्रा ध्यान के प्रथम चरण में समस्त प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों व समस्याओं से निजात मिलती है, एवं हमारे चारो और धीरे-धीरे सकारात्मक ऊर्जा का घेरा (औरा) विकसित हो जाता है, योगनिद्रा ध्यान के दूसरे चरण में चेतना, अर्धचेतन अवस्था में रहेगी जिसमें स्वयं को स्वंय मैं खोजने का अभ्यास होता है, जिसमे बंद आंखों से अपनी अंत:चेतना से शरीर के बाहरी आवरण एवं अंत:करण को देखने का अभ्यास होता है।

योग निद्रा ध्यान के तीसरे चरण मैं ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ने, ईश्वरीय उच्च चेतना में लीन होने का अभ्यास होता है, यहांं समस्त विचार शून्य हो जाते हैं, योग निद्रा ध्यान का अभ्यास करने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है  जिसमे अगर आप प्रथम चरण का अभ्यास करने बाले है तो आपको आपकी दैनिक दिनचर्या 7 दिन पहले से सही करनी होगी, योगनिद्रा ध्यान के दूसरे चरण के अभ्यास के लिए 15 दिन पहले से दिनचर्या ठीक करनी होगी।

तीसरे चरण के लिए 21 दिन पहले दैनिक दिनचर्या को ठीक करना होगा तब जाकर हम इसका लाभ लेने मैं सक्षम बनते हैं, हमारी दिनचर्या इस प्रकार होगी योग निद्राध्यान के अभ्यास के पहले सुबह नाश्ते में फल, सलाद और अंकुरित अनाज, जूस ले दोपहर मैं सात्विक भोजन खाये जिसमें चावल, रोटी, हरि सब्जिया, सभी प्रकार की दाल उड़द की दाल को छोड़कर ले सकते हैं, शाम का भोजन सात्विक एवं हलका ले और 4 से 5:30 या 6 बजे तक कर ले।

अगर 5 से 6 बजे तक नहीं खा पाते हैं तो फिर रात्रि मैं भोजन न करे एक गिलास दूध पी सकते हैं, भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग न करें, उसके पश्चात रात्रि विश्राम 10 बजे तक सो जाए, सोने से पहले सामान्य श्वास - प्रस्वास एवं भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनिट जरूरी करके सोये, सुबह 5 बजे उठकर नित्य शौच क्रिया एवं स्नान से फ्री होकर एक गिलास गुनगुने पानी मैं एक चम्मच नींबू एक चम्मच शहद मिलाकर पिए और हल्का योग अभ्यास करे, इससे हमारा संपूर्ण शरीर डिटॉक्स हो जायेगा हमारे मन के विचार संतुलित हो जाएंगे और हम पूर्ण रूप से योग निद्रा ध्यान के लिए तैयार हो जाएंगे, योग निद्रा ध्यान करते समय ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें। टाइट या असुविधाजनक कपड़े पहनने से बचें।

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